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  • The Group Of Six Ladies Is A Favourite Of Music Lovers, They Sing With All Their Coronary heart, The Listeners Say ‘As soon as Extra, As soon as Extra’

6 घंटे पहलेलेखक: कमला बडोनी

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मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया…संगीत का एक ऐसा ही कारवां शुरू किया ‘कोंकण कन्या बैंड’ ने और कुछ ही समय में छह लड़कियों की ये टीम म्यूजिक लवर्स की चहेती बन गईं। यह टीम ऑल टाइम हिट गानों को उनकी आत्मा के साथ छेड़छाड़ किए बिना इतने अलग अंदाज में गाती है कि सुनने वाले ‘वन्स मोर, वन्स मोर’ कहे बिना नहीं रह पाते।

ऐसा करने के पीछे वजह ये है कि अच्छे संगीत का रिमिक्स तैयार किए बिना ओरिजिनल गाने को उसी खूबसूरती के साथ गाया जाए, लेकिन बिल्कुल नए अंदाज में। ये टीम बहुत कम समय में इसलिए पॉपुलर हुई, क्योंकि टीम का हर सदस्य म्यूजिक की गहरी समझ रखता है। ‘ये हम हैं’ में जानिए कोंकण कन्या बैंड’ की छह सुरीली लड़कियों की कहानी, उन्हीं की जुबानी…

परिवार में अकेली सिंगर हूं

मैं हूं अरुंधती तेंदुलकर, पिछले 10 वर्षों से मुंबई में क्लासिकल सिंगिंग की ट्रेनिंग ले रही हूं। मेरा बैकग्राउंड म्यूजिक का नहीं है, लेकिन मेरे पेरेंट्स और छोटे भाई ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया। मैं पहली क्लास से लेकर दसवीं तक सुबह होने वाली स्कूल प्रेयर का हिस्सा रही। इससे मेरा संगीत के प्रति लगाव बढ़ा। लेकिन बचपन में पेरेंट्स और मुझे ये ख्याल नहीं आया कि मुझे म्यूजिक की ट्रेनिंग लेनी चाहिए।

‘कोंकण कन्या बैंड’ की टीम बहुत कम समय में पॉपुलर हो गई है और इसकी वजह उनकी संगीत की समझ और सुरीली आवाज है।

‘कोंकण कन्या बैंड’ की टीम बहुत कम समय में पॉपुलर हो गई है और इसकी वजह उनकी संगीत की समझ और सुरीली आवाज है।

यूथ फेस्टिवल ने बदली जिंदगी

जब मैंने एसएनडीटी कॉलेज में यूथ फेस्टिवल के लिए सलेक्ट हुई तो संगीत का एक नया रूप मेरे सामने आया। वहां मेरी इंडियन और वेस्टर्न म्यूजिक के प्रति जानकारी बढ़ी और मैंने म्यूजिक की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया। फिर मैंने म्यूजिक में मास्टर्स किया। यूथ फेस्टिवल में म्यूजिसियन रविराज ने मेरा गाना सुना और मुझे अपने ग्रुप के साथ जुड़ने को कहा। मुझे आइडिया अच्छा लगा और मैं उनके ग्रुप से जुड़ गई।

कोंकण कन्या बैंड की शुरुआत ऐसे हुई

रविराज एक ऐसी टीम तैयार करना चाहते थे जो संगीत प्रेमियों की संगीत की प्यास को बुझा सके। वो सदाबहार गानों की आत्मा के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहते और न ही रिमिक्स बनाना चाहते थे। वह गानों को बिल्कुल नए अंदाज में पेश करना चाहते थे।

‘कोंकण कन्या बैंड’ रविराज का क्रिएशन है। उन्होंने ग्रुप की छह मेंबर्स की खोज की। वो हर टीम मेंबर की आवाज की रेंज को देखते हुए उन्हें गाने का मौका देते हैं। अब लोग हमारे गानों का बेसब्री से इंतजार करते हैं। हमारा ग्रुप इतनी जल्दी पॉपुलर हो जाएगा ये हमने कभी सोचा नहीं था। ​​​​​​कोंकण कन्या बैंड मुंबई बेस्ड है और टीम के सभी सदस्य हर भाषा के गाने गाते हैं। बैंड का काम कॉन्सेप्ट बेस्ड एंटरटेनमेंट पर काम करने वाली नौटंकी कंपनी देखती है।

