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- The Purpose For Infertility Will Have To Be Advised To The Medical Board, Married {Couples} Will Be Ready To Take Eggs Or Sperm From A Donor.
नई दिल्ली12 घंटे पहले
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सरोगेसी से बच्चे की चाह रखने वाले कपल्स के लिए राहत की खबर है। शादीशुदा जोड़े अब किसी डोनर से एग या स्पर्म लेकर सरोगेट माता-पिता बन पाएंगे। नए नियम की शर्त यह है कि पति-पत्नी में से कोई एक पार्टनर बच्चा पैदा करने में सक्षम न हो।
इससे पहले सरकार ने सरोगेसी कानून में संशोधन कर कहा था कि जो कपल सरोगेसी से माता-पिता बनना चाहते हैं उनमें एग और स्पर्म उनका ही होना चाहिए। मार्च 2023 में किए गए इस संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
मेयर-रोकितांस्की-कुस्टर-हॉजर (MRKH) सिंड्रोम से पीड़ित एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि ओवरीज नहीं होने के चलते उसमें एग नहीं बन रहे।
जबकि संशोधित कानून में सरोगेट पेरेंट बनने के लिए अपना ही एग या स्पर्म होने की शर्त रखी गई है।
महिला का कहना था कि इस संशोधन से उनके मां बनने का अधिकार छिन रहा है। साथ ही सरोगेसी एक्ट 2021 के सेक्शन 2(r) और 4 का उल्लंघन भी हो रहा है।
सरोगेसी एक्ट के रूल 7 को लेकर कई और पीड़ित महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महिला को डोनर से एग्स लेकर मां बनने की मंजूरी दी। सरकार ने अभी 21 फरवरी को सरोगेसी (रेगुलेशंस) रूल्स 2022 में बदलाव किया है जिसके तहत सरोगेसी के लिए डोनर के एग और स्पर्म लिए जा सकेंगे।
पति-पत्नी में से किसमें कमी? मेडिकल बोर्ड बताएगा
दिल्ली में इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रश्मि शर्मा कहती हैं कि विवाहित जोड़े डोनर से एग या स्पर्म तभी ले पाएंगे जब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बोर्ड इसकी अनुमति देगा।
पति-पत्नी में से किसी एक को भी मेडिकल प्रॉब्लम है तो उसे बोर्ड के सामने प्रमाणित करना होगा कि उसमें इनफर्टिलिटी है।
यानी डॉक्टरों से ट्रीटमेंट, प्रिस्क्रिप्शन, दवा और दूसरे जरूरी डॉक्यूमेंटस बोर्ड के सामने पेश रखने होंगे। संतुष्ट होने पर बोर्ड आवेदक को डोनर से एग या स्पर्म लेने की अनुमति देगा।
पति-पत्नी दोनों में कमी तो क्या होगा?
आमतौर पर विवाहित जोड़े में से किसी एक को ही मेडिकल परेशानी होती है। पति का स्पर्म ठीक है लेकिन पत्नी के एग नहीं बन रहे या उसकी क्वालिटी खराब है। इसका ठीक उल्टा भी हो सकता है, पत्नी के एग ठीक हैं लेकिन पति के स्पर्म कम या उसमें कमी है।
मगर यदि पति-पत्नी दोनों में कमी हो तो क्या उन्हें डोनर से एग या स्पर्म लेने की अनुमति होगी? इस सवाल पर अहमदाबाद के ऑब्सटेट्रिशन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. एमसी पटेल कहते हैं कि इस स्थिति में कानून अनुमति नहीं देता।
अगर पति-पति दोनों में इनफर्टिलिटी है तो बच्चे को गोद लेना ही एकमात्र उपाय है।
महिलाओं में इनफर्टिलिटी के कई कारण होते हैं। सरोगेसी के लिए मेडिकल बोर्ड को बताना पड़ता है कि किन कारणों से इनफर्टिलिटी है।
क्या होती है मेडिकल कंडीशन
डिस्ट्रिक्ट बोर्ड कपल के सरोगेसी के लिए मेडिकल कंडीशन देखता है। पुरुष में देखा जाता है कि क्या उसे एजुस्पर्मिया है?
