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- Who Is Ekagrah Rohan Murthy; Narayan Murthy Items 15 Lakh Infosys Shares To Grandson
नई दिल्ली1 घंटे पहले
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इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने अपने 4 महीने के पोते एकाग्र रोहन मूर्ति को ₹240 करोड़ मूल्य के शेयर्स गिफ्ट किए हैं। मूर्ति ने पोते को कंपनी में 15 लाख शेयर्स दिए हैं, जो 0.04% हिस्सेदारी के बराबर है।
शेयर्स गिफ्ट करने के बाद इंफोसिस में नारायण मूर्ति की हिस्सेदारी अब 0.40% से 0.36 % रह गया है। कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग में इस बात की जानकारी दी है।
करीब चार महीने पहले 10 नवंबर को नारायण मूर्ति के बेटे रोहन मूर्ति और बहू अपर्णा कृष्णन माता-पिता बने थे। तब नारायण मूर्ति ने संस्कृत के शब्द अटूट ध्यान से प्रेरित होकर पोते का नाम एकाग्र रखा।
नारायण मूर्ति के बेटे रोहन मूर्ति और बहू अपर्णा कृष्णन (फाइल फोटो)
नारायण मूर्ति की दो नातिन भी हैं
एकाग्र से पहले नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति की दो नातिन भी हैं, जिनका नाम कृष्णा सुनक और अनुष्का सुनक है। दोनों बच्चियां ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति की बेटियां हैं।
मूर्ति ने कहा था, परिवार को कंपनी से अलग रखना एक गलत फैसला था
इसी साल जनवरी में नारायण मूर्ति ने कहा था परिवार को कंपनी से अलग रखना एक गलत फैसला था। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता था कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मतलब है कि इसमें परिवार शामिल ना हो।
क्योंकि उन दिनों ज्यादातर बिजनेस फैमिली ओन्ड थे, जिनमें परिवार के बच्चे आते और कंपनी चलाते थे। इनमें कॉर्पोरेट के नियमों का भारी उलंघन होता था।’
मूर्ति फैमिली (बाएं से)- सुधा मूर्ति, अपर्णा कृष्णन, रोहन मूर्ति और नारायण मूर्ति
मेरा बेटा इंफोसिस जॉइन करने के लिए कभी नहीं कहेगा
मूर्ति से पूछा गया कि उनके बेटे रोहन मूर्ति हॉर्व्ड में स्कॉलर हैं। अगर वो कल इंफोसिस जॉइन करने के लिए कहते हैं, तो आप क्या करेंगे? इसके जवाब में मूर्ति ने कहा, रोहन उनसे कहीं ज्यादा सख्त हैं। वो ऐसा कभी नहीं कहेंगे। रोहन मूर्ति 40 साल के हैं। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से PhD किया है। वो एक सॉफ्टवेयर फर्म के मालिक भी हैं। उनकी कंपनी डेटा प्रोसेसिंग का काम करती है।
नारायण मूर्ति बेटे रोहन मूर्ति के साथ। (फाइल फोटो)
1981 में की थी इंफोसिस की स्थापना
नारायण मूर्ति ने भारत के दूसरे सबसे बड़े टेक फर्म इंफोसिस की स्थापना 1981 में की थी। तब से लेकर 2002 तक कंपनी के CEO रहे थे। इसके बाद 2002 से 2006 तक बोर्ड के चेयरमैन रहे।
अगस्त 2011 में चेयरमैन एमेरिटस की उपाधि के साथ मूर्ति कंपनी से रिटायर हो गए थे। हालांकि, एक बार फिर कंपनी में उनकी एंट्री 2013 में एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर हुई। इस दौरान उनके बेटे रोहन मूर्ति उनके एग्जिक्यूटिव असिस्टेंट के तौर पर का कर रहे थे।