दादी और मां का हुनर विरासत में मिला

इसी ग्रुप की एक मेंबर हैं दीप्ति रेगे। वह कहतीं हैं, मैंने बचपन से घर में संगीत का रियाज देखा है। मैं कह सकती हूं कि मैंने मां के पेट में ही संगीत की ट्रेनिंग ली। मेरी मां और दादी संगीत से जुड़ी रहीं इसलिए म्यूजिक मेरे खून में है। मेरी दादी प्रोफेशनल सिंगर रही हैं। मां ने संगीत सीखा, लेकिन उन्हें प्रोफेशनली गाने का मौका नहीं मिला। मेरी छोटी बहन भी अच्छा गाती है, लेकिन उसने म्यूजिक को करियर नहीं बनाया।

अब फेमस हो गई हूं

मैंने बहुत छोटी उम्र से संगीत सीखना शुरू कर दिया था। मैंने म्यूजिक में मास्टर्स किया है और अभी भी सीख रही हूं। मेरी संगीत गुरु माणिकताई भिडे और डॉ. वंदना हैं। मैं कॉलेज में म्यूजिक कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेती थी, जिससे दूसरे कॉलेज के यूथ भी मुझे जानने लगे थे। मैं पब्लिक परफॉर्मेंस भी करने लगी। कोंकण कन्या बैंड से जुड़ने के बाद मुझे फेमस गानों को अलग अंदाज में गाने का मौका मिल रहा है। साथ ही लोगों का प्यार और एक नई पहचान भी । अब लोग हमें हमारे बैंड के नाम से जानते हैं।

मां ने पहचाना हुनर

कोंकण कन्या बैंड की मैं संचिता गर्गे हूं। मैंने 7 साल की उम्र से म्यूजिक सीखना शुरू किया। मेरे ननिहाल में संगीत का माहौल रहा है। जब मैं छोटी थी तो रेडियो पर गाने सुनकर गुनगुनाती रहती। मेरा गाना सुनकर मां को लगा कि अगर मुझे ट्रेनिंग मिलेगी तो मैं अच्छा गा सकती हूं। उन्होंने छोटी उम्र से ही मुझे म्यूजिक के लिए तैयार करना शुरू कर दिया था।

‘कोंकण कन्या बैंड’ की टीम अपने कॉस्टयूम पर बहुत ध्यान देती है और हर शो के लिए अलग लुक क्रिएट करती है।

‘कोंकण कन्या बैंड’ की टीम अपने कॉस्टयूम पर बहुत ध्यान देती है और हर शो के लिए अलग लुक क्रिएट करती है।

टीम वर्क काम आया

संगीत की ट्रेनिंग शुरू होने के बाद मुझे इसमें और रुचि हो गई। मैंने मुंबई के जयहिंद कॉलेज से बीए हिस्ट्री के साथ बीए म्यूजिक भी किया और म्यूजिक में मास्टर्स भी किया। मैंने शोज करने लगी। फिर जब कोंकण कन्या बैंड से जुड़ी तो फेमस हो गई। ये एक अलग अनुभव है। म्यूजिक भी एक तरह का टीम वर्क है जहां एकता की शक्ति का पता चलता है।

मां हैं मेरी पहली टीचर

कोंकण बैंड की मैं हूं वेदा नेरुरकर। ढाई साल की उम्र से मां ने ही मुझे म्यूजिक सिखाना शुरू कर दिया था। फिर सात साल की उम्र से मां ने मुझे इंडियल क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग के लिए भेजना शुरू किया। मैंने स्वरदा साठे जी से संगीत की ट्रेनिंग लेनी शुरू की। अब पिछले 10 सालों से मैं आशा खाडिलकर की शागिर्दी में संगीत सीख रही हूं। मां ने म्यूजिक सीखा और म्यूजिक में मास्टर्स किया है। मां भोपाल और नागपुर में ऑल इंडिया रेडियो के लिए गाती थीं।

