5 घंटे पहले
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12वीं के बाद पॉलिटेक्निक की पढ़ाई के लिए गांव से नैनीताल आना केश के लिए नई दुनिया के दरवाजे खुलने जैसा था। उसे नैनीताल हमेशा से गांव और शहर के बीच की कोई रहस्यमय और आकर्षक जगह लगता। उसने सालों बाद जब जर्मन साई-फाई थ्रिलर ‘डार्क’ में ‘वॉर्महोल’ यानी दो यूनिवर्स के बीच का स्पॉट देखा तो वह उसे बरबस नैनीताल जैसा लगा। यह शहर उसे हमेशा एक वॉर्महोल की तरह डराता और लुभाता रहा।
इस शहर में पहली बार आने पर उसके साथ मैकेनिकल इंजीनियरिंग के कोर्स में मंझले कद की चुलबुली और नटखट सिमी भी थी। सभी दोस्तों को उनके बीच केमिस्ट्री दिखती, लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं था।
ऐसा नहीं था कि केश प्यार की फीलिंग से अनजान था, लेकिन उसने कभी खुद पर इस फीलिंग को हावी नहीं होने दिया। जिंदगी में दो-चार मौके ऐसे जरूर आए थे जब उसे कोई लड़की पसंद आई हो और उसने दोस्तों के काफी जोर देने पर हल्के-फुल्के माहौल में इसे स्वीकार भी किया था।
इन्हीं में से एक नैनीताल के पॉलीटेक्नीक कॉलेज की सिमी भी थी। उनके बीच जो था, उसे प्यार कहा जा सकता है या नहीं, यह पाठकों की समझदारी और निष्कर्ष पर है।
असल में, जिंदगी में प्यार होने और उसे स्वीकार करने के लिए थोड़ी सी बेफ्रिकी, थोड़ी सी अनिश्चितता, थोड़ी सी बेशर्मी, थोड़ी सी हिम्मत और थोड़ा सा जोखिम लेने का माद्दा होना चाहिए। और केश इनमें से कुछ भी लेना गवारा नहीं कर सकता था। उसे पढ़ाई पूरी करके नौकरी करनी थी और फिर अपने घरवालों को सुकून भरी जिंदगी देनी थी।
फर्स्ट ईयर में ऑफिशियल इंट्रो के दो हफ्ते बाद जिन झुंडों में सारे फ्यूचर इंजीनियर्स बंट गए, उसके एक ग्रुप में केश और सिमी थे। उन्होंने नैनीताल को जमकर एक्सप्लोर किया। रोज शाम को माल रोड पर टहलना, ठंडी सड़क पर मटरगश्ती, नंदा देवी मंदिर में जाना, फ्लैट्स पर लगे बाजार में ऐसे ही भटकते रहना, चीना पीक से लेकर टिफिन टॉप या जू में घूम आना या बोटिंग करना। कभी मोमोज, कभी नूडल्स, कभी दही-जलेबी खाना, न जाने कितने पलों को उन दोनों ने पूरे ग्रुप से बचाकर जिया था।
जब सेकेंड ईयर में सिमी पहली बार केश के रूम पर आई थी तो केश की हिम्मत नहीं हुई थी कि वह क्या कहे या क्या करे। उसके सारे रूममेट मूवी देखने गए थे और वो बुखार में पड़ा था। उसे ये तो कंफर्म था कि उसे सिमी से प्यार नहीं है, लेकिन उसे जाने अजीब सी घबराहट क्यों हो रही थी। वो था तो एक लड़का ही। और दिन के 15-16 घंटे वो जिस लड़की के साथ रहता, उसके बारे में सोचता उसे सामने देख वो भी बिल्कुल अकेले में उसे कुछ कहने या करने का मन तो हुआ लेकिन जैसा कि उसके अंदर प्यार कर सकने या उसे मानने लायक कोई भी चीज नहीं थी, इसलिए वह बुखार में भी चाय बनाने के लिए दूध का पैकेट लेने के बहाने नीचे उतर आया।
इसके कई महीनों बाद वह मौका आया जब उसने एक ठंडी रात में झील के किनारे बैठ सिमी का हाथ पकड़ा था। ऐसा होना भी अपने आप में सबसे अनोखी बात थी। उस रात वो दोनों झील की तरफ से आती ठंडी हवा से बचने के लिए बीच-बीच में ‘ओल्ड मंक’ के सिप ले रहे थे। यह उसने एक फ्रेंच फिल्म में देखा था जब हीरो और हीरोइन सर्द हवाओं के बीच बिना कुछ कहे एक-दूसरे का हाथ थामे, वाइन फ्लास्क से घूंट भर रहे थे। तो सिमी का हाथ पकड़ना उस फिल्म के पल को जीना था या ठंडी रात में रम का सुरूर का असर.. लेकिन केश को उम्मीद के खिलाफ अपनी इस हरकत पर कोई गिल्ट नहीं हुआ था।
कोर्स पूरा होने से पहले सबकी मंजिलें तय थीं, शहर तय थे, जिंदगी के मकसद तय थे। बैच की ज्यादातर लड़कियां शादी कर रही थीं जिनमें से सिमी भी एक थी। उसने जब केश को चहकते हुए अपनी शादी और न्यूजीलैंड शिफ्ट होने के बारे में बताया तो उसके मन से होकर न जाने कितने ख्याल गुजर गए। केश ने खुद को टटोला तो उसने पाया कि उसे इस खबर से बुरा नहीं लगा था, पर अजीब सी फीलिंग हुई थी। ऐसी फीलिंग जिसके बाद उसे अपने फेवरेट काम में भी मन नहीं लगा था। सिमी अब बाकी लोगों को यह खुशखबरी देने दौड़ चुकी थी।
करीब पांच साल बाद केश का फिर से नैनीताल आना हुआ था। बस स्टैंड पर उतरते ही उसने जब नैनी झील पर नजर डाली तो उसे तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा शहर एक एम्पिथियेटर सा लगा, जहां उसका सिमी के साथ प्ले देखने का सपना अधूरा रह गया था। सिमी? न जाने उसे नैनीताल उतरते ही सिमी क्यों याद आई थी?
