हरिद्वार7 घंटे पहले

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संसार में सुख और दुख दोनों ही समान भाव से स्वीकार करना बड़ा गुण है। ज्यादातर लोग ये नहीं कर पाते हैं। दुख को देखकर लोग डर जाते हैं। परेशानियों से भागना और चुनौतियों से बचना चाहते हैं। हर कोई चाहता है कि उसके दुख दूर हो जाएं लेकिन कम ही लोग ऐसा कर पाते हैं। दुखों को दूर करने के लिए, इन्हें मिटाने के लिए कुछ विशेष गुणों की आवश्यकता होती है। हम जैसे ही अपने भीतर संसार को उस दृष्टि से देखने का गुण विकसित कर लेते हैं, दुखों का कम होना शुरू हो जाता है। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए सब दुखों को मिटाने के लिए क्या करें?

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