म्यूजिक रियलिटी शो में गाया

मैं म्यूजिक शोज में काम कर रही थी, म्यूजिक रियलिटी शो लिटिल चैम्प (हिंदी और मराठी), द वॉइस का हिस्सा भी रही हूं। लेकिन कोंकण कन्या बैंड से जुड़ने के बाद मुझे एक अलग पहचान मिली। इस बैंड के साथ गाने का अनुभव बहुत अलग और खास है। हमारी हर परफॉर्मेंस बिल्कुल अलग होती है।

घर में संगीत का माहौल

कोंकण कन्या बैंड की मैं हूं जुई भागवत। मेरा पूरा परिवार संगीत से जुड़ा है। मेरे दादाजी मनोहर भागवत ग्वालियर में म्यूजिक सिखाते थे। मेरे पेरेंट्स म्यूजिक में एमए हैं। म्यूजिक घराने में जन्म लेने के कारण मुझे घर में ही संगीत की ट्रेनिंग मिली। मेरी ताईजी सुचित्रा भागवत ही मेरी गुरु हैं, जो पंडित जियालाल वसंत की शिष्या और सुरेश वाडकर की गुरु बहन भी हैं।

मैं एक्ट्रेस भी हूं

हाल ही में सोनी मराठी के शो ‘तुमची मुलगी काय करते’ में मैंने लीड रोल किया है। मैं जी टीवी के रियलिटी शो ‘महाराष्ट्राचा सुपरस्टार’ का हिस्सा भी रही हूं। ‘कोंकण कन्या बैंड’ में मुझे गाने के साथ साथ एंकरिंग की जिम्मेदारी भी दी गई है। जब कभी मैं शूटिंग में बिजी रहती हूं तो हमारी टीम मुझे पूरा सपोर्ट करती है। हमारी टीम की यह खासियत है कि हम सभी एक दूसरे की सहेलियां हैं और हम एक दूसरे को सपोर्ट करती हैं जिससे हम सब अपना बेस्ट देते हैं।

‘कोंकण कन्या बैंड’ की टीम अपनी मधुर आवाज से संगीत प्रेमियों की फेवरेट बन गई हैं।

‘कोंकण कन्या बैंड’ की टीम अपनी मधुर आवाज से संगीत प्रेमियों की फेवरेट बन गई हैं।

मां ने की शुरुआत

मैं हूं मधुरा परांजपे, मेरी दादी, नानी, मां तीनों बहुत अच्छा गाती थीं। मां ने मुझे सात साल की उम्र से म्यूजिक क्लास जॉइन करा दी। मेरी पहली गुरु मां हैं, उन्होंने ने ही सबसे पहले मेरा संगीत से परिचय कराया।

मैं 20 साल से ज्यादा समय से संगीत साधना में जुटी हुई हूं। म्यूजिक में मास्टर्स कर चुकी हूं लेकिन अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी हैं।

लेकिन मेरी बहन को संगीत में बिल्कुल भी रुचि नहीं है। मैं पिछले 15 सालों से सुरेश वाडकर जी की म्यूजिक क्लास में संगीत की ट्रेनिंग दे रही हूं और म्यूजिक इंडस्ट्री में सभी भाषाओं में कोरस भी गाती हूं।

सबकी आवाज अलग है

कोंकण कन्या बैंड से जुड़ने के बाद म्यूजिक का अलग अंदाज देखने को मिला। इस टीम का हिस्सा बनने के बाद मुझे अलग पहचान मिली। हमारी टीम में सबकी आवाज अलग और सुर एक है। इस बैंड में शामिल सभी सहेलियों के गले बहुत सुरीले हैं और सभी गाती भी बहुत दिल से हैं जो श्रोताओं के दिल को छू जाता है।

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