कॉलेज के एल्मनाई मीट में उसकी नजरें अपने दोस्तों को खोज रही थीं कि तभी किसी ने पीछे से उसके शोल्डर पर टैप किया। वह पलटकर उसका चेहरा देखे, इससे पहले ही कोई उसके कंधों पर झूल रहा था। कर्ली हेयर से आती खुशबू से साफ था कि वह सिमी थी। कुछ पलों बाद अलग होने पर वह बोली कि चलो पहले कुछ खा लो। यहां बड़े टेस्टी गोल-गप्पे का स्टॉल लगा है।
सब दोस्तों से मिलकर अपने ग्रुप के बीच जब केश ने बताया कि वह शादी करने जा रहा है तो उसके दोस्तों ने उसे कंधे पर उठा लिया और पूरे ग्राउंड में ‘एक कुंवारा, फिर गया मारा, फंस गया देखो, ये बेचारा…’ गाते हुए चक्कर लगाने लगे। अपने ग्रुप में वही अकेला बैचलर बचा था। सबने प्लान बनाया कि बैचलर पार्टी से लेकर, बैचलर ट्रिप तक सारे अरमान केश की शादी पर ही पूरे करने हैं। सिमी ‘एक्सक्यूज मी’ बोलकर किनारे हो गई थी।
नैनीताल से अपने-अपने ठिकानों को निकलने से पहले सिमी ने शाम को केश को मैसेज कर उसी बेंच पर मिलने बुलाया था, जिस पर उन्होंने कभी बातें करते हुए पूरी रात बितायी थी और अगली सुबह लाल आंखों के साथ लेक्चर अटेंड करने कॉलेज पहुंचे थे।
एक-दूसरे की फैमिली की खोज-खबर लेने के बाद सिमी ने जो केश को कुरेदना शुरू किया तो उसने पूरी शाम ‘शादी मत करो’ के अलावा बाकी सभी बातें कह दी थीं। खीझकर केश ने वजह पूछी तो सिमी का कहना था कि उसे नहीं लगता कि अभी केश शादी, रिलेशनशिप, पार्टनरशिप के लिए मैच्योर है। केश का मुंह हैरत से खुला रह गया था। उसने भी सिमी को सीधा जवाब देने के बजाए कहा कि मैं भाई-बहनों में सबसे बड़ा हूं। बाकी सबकी शादी हो गई। बच्चे भी हैं। हमारे ग्रुप में भी सब सेटल हो गए हैं। अब मैं कितना भी इममैच्योर हूं, लेकिन अब तो शादी करनी ही पड़ेगी।
इसी अनबन के साथ दोनों ने एक-दूसरे से विदा ली। सब दोस्तों ने तीन महीने बाद होने वाली केश की शादी के लिए प्लान बनाने शुरू कर दिए थे। बाकायदा एक वॉट्सऐप ग्रुप अभी से बन गया था। जिस पर ड्रेस कोड से लेकर, बैचलर ट्रिप और बैचलर पार्टी के वेन्यू, हनीमून के सजेशन आने लगे थे। जहां केश ने ये मैसेज देखकर मुस्कुरा दिया था, वहीं सिमी ने कोई भी मैसेज सीन या रीड नहीं किया था।
एल्मनाई मीट के चार साल बाद सिमी का पहली बार केश को मैसेज आया था, जब उसे पता चला कि केश की वाइफ नैना कोविड की सेकंड वेव में नहीं रही। कोविड में हुई नैना के भाई की शादी में कई मेहमान आए थे। नैना ने पूरे टाइम दौड़ते-भागते इतना काम किया कि शादी वाले दिन थकान के चलते उससे उठा ही नहीं गया। उसने जैसे-तैसे शादी अटेंड की। रिसेप्शन में डांस करते समय उसकी सांस बेतहाशा फूलने लगी। डॉक्टर ने बताया कि नैना के लंग्स काफी वीक हो चुके हैं।
नैना ने पीपीई किट पहने केश की बाहों में ही दम तोड़ा। लास्ट तक वह मजबूत होने का दिखावा करती रही लेकिन आखिरी वक्त में उसकी कही बात- ‘मुझे अभी नहीं जाना, मुझे बचा लो’ आज भी केश के कानों में गूंजती है।
वह तीन दिन तक अपनी मौत और केश दोनों से लड़ी। उसने जाने से पहले केश से दो वादे लिए थे- ‘हमारी निशानी वंश को मेरी कमी न खलने देना’ और ‘दूसरी शादी कर लेना’। केश ने उसका मन रखने को हां बोल दिया था, लेकिन उसके लिए ये मुमकिन नहीं था कि वो दूसरी शादी करे। ये बात उसके घरवालों और दोस्तों को भी पता थी।
जो सिमी केश की शादी में इंडिया में रहते हुए नहीं आई, आज वह छह महीने में किसी तरह से