1 घंटे पहलेलेखक: कमला बडोनी

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वो बेझिझक सेक्शुअल रिलेशन, मास्टरबेशन, वजाइना, प्रीमैच्योर इजैकुलेशन… जैसे गंभीर और जरूरी मुद्दों पर बात करती हैं जिन्हें सोसाइटी भद्दा और गैर जरूरी मानती है। वो समाज में जागरूकता फैलाना चाहती हैं, लेकिन बदले में उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल झेलना पड़ता है। उनको हॉस्पिटल में धमकी भरे फोन आते हैं, यहां तक कि रेप की धमकियां तक मिलती हैं। लेकिन वो बिना डरे और डटे रहकर अपना काम कर रही हैं।

वो पुरुषों से अपने शरीर की केयर करने और महिलाओं के शरीर का सम्मान करने के लिए कहती हैं। वो महिलाओं से कहती हैं कि अपने रिप्रोडक्टिव सिस्टम में किसी तरह की तकलीफ होने पर अपनी समस्या बताने से हिचकिचाएं नहीं। समस्या छिपाने और देर करने से किसी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

उनकी बेबाक बातें समझ में तो आने लगी हैं, लेकिन वर्षों से जमी धूल दिमाग से झड़ने का नाम नहीं लेती। उनकी बेस्ट सेलर किताब ‘Dr. Cuterus : Everything Nobody Tells You About Your Body’ कुछ ही समय में काफी पॉपुलर हो चुकी है और अब अलग-अलग भाषाओं में इसका अनुवाद हो रहा है। मिलिए सेक्शुअल हेल्थ एजुकेटर डॉ. तनया नरेंद्र से, जिन्हें Dr. Cuteru के नाम से जाना जाता है। ‘ये मैं हूं’ में आज जानिए डॉ. तनया नरेंद्र की कहानी…

महिलाओं में जागरूकता जरूरी

अभी भी महिलाओं के शरीर के बारे में बात नहीं की जाती। महिलाएं खुद अपनी बॉडी को लेकर बहुत लापरवाह रहती हैं। सरवाइकल कैंसर को लेकर भी वो जागरूक नहीं हैं जिसके कारण अपनी जान से भी हाथ धो बैठती हैं।

पैप स्मीयर एक आसान टेस्ट है, जिससे सरवाइकल कैंसर का शुरुआती स्टेज में ही पता लग सकता है, लेकिन महिलाएं इस सस्ते टेस्ट से भी बचती हैं।

मैं अपनी बात करूं तो डॉक्टर होने के बावजूद जब तक मैंने खुद इस पर काम करना शुरू नहीं किया था, तब तक मैंने भी खुद पैप स्मीयर टेस्ट नहीं करवाया था।

एचवीपी को लेकर गलतफहमी

यदि किसी महिला को एचवीपी है तो उसके बारे में ये धारणा बना ली जाती है कि उसके मल्टीपल पार्टनर होंगे, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। एचपीवी वैक्सीन लगाना इसलिए जरूरी है ताकि महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से बची रहें। सरवाइकल कैंसर किसी भी महिला को हो सकता है।

बेसिक बॉडी एजुकेशन नहीं दी जाती

अपने देश में लड़कियों को अभी भी बेसिक बॉडी एजुकेशन नहीं दी जाती। शादीशुदा महिलाएं भी न तो अपने शरीर को समझती हैं और न ही उसे लेकर जागरूक हैं। भारत ही क्या, अमेरिका की महिलाएं भी ‘वजाइना’ शब्द खुलकर नहीं बोल पातीं। दो साल पहले जब मैं अमेरिका में थी तब मैंने उम्रदराज महिलाओं का एक सेशन लिया था। मैंने उन्हें बेसिक बॉडी एजुकेशन के बारे में बताया।

उनमें से कई महिलाएं वजाइना में तकलीफ से गुजर रही थीं, लेकिन वो महिलाएं ‘वजाइना’ शब्द कहने में भी हिचकिचा रही थीं। वो महिलाएं ‘प्राइवेट पार्ट’, ‘नीचे का रास्ता’ जैसे शब्दों का प्रयोग कर रही थीं। मैंने वर्कशॉप के दौरान उन सबसे ‘वजाइना’ शब्द तीन बार जोर से बोलने को कहा, उसके बाद उनकी हिचक खुली। हमें बाकी किसी अंग का नाम लेने में शर्म नहीं आती, फिर शरीर के इतने जरूरी अंग का नाम लेने में इतनी शर्म क्यों महसूस होती है?

