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नई दिल्ली3 घंटे पहलेलेखक: संजय सिन्हा

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इंदौर फैमिली कोर्ट ने तलाक के बाद पत्नी को आदेश दिया कि वह पति को हर महीने 5,000 रुपए गुजारा भत्ता देगी। पति 12वीं पास और बेरोजगार है जबकि ग्रेजुएट पत्नी ब्यूटी पार्लर चलाती है।

उज्जैन के रहने वाले अमन ने पत्नी नंदिनी के परिवार वालों के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत थाने में दर्ज कराई।

साथ ही फैमिली कोर्ट में तलाक और गुजारा भत्ता के लिए आवेदन दिया। अमन ने एक और याचिका दी कि उनकी शादी को निरस्त किया जाए जबकि कोर्ट ने नंदिनी की याचिका को खारिज कर दिया। न केवल गुजारा भत्ता बल्कि कोर्ट की प्रक्रिया में हुए खर्च को भी नंदिनी को देने का आदेश दिया गया।

आमतौर पर तलाक के बाद पति पत्नी को गुजारा भत्ता देता है लेकिन इस केस में उल्टा हुआ।

आज के ‘टेकअवे’ में हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की बारिकियों को जानते हैं।

पति हो या पत्नी दोनों में से किसी को भी गुजारा भत्ता चाहिए तो दूसरे पक्ष के आय का सबूत देना होगा। इससे जुड़े डॉक्यूमेंट्स भी कोर्ट में जमा करने होंगे।

कई ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं जिसमें पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं मिल सकता। अदालत इसके ठोस कारणों को देखती है।

क्या पति के नहीं रहने पर उसके छोटे भाई का विवाह भाभी से हो सकता है? इस पर भले लोक प्रचलित मान्यताएं कुछ और हों लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट इसे प्रतिबंधित बताता है।

शून्य विवाह क्या है? क्या शून्य विवाह और तलाक दोनों एक ही हैं? कौन सी शादी निरस्त कर दी जाती है या मान्य नहीं होती। इसे ग्रैफिक से समझते हैं-

आपसी सहमति से भी तलाक लिया जा सकता है। हिंदू मैरिज एक्ट में इसके लिए भी नियम है। हालांकि इसके लिए भी अदालत की प्रक्रिया का पालन करना होगा।

सप्तपदी यानी अग्नि के 7 फेरों से विवाह संपन्न होता है जिसे अटूट समझा जाता है। अग्नि को साक्षी मान वचन लिए जाते हैं। हालांकि हिंदू मैरिज एक्ट कहता है कि वैसी परिस्थितियां जिसमें वैवाहिक जीवन आगे नहीं बढ़ सकता, पति-पत्नी अलग हो सकते हैं। तलाक लेने के कई शर्ते हैं।

कई बार हम फिल्मों में देखते हैं कि पति-पत्नी दोनों जब राजी होते हैं तभी तलाक हो सकता है जबकि यह गलत धारणा है। यह जरूरी नहीं कि दूसरा पक्ष राजी हो।

अदालत यह देखती है कि क्या दोनों का साथ में रहना असंभव हो गया है या नहीं। अगर उम्मीद की कोई किरण दिखती है तो कोर्ट मध्यस्थता की कोशिश करता है, आपस में सुलझाने का मौका देता है। लेकिन जब कोई उम्मीद नहीं बचती तो कोर्ट तलाक दे देता है।

तलाक के लिए दूसरे ग्राउंड में एक्ट ने क्रूरता की बात कही है।

क्रूरता का मतलब मानसिक और शारीरिक दोनों हो सकता है। गाली देना, बड़ों की इज्जत नहीं करना, उनके साथ रहने से मना करना, किसी अन्य से संबंध होने का झूठा आरोप लगाना भी मानसिक क्रूरता है। इन आधारों पर भी तलाक मिल सकता है।

ग्रैफिक्स-सत्यम परिडा

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