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रूस में आतंकी हमले के बाद वहां मौजूद रूस का सैनिक - Dainik Bhaskar

रूस में आतंकी हमले के बाद वहां मौजूद रूस का सैनिक

22 मार्च की रात रूस पर हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। अब तक 133 लोगों की मौत हो चुकी है। रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवदेव ने कहा कि रूस खून का बदला खून से लेगा। हालांकि, दोषी कौन है, बदला किससे लिया जाएगा ये अब तक साफ नहीं है।

हमले की जिम्मेदारी ISIS ने ली है। फिर भी रूस इसके तार यूक्रेन से जोड़ रहा है। वहीं, एक्सपर्ट्स और रूसी खुफिया एजेंसी के पूर्व एजेंट पुतिन को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

हमला मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस फुटेज में आतंकी गोलियां चलाते दिख रहे हैं।

हमला मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस फुटेज में आतंकी गोलियां चलाते दिख रहे हैं।

मॉस्को हमले की 3 संभावित वजहें और उनके किरदार

हमले को लेकर तीन तरह के कयास हैं
1) सुरक्षा में चूक
एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूस में भीड़ पर हमलों का इतिहास रहा है। ऐसे हमले 1990 के दशक में हुआ करते थे। जब चेचेन्या के मुस्लिम बहुल इलाकों से अलगाववादी फाइटर रूस के कॉनसर्ट हॉल, अस्पताल और स्कूलों पर कब्जा कर लेते थे।

पश्चिमी देशों की सिक्योरिटी एजेंसियों से भी अटैक के इनपुट्स थे। पुतिन ने इन इनपुट्स को दरकिनार किया। पुतिन ने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाए कि वो इस तरह के इनपुट्स से उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं। पुतिन और रूस की खुफिया एजेंसियों ने इसे गंभीरता से लिया होता तो हमला नाकाम किया जा सकता था।

मॉस्को निवासी एलेक्जेंडर अलजजीरा को बताते हैं कि रूस में गार्ड्स सबसे बदतर हालात में रहने वाले लोग हैं, उनकी सैलरी बहुत कम है। ऐसे में वो अपना काम बहुत खराब तरीके से करते हैं। मॉस्को के सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि शुक्रवार के हमले ने रूस के नेशनल गार्ड्स, स्पेशल सर्विस की नाकामी जाहिर की है।

क्रोकस सिटी हॉल में धमाके बाद आग लगने के कारण इसकी छत ढह गई।

क्रोकस सिटी हॉल में धमाके बाद आग लगने के कारण इसकी छत ढह गई।

2) यूक्रेन की साजिश
हमले की जिम्मेदारी ISIS-Okay ने ली है। रूस के एक नेता एलेक्जेंडर ने शनिवार को टेलीग्राम चैनल पर लिखा था कि सभी हमलावरों से ताजिकिस्तान के पासपोर्ट मिले हैं। ताजिकिस्तान और अफागनिस्तान के बॉर्डर आपस में लगते हैं। जहां ISIS-Okay ऑपरेट करता है। यहां के लोग फारसी से मिली-जुली भाषा बोलते हैं।

इसके बावजूद पुतिन या उनके अधिकारियों ने संगठन का नाम तक नहीं लिया। इसके उलट पुतिन ने हमले पर दिए संबोधन में कहा कि सभी आतंकी हमले के बाद यूक्रेन की तरफ भागे थे।11 लोगों को गिरफ्तार करने के बाद रूस की सिक्योरिटी फोर्सेस ने कहा कि सभी हमलावरों के यूक्रेन में कॉन्टैक्ट हैं।

यूक्रेन ने इस हमले में किसी भी तरह से उनका हाथ होने से इनकार किया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि ये तय था कि पुतिन और उनके दूसरे ठग हम पर आरोप लगाएंगे। जबकि हमारा इस हमले में कोई रोल नहीं है, हम तो रूस से अपनी सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं।

यूक्रेन के एक थिंकटैंक ने तो हमले का आरोप रूस की सरकार पर ही लगाया है, इस थिंक टैंक ने कहा कि पुतिन ने सहानुभुति के लिए अपने ही लोगों पर हमला करवाया।

3) रूस का काला इतिहास
अलजजीरा के मुताबिक कई एक्सपर्ट्स हमले में ISIS का हाथ होने की बात पर शक कर रहे हैं। लंदन के थिंकटैंक के लिए काम करने वाले एलिशर इलखामोव ने कहा कि अगर ये सोचा जाए कि इस हमले का सबसे ज्यादा फायदा किसे होगा। तो मुझे नहीं लगता है कि जवाब ISIS है। इस आतंकी संगठन की रूस में दिलचस्पी न के बराबर रह गई है।

वहीं, पुतिन को इससे फायदा है। इलखामोव के मुताबिक ISIS के एंगल से रूस का दुनिया भर से सहानूभूति मिली है। पुतिन के आलोचकों का मानना है कि गलत ऑपरेशन का इस्तेमाल करने का उनका इतिहास रहा है। हालांकि, आलोचकों के दावों को कभी साबित नहीं किया जा सका है।

जर्मनी में रूस की खुफिया एजेंसी FSB के लिए काम कर चुके एक पूर्व एजेंट बताते हैं कि 1999 में पुतिन के प्रधानमंत्री बनने के महीने भर बाद ही एक इमारत में धमाका हुआ। इसमें दर्जनों लोग मारे गए थे। रूस ने इसका आरोप चेचेन के अलगाववादियों पर लगाए। इस हमले को बहाना बनाकर रूस ने चेचन्या में दूसरा युद्ध छेड़ा। इससे रूस में पुतिन की लोकप्रियता आसमान छूने लगी और साल 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने।

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