नई दिल्ली8 घंटे पहलेलेखक: संजय सिन्हा

  • कॉपी लिंक

मैं डॉ. मोनाली साहू नागपुर में नेफ्रोलॉजिस्ट हूं। नेफ्रोलॉजी सोसाइटी के नागपुर चैप्टर की प्रेसिडेंट हूं। गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज नागपुर से ही एमबीबीएस की पढ़ाई की। नागपुर से ही एमडी मेडिसिन किया।

इसके बाद नागपुर के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में लेक्चरर के रूप में जॉइन किया। मैं कार्डियोलॉजी में जाना चाहती थी लेकिन मैनेजमेंट ने नेफ्रोलॉजी में काम करने को कहा।

बेमन से ही नेफ्रोलॉजी जॉइन किया, यह कहकर कि मन नहीं लगा तो मैं कार्डियोलॉजी में आ जाऊंगी। लेकिन नेफ्रो में काम करते हुए मुझे अच्छा लगने लगा। तब से 25 साल नेफ्रोलॉजी में काम करते हुए हो गए हैं।

किडनी रोग में अपनी विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए इंग्लैंड के शेफील्ड किडनी इंस्टीट्यूट और नॉर्दन जेनरल हॉस्पिटल से नेफ्रोलॉजी में मास्टर इन मेडिकल साइंस प्रोग्राम (MMSc) किया।

किडनी रोग पर लगातार काम करने के लिए हेल्थ वॉरियर और वुमन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिला है। मैं फेलो ऑफ अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी हूं।

11 इंटरनेशल पब्लिकेशंस में मेरी रिसर्च पब्लिश हुई है। फिलहाल नागपुर के मिडास हॉस्पिटल में कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट हूं।

दुबई में 6 साल किडनी के मरीजों का इलाज किया, अरबी सीखी

सऊदी अरब के कानू किडनी सेंटर और अल नरिहा में स्पेशियलिस्ट इन नेफ्रोलॉजी के रूप में काम किया। वहां मरीजों का इलाज करते समय भाषा समझ नहीं आती। तब मैंने अरबी भाषा सीखी।

अरबी में ही उनसे बात करती। वहां काम करने का अनुभव बिल्कुल अलग है। हेल्थ सिस्टम पूरी तरह ऑर्गेनाइज है।

मरीज तो किसी राजा की तरह होते हैं। मैं जिस यूनिट में थी, वहां एयर कंडीशन कारों से मरीज को डायलिसिस के लिए लाया जाता। अस्पताल फाइव स्टार होटलों की तरह हैं जहां स्थानीय मरीजों का इलाज फ्री होता है।

जीएमसी से पढ़े अपने दोस्तों के साथ दुबई में डॉ. मोनाली।

जीएमसी से पढ़े अपने दोस्तों के साथ दुबई में डॉ. मोनाली।

पुरुष नेफ्रोलॉजिस्ट 6 गुना अधिक, महिलाएं आज भी कम

मेरा एमबीबीएस बैच 1987 का रहा है। साथ में पढ़ी 6 लड़कियों में से 3 नागपुर में हैं तो 3 अमेरिका, सऊदी अरब और इंग्लैंड में हैं। इनमें से मुझे छोड़कर कोई नेफ्रोलॉजी में नहीं आई।

मैं नागपुर में हूं लेकिन यहां भी 25-30 पुरुष नेफ्रोलॉजिस्ट हैं तो महिला नेफ्रोलॉजिस्ट 4-5 ही हैं। पूरे देश में महज 2600 नेफ्रोलॉजिस्ट हैं जिसमें करीब 400 महिला नेफ्रोलॉजिस्ट हैं।

10 लाख की आबादी पर 2 किडनी रोग विशेषज्ञ हैं। जबकि भारत में कैंसर, डायबिटीज, एचआईवी जैसी बीमारियों से कहीं ज्यादा किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीज मिलेंगे। हर साल करीब 2 लाख लोग डायलिसिस कराते हैं।

पिता से पड़ोसी बोले-आपको बेटा नहीं है दुख तो होगा ही

मेरे पिता वेटरनरी डॉक्टर रहे। महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में उनका ट्रांसफर होता। औरंगाबाद के जालना में भी मेरी पढ़ाई हुई। वहां से पूरा परिवार नागपुर आ गया।

मेरी एक बहन आयुर्वेद में पढ़ाई कर रही थी, जबकि मैं नागपुर में ही एमबीबीएस कर रही थी। पापा को मुझ पर गर्व होता कि मैं मेडिकल कर रही हूं। पिता हमेशा मुझे सपोर्ट करते।

तब हमारे पड़ोस के अंकल पापा से कहते कि आपको बेटा नहीं है इस बात का दुख तो होता ही होगा।

यह सुन मुझे काफी चोट पहुंचती। जो काम लड़के कर सकते हैं वो मैं कर सकती हूं। मैंने यह प्रूव कर दिखाया।

नागपुर नेफ्रोलॉजी सोसाइटी की प्रेसिडेंट बनने पर डॉ. मोनाली को सम्मानित किया गया।

नागपुर नेफ्रोलॉजी सोसाइटी की प्रेसिडेंट बनने पर डॉ. मोनाली को सम्मानित किया गया।

प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशंस हुए तो अस्पताल ने नौकरी छोड़ने को कहा