शादी के बाद तुरंत बच्चा चाहिए

हमारे देश में खासकर महिलाओं को सिखाया जाता है कि सेक्स बुरी बात है, इसका जिक्र भी नहीं करना चाहिए। लेकिन शादी होते ही उसी महिला से बच्चा पैदा करने की डिमांड शुरू हो जाती है। कई महिलाओं के शरीर में कोई प्रॉब्लम नहीं होती, लेकिन शारीरिक संबंध को लेकर उनके मन में इतना डर बैठा रहता है कि फिजिकल रिलेशन के दौरान उनकी बॉडी स्टिफ हो जाती है। ऐसी महिलाएं लेडी डॉक्टर को भी अपना शरीर दिखाने से घबराती हैं। इस डर के कारण इनकी शादीशुदा जिंदगी भी तकलीफदेह होती है।

हां, मैं लकी हूं

मेरे माता-पिता दोनों डॉक्टर हैं। पापा पुरुषों की फर्टिलिटी देखते हैं और मां महिलाओं की। पेरेंट्स ने मेरे बड़े भाई और मुझमें कभी कोई भेदभाव नहीं किया। भाई सिनेमेटोग्राफर है, लेकिन मैंने पहले से यही सोच रखा था कि एमबीबीएस के बाद फर्टिलिटी में ट्रेनिंग करूंगी और गायनाकोलॉजिस्ट बन जाउंगी। लेकिन जब मैं मास्टर्स करने के लिए यूके की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गई, तो वहां मैंने देखा कि दुनिया की इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले बच्चों के मन में भी अपने शरीर को लेकर कई मिथक थे।

डॉ. तनया नरेंद्र लड़कियों को उनके शरीर के अंगों के बारे में समझा रही हैं।

डॉ. तनया नरेंद्र लड़कियों को उनके शरीर के अंगों के बारे में समझा रही हैं।

फर्टिलिटी की ट्रेनिंग नहीं दी जाती

पढ़ाई के दौरान मैंने महसूस किया कि इन्फर्टिलिटी की समस्याओं पर पहले ही काम कर लिया जाए तो इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। हम लोगों को फर्टिलिटी की कोई एजुकेशन नहीं दी जाती, जैसे फर्टिलिटी की सही उम्र क्या है, कौन सी चीजें फर्टिलिटी को प्रभावित करती हैं।

बच्चा पैदा करना और पालना एक बड़ी जिम्मेदारी है, इसके लिए सही ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। हम युवाओं को उनके शरीर के बारे में पहले से बता दें, तो उन्हें आईवीएफ जैसे महंगे ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी।

मैंने खुद आईवीएफ की ट्रेनिंग की है, मेरे माता-पिता आइवीएफ डॉक्टर हैं, लेकिन जिस भारी तादाद में आईवीएफ के मामले बढ़ रहे हैं, ये अच्छे संकेत नहीं हैं।

सही जानकारी से नुकसान को रोका जा सकता है

यदि लोगों को सेक्शुअल ट्रांसमिटेड बीमारियों को लेकर सही जानकारी दी जाए तो उन्हें इंफेक्शन नहीं होंगे और प्रेग्नेंसी में भी समस्याएं खड़ी नहीं होंगी। पुरुषों को बताया जाए कि उन्हें गोद में लैपटॉप नहीं रखना चाहिए, इससे उनके स्पर्म की क्वालिटी खराब होती है। महिलाओं को स्मोकिंग बिल्कुल नहीं करनी चाहिए, अपनी फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए।

