हरिद्वार9 घंटे पहले
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हर इंसान चाहता है कि उसके हितों की रक्षा होती रहे, उसके हित पूरे हो जाएं। हम जो चाहते हैं वो सब ही हमें मिल जाए ऐसा संभव नहीं है। प्रकृति और परमात्मा हमें वो देते हैं, जो हमारे लिए जरूरी होता है और हितकर भी। कई बार हमें वो भी मिलता है, जिसकी ना हमने उम्मीद की होती या कभी सोचा नहीं होता है। अपने हितों को साधना एक बड़ी कला है। इसके लिए कुछ चीजें जरूरी हैं। जब तक हम अपने स्वभाव में उन बातों को शामिल नहीं करते, तब तक अपने हितों को नहीं साध सकते हैं। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हम अपना हित कब साध सकते हैं?
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