नई दिल्ली16 घंटे पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा

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क्या कपल शादी के बाद अलग-अलग कमरे में सो सकते हैं? अगर यह सवाल इंडियन सोसाइटी में पूछा जाए तो हाय-तौबा मचना तय है क्योंकि यह सोचना भी नॉर्मल नहीं है। लेकिन दुनियाभर में कपल ऐसा कर रहे हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर स्लीप डिवोर्स के नाम से हैशटैग खूब ट्रेंड हुआ।

मशहूर अमेरिकन एक्ट्रेस कैमरॉन मिसेल डियाज़ ने स्लीप डिवोर्स की पैरवी की। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि अनिद्रा से जूझ रहीं महिलाओं के लिए यह सबसे जरूरी है।

दरअसल 2023 में अमेरिकन अकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन ने एक सर्वे किया जिसमें पाया गया कि पुरुषों के मुकाबले 31% महिलाएं सुबह उठकर थकान महसूस करती हैं। इस थकान के पीछे की वजह उनके पार्टनर थे। वहीं, जो कपल अलग-अलग बेडरूम में सो रहे थे, वह अपनी मैरिड लाइफ में ज्यादा खुश पाए गए।

‘स्लीप डिवोर्स’ अपने आप में अनोखा शब्द है लेकिन इसका मतलब कपल के बीच तलाक बिल्कुल नहीं है। यह एक तरह सेपरेशन है जो रिश्ते और सेहत दोनों के लिए अच्छा है।

पति-पत्नी के रिश्तों में नींद का अड़ंगा

दुनिया में भारत ऐसा दूसरा देश है, जहां सबसे ज्यादा लोगों की नींद प्रभावित है। इंडियन नेशनल स्लीप सर्वे के अनुसार नींद पूरी ना होने की वजह से 67% महिलाएं जबकि 56% पुरुष दिन में सुस्त महसूस करते हैं। कपल के बीच यह दिक्कत ज्यादा है।

दरअसल, हर इंसान की एक स्लीप साइकिल होती है। कुछ लोग रात को 10 बजे सोना पसंद करते हैं तो कुछ रात के 2 बजे, जब कपल की यह स्लीप साइकिल मेल नहीं खाती तो रिश्ते में तनाव आने लगता है। कई बार इस वजह से दोनों के बीच झगड़े होते हैं।

रिश्तों में खटास ना आए, इसका स्लीप डिवोर्स ही एकमात्र रास्ता है। स्लीप डिवोर्स का मतलब है कपल अलग-अलग रूम में या अलग-अलग बेड पर सोते हैं ताकि वह एक-दूसरे की नींद में खलल न डालें और अपनी नींद पूरी करें।

स्लीप साइकिल बिगड़ने से इम्यूनिटी होती कमजोर

न्यूरोलॉजिस्ट अंशु रोहतगी कहते हैं कि नींद का शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से सीधा कनेक्शन है। जब इंसान सोता है तो इम्यून सिस्टम से साइटोकिन्स (cytokines) नाम का प्रोटीन रिलीज होता है जो किसी भी तरह के इंफेक्शन और एंटीबॉडीज से लड़ने में मदद करता है।

इसलिए जो लोग पूरी नींद नहीं लेते, वह जल्दी बीमार पड़ते हैं। रोज 6 से 8 घंटे सोना जरूरी है ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बने।

पंखा और एसी बनते विलेन

रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. गीतांजलि शर्मा कहती हैं कि उनके पास कई कपल ऐसे आते जिनके बीच लड़ाई इसलिए होती हैं क्योंकि एक पार्टनर को सख्त गद्दे पर सोने की आदत है और एक को गद्देदार मैट्रेस चाहिए। वहीं एक को तेज पंखे में सोना है और एक को कम स्पीड के पंखे में। कमरे में चल रहे एसी का टैम्परेचर तक उनके मूड को बिगाड़ देता है क्योंकि एक पार्टनर को एयर कंडीशनर अच्छा लगता तो दूसरे को बुरा। कमरे की लाइट और पर्दे भी कपल के बीच लड़ाई करा देते हैं क्योंकि कुछ लोगों को अंधेरे में तो कुछ को लाइट जलाकर सोने की आदत होती है। इन सब बातों का रिश्ते पर निगेटिव असर पड़ता है जिस वजह से कपल के बीच इंटिमेसी नहीं रहती।

डॉ. गीतांजलि शर्मा कहती हैं कि ऐसे कपल्स को स्लीप डिवोर्स अपनाना चाहिए। यह कपल्स की आपसी समझ है। अगर दोनों एक-दूसरे का सम्मान करेंगे और एक-दूसरे की रजामंदी से अलग-अलग सोएंगे तो इससे उनके रिश्ते और मधुर बनेंगे क्योंकि इंटिमेसी बेडरूम से नहीं, बल्कि बेडरूम के बाहर शुरू होती है। इसके लिए कपल को साथ सोने की जरूरत नहीं है। वह बेडरूम के बाहर पार्टनर को हग कर सकते हैं, किस कर सकते हैं, पीठ सहला सकते हैं या बालों को संवार सकते हैं। पार्टनर के प्यार भरे पॉश्चर और बॉडी लैंग्वेज इंटिमेसी और रिस्पेक्ट दोनों को दर्शाते हैं।