वर्ष 2000 में मेरी शादी हुई। मैंने मुंबई में जसलोक हॉस्पिटल जॉइन किया। जॉइन करने से पहले मेरा अबॉर्शन हुआ। जब जॉइन किया तो पता चला कि प्रेग्नेंट हूं। लेकिन प्रेग्रेंसी में कई कॉम्प्लिकेशंस थे। मेरी बॉस महिला ही थीं। उन्होंने कहा कि जब कॉम्प्लिकेशंस है तो तुम इस्तीफा दो। मुझे रिजाइन करना पड़ा। तब मुझे लगा कि औरत होने की कीमत चुकानी पड़ती है।

किडनी की बीमारी पर समझते सब खत्म हो गया

अपने पूरे करियर में मैंने यह देखा कि लोग किडनी की बीमारी सुनकर ही डर जाते हैं।

लोगों को लगता है कि किडनी की बीमारी हो गई तो अब कुछ नहीं बचा। जीवन जल्द ही खत्म हो जाएगा। लोगों को किडनी की बीमारी को लेकर बुनियादी समझ नहीं है।

इसलिए लोगों में जागरुकता फैलाना जरूरी है।

कई ऐसे मेडिसिन हैं जिनसे किडनी की बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। रेगुलर जांच होनी चाहिए। कौन सी मेडिसिन देनी है कौन सी नहीं, ये जानना जरूरी है।

अगर क्रॉनिक स्टेज में भी मरीज पहुंच गया है तब भी कुछ हद तक ठीक कर सकते हैं। हालांकि पूरी किडनी कभी नॉर्मल नहीं हो सकती। कई बार लोग ऐसी दवाइयों और इलाज के चक्कर में पड़ जाते हैं जो चमत्कार की बात करते हैं किडनी ठीक होने का शर्तिया दावा करते हैं। ऐसा नहीं होता।

पेनकिलर किडनी का सबसे बड़ा दुश्मन

महाराष्ट्र के यवतमाल के कुछ गांवों में क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के मरीजों की संख्या बहुत है। वहां 2000 लोगों की जांच की गई है।

पता लगाने की कोशिश हो रही है कि लोगों को किडनी की बीमारी क्यों रही है? वहां की मिट्‌टी, पानी में प्रदूषण की जांच हो रही है। लोग कैसी दवाएं खा रहे हैं।

मैंने पाया है कि गांवों में छोटे किराना दुकानों में भी पेनकिलर मिल जाते हैं। दाल-चावल की तरह पेनकिलर बिकते हैं। बिना डॉक्टरी सलाह के लोग दर्द की दवा खरीद कर खाते हैं।

यह एक बड़ा कारण है किडनी खराब होने का।

कई लोग आयुर्वेदिक दवा यह सोचकर खाते हैं कि इनका साइड इफेक्ट नहीं होता जबकि ये सबसे बड़ी गहलफहमी है। ये दवाएं भी पूरी तरह हर्बल नहीं होतीं। इनमें एडल्टरेशन पाया गया है। इनके डोज को लेकर अलर्ट रहना चाहिए।

इससे मरीज की स्थिति और बिगड़ जाती है।

किडनी सुरक्षित रखनी है तो बीपी, शुगर कंट्रोल रखें

अपनी किडनी को बेहतर रखना चाहते हैं साफ और भरपूर मात्रा में पानी पिएं। जिन इलाकों में तापमान अधिक होता है वहां शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पानी पीना जरूरी है। कम पानी पिएंगे तो किडनी पर असर पड़ेगा।

सामान्य से ज्यादा नमक खाएंगे तो किडनी में स्टोन बनेगा। ब्लड प्रेशर हाई रहेगा या ब्लड शुगर बढ़ा रहेगा तो किडनी पर असर होगा। हेल्दी लाइफस्टाइल रखें। वजन कम करें, बीएमआई चेक कराएं।बीपी और ब्लड शुगर कंट्रोल में रखें। ओवर द काउंटर यानी बिना डॉक्टरी सलाह के दवाएं खरीद कर न खाएं।

महिला की किडनी खराब हुई तो इलाज में बरती जाती कोताही

जब कोई महिला किडनी की बीमारी से पीड़ित होती है तो उसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसे इलाज में कितना सपोर्ट मिलेगा यह उसके बैकग्राउंड, एजुकेशन, आर्थिक स्थिति और उसके निर्णय लेने पर निर्भर करता है।

अगर किसी महिला को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है या डायलिसिस होनी है तो घर-परिवार से सपोर्ट चाहिए। लेकिन आमतौर पर महिलाओं को उस तरह का सपोर्ट नहीं मिलता जैसै पुरुषों को। अगर पति को किडनी की बीमारी है तो उसके सपोर्ट में पत्नी खड़ी रहती है।

पति को गर्व कि मैं कुछ बेहतर काम कर रही हूं

मेरे पति इंजीनियर हैं। कजाखिस्तान, रूस जैसे कई देशों में वो नौकरी करते रहे हैं। उनका सपोर्ट मुझे हमेशा से मिलता रहा है।

दुनिया में कहीं भी रहें वो मेरी चिंता करते हैं। उन्हें इस बात पर गर्व होता है कि मैं कुछ बेहतर काम कर रही हूं। मुझे एक बेटा है जो बिट्स पिलानी से पढ़ रहा है।

खबरें और भी हैं…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here