डॉ. तनया नरेंद्र को सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए नीति आयोग और आयुष्मान भारत द्वारा समर्थित IHW काउंसिल से हेल्थ इन्फ्लुएंसर ऑफ द ईयर का पुरस्कार मिला।

डॉ. तनया नरेंद्र को सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए नीति आयोग और आयुष्मान भारत द्वारा समर्थित IHW काउंसिल से हेल्थ इन्फ्लुएंसर ऑफ द ईयर का पुरस्कार मिला।

मेरी किताब पसंद की जा रही है

मेरी किताब ‘Dr. Cuterus : Everything Nobody Tells You About Your Body’ काफी पसंद की जा रही है। इसमें मैंने शरीर के उन अंगों का जिक्र किया है, जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं। जिनके बारे में लोग बात नहीं करते। सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि अभी भी कई महिलाएं ये नहीं जानतीं कि यूरिन पैसेज और चाइल्ड बर्थ का रास्ता एक नहीं है।

बॉडी शेमिंग से गुजरना पड़ा

शादी के समय मुझे बॉडी शेमिंग से गुजरना पड़ा। हालांकि अब मेरा तलाक हो चुका है, फिर भी मैं यह किस्सा इसलिए बताना चाहती हूं कि महिलाओं को उनके शरीर को लेकर किस कदर जज किया जाता है। स्त्री की पहचान उसका शरीर नहीं है। जब मेरी शादी तय हुई तो जान पहचान के लोगों ने घर पर स्लिमिंग टी भेजी और मेरे पेरेंट्स से कहा कि लड़की की शादी हो रही है, उसका वजन कम करा लीजिए। मेरे वजन से न मुझे प्रॉब्लम थी न मेरे परिवार को, लेकिन लोगों को मेरे वजन की सबसे ज्यादा चिंता थी।

उस समय मेरी एक पोस्ट वायरल हुई थी जिसमें मैंने फैशन डिजाइनर तरुण तहिलियानी के ऑनलाइन स्टोर के साथ अपने बॉडी शेमिंग के अनुभव को शेयर किया था। ये अकेले मेरी समस्या नहीं थी, सभी लड़कियों के साथ ऐसा होता है। लड़की चाहे कितनी ही सुंदर क्यों न हो, फिर भी उसके शरीर पर कमेंट किए जाते हैं। महिलाओं पर सुंदर दिखने का इतना प्रेशर लाद दिया जाता है कि उनके लिए नॉर्मल रहना मुश्किल हो जाता है।

डॉ. तनया नरेंद्र को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाता है, धमकियां मिलती हैं, फिर भी वह निडर होकर अपना काम कर रही हैं।

डॉ. तनया नरेंद्र को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाता है, धमकियां मिलती हैं, फिर भी वह निडर होकर अपना काम कर रही हैं।

सेक्स एजुकेशन को पार्लियामेंट में ले जाना चाहती हूं

35 दिनों में मेरी किताब नेशनल बेस्ट सेलर बन गई। इससे पता चलता है कि लोगों को सही जानकारी की कितनी जरूरत है। जल्द ही मेरी किताब हिंदी और मराठी में भी आ रही है और मैं इसी किताब को बच्चों के लिए भी तैयार कर रही हूं।

मैं सेक्स एजुकेशन को पार्लियामेंट में ले जाना चाहती हूं ताकि यह स्कूल में सिलेबस का हिस्सा बने। ये बच्चों की सुरक्षा और उनके बेहतर भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।

मुझे धमकियां मिलती हैं

मैं बोल्ड विषय पर बात करती हूं इसलिए कई लोग सोशल मीडिया पर मुझे ट्रोल करते हैं। हॉस्पिटल में धमकी भरे फोन आते हैं। हमारे हॉस्पिटल के बारे में फेक रिव्यू लिखे जाते हैं। मेरे सोशल मीडिया हैंडल पर अनाप-शनाप लिखा जाता है। मुझे व्हाट्सऐप पर धमकियां दी जाती हैं। रेप की धमकी तक दी जाती है। पहले मुझे बुरा लगता था, लेकिन अब मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं जानती हूं कि मैं सही काम कर रही हूं।

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