कपल के बीच पर्सनल स्पेस जरूरी

पति-पत्नी होने का यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि वह हर चीज साथ-साथ करें। हर इंसान एक-दूसरे से अलग होता है। उनकी अपनी पसंद-ना पसंद होती है। हर इंसान को ‘मी-टाइम’ चाहिए जिसमें वह अपने हिसाब से अपनी पसंद का काम करे।

रिश्ते में अगर स्पेस ना हो तो यह चिड़चिड़ाहट और गुस्से में बदल जाती है। स्लीप डिवोर्स कपल को पर्सनल स्पेस देता है ताकि वह खुद के साथ अपने हिसाब से वक्त बिता पाएं। यह मेंटल हेल्थ के लिए भी अच्छा है।

वर्किंग कपल के लिए वरदान

आजकल कई कपल वर्किंग हैं। कॉर्पोरेट कल्चर में अक्सर हसबैंड और वाइफ की शिफ्ट अलग-अलग देखने को मिलती हैं। आईटी, बीपीओ, हॉस्पिटल, मीडिया समेत कई सेक्टर में शिफ्टिंग जॉब होती हैं। ऐसे में अगर वाइफ की शिफ्ट दिन की है और हसबैंड की नाइट शिफ्ट तो ऐसे में दोनों की नींद डिस्टर्ब होती है।

पति का आधी रात को घर पहुंचना और लाइट्स ऑन कर कपड़े बदलना, खाना-पीना या मूवी देखना पत्नी की नींद को खराब करता है, इसलिए अगर उनका अलग-अलग बेडरूम हो तो यह नौबत नहीं आती। स्लीप डिवोर्स नींद पूरी करने का बेस्ट तरीका है।

रात भर परेशान नहीं करते पार्टनर के खर्राटे

कुछ लोग इनसोमनिया या स्लीप एपनिया के शिकार होते हैं। इनसोमनिया में व्यक्ति को रात भर नींद नहीं आती और वह बार-बार करवट बदलता रहता है। वहीं स्लीप एपनिया में व्यक्ति सोते ही खर्राटे लेने लगता है।

स्लीप एपनिया का शिकार व्यक्ति जैसे ही लेटता है, वैसे ही उसकी सांस लेने वाला ऊपरी हिस्सा बंद हो जाता है जो खर्राटे के रूप में सुनाई देता है। तेज-तेज खर्राटे साथ सो रहे पार्टनर की नींद को प्रभावित करते हैं। तो अगर आपका पार्टनर भी खर्राटे लेता है तो उसे कसूरवार ठहराने से बेहतर है कि स्लीप डिवोर्स अपनाएं क्योंकि वह जानबूझकर ऐसा नहीं करता।

‘फिअर ऑफ इंटिमेसी’ की वजह से स्लीप डिवोर्स

अगर कोई पार्टनर ‘फिअर ऑफ इंटिमेसी’ का शिकार हो, तब वह अपने पार्टनर के साथ सोने से बचता है। दुनिया में करीब 30 से 40 फीसदी लोग इस मानसिक विकार के शिकार हैं।

‘फिअर ऑफ इंटिमेसी’ का मतलब है किसी के करीब जाने का डर, अंतरंग संबंध बनाने से घबराहट। यह समस्या टीनएजर्स या यंग कपल में ही नहीं, बल्कि शादीशुदा कपल्स में भी देखी जाती है।

अगर यह डर हावी हो जाए तो इंटिमेसी एंग्जाइटी डिसऑर्डर में बदल जाता है। इस प्रॉब्लम को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाए तो कपल के बीच डिवोर्स तक हो सकता है।

दिनभर में फिजिकल अटेंशन पर दें ध्यान

अलग-अलग सोना रिश्तों में दूरियां ना लाए, इसके लिए दिनभर में पार्टनर को अटेंशन देना जरूरी है। उनसे बातचीत करें, एक साथ फिल्म देखें, साथ में कुकिंग करें, उनके दिल की बात जानें और बीच-बीच में उन्हें टच भी करें ताकि रिलेशनशिप हेल्दी रहे।

‘यूनिवर्सिटी ऑफ मयामी’ के ‘टच रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की रिपोर्ट बताती है कि फिजिकल टच के दौरान डोपामाइन, सेरोटोनिन और ऑक्सीटोसिन जैसे गुड हॉर्मोंस रिलीज होते हैं, जो तनाव और चिंताओं से मुक्ति दिलाते हैं। मूड भी अच्छा रहता है जिससे खुशी महसूस होती है।

इन एक्टिविटीज के दौरान शरीर में होने वाले रासायनिक बदलाव डिप्रेशन से भी बाहर निकालने में मदद करते हैं। इससे पार्टनर शांत महसूस करते हैं। गुस्सा और आक्रामकता भी घटती है। साथ ही रिश्तों में सहनशीलता बढ़ती है।

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