यह ऐसी स्थिति है जब पुरुष में स्पर्म नहीं बनते। टेस्टीज में स्पर्म नहीं बनेंगे। डॉ. रश्मि कहती हैं कि सीमेन में स्पर्म नहीं होते तो पुरुष में इनफर्टिलिटी की समस्या मानी जाती है।
अभी तक दुनिया में कोई ऐसी दवा नहीं है जो नए शुक्राणु बना सके। अगर नए शुक्राणु नहीं बन रहे तो बच्चा पैदा करने के लिए बाहर स्पर्म लेना ही एक मात्र उपाय होगा।
पुरुष में कई कारणों से एजुस्पर्मिया हो सकता है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी पीड़ित होने, हार्मोनों में गड़बड़ी, रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में ब्लॉकेज होने या जेनेटिक कारणों से पुरुष इनफर्टिलिटी का शिकार हो सकता है।
पूरी दुनिया में 15% लोग (स्त्री-पुरुष) इनफर्टिलिटी के शिकार हैं इनमें से 1% को एजुस्पर्मिया (पुरुष में बांझपन) होती है।
जबकि महिलाओं में कई तरह की परेशानी होती है। जन्म से ही एग नहीं बनते या अंडेदानी नहीं होती।
ओवरीज है भी तो पीरियड्स नहीं आते। कई महिलाओं को शुरुआत में एग होते हैं यानी फर्टाइल होती हैं लेकिन बाद में एग कम हो जाते हैं। अगर एग है भी तो उनकी क्वालिटी सही नहीं होती। उम्र अधिक होने से भी एग की क्वालिटी कमजोर या कम हो जाती है।
महिलाओं में इनफर्टिलिटी का एक बड़ा कारण गोनाडल डिसजेनेसिस या टर्नर सिंड्रोम है। इस स्थिति में एक्स क्रोमोसोम नहीं रहता या इनमें गड़बड़ी रहती है।
डॉ. रश्मि कहती हैं कि सरोगेसी के लिए वही महिलाएं जाती हैं जिनकी उम्र अधिक हो गई है या फिर उन्होंने प्रेग्रेंट होने के सारी तरीके आजमा लिए हैं। ऐसे में सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए।
सिंगल वुमन डोनर से स्पर्म लेकर बन सकेंगी मां
सरोगेसी के नए नियमों के मुताबिक सिंगल वुमन (विधवा या तलाकशुदा) डोनर से स्पर्म लेकर मां बन सकेंगी। इसमें उसे अपने ही एग का इस्तेमाल सरोगेसी के लिए करना होगा।
अविवाहित महिला सरोगेट मदर नहीं सकती। लेकिन देश की अविवाहित महिला को असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) एक्ट ये इजाजत देता है कि वह डोनेट किया एग या स्पर्म लेकर खुद मां बने।
भारत को फर्टिलिटी टूरिज्म के रूप में देखा जा रहा है। मेट्रो सिटीज में ऐसे सेंटरों में दुनिया भर से महिलाएं एग फ्रीजिंग करने आ रही हैं।
फर्टिलिटी टूरिज्म का बड़ा हब बन रहा भारत
भारत एग फ्रीजिंग करने में दुनिया में तेजी से उभर रहा है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, यूके, जर्मनी, ब्राजील, अफ्रीकी देशों से महिलाएं एग फ्रीजिंग के लिए भारत आ रही हैं।
इसका कारण यह है कि दूसरे देशों की तुलना में एग फ्रीजिंग का खर्च भारत में एक तिहाई भी नहीं है।
अमेरिका में जहां एग डिपोजिट का खर्च 25 लाख, स्पेन में 3 से 5 लाख, चेक रिपब्लिक में 2 से 4 लाख, ब्राजील में 3.5 लाख, इजराइल में 4.5 लाख है वहीं भारत में यह खर्चा 1 से 5 लाख रुपए ही आता है।
दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में एग डिपोजिट कराने के लिए दुनियाभर से लोग आ रहे हैं।
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. लीला जोशी बताती हैं कि यह नया ट्रेंड है। कम पैसे, अनुभवी डॉक्टर और सक्सेस रेट अधिक होने से महिलाएं विदेश से आ रही हैं।
भारत में इन सेंटरों को दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है। डॉक्टर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी उपलब्ध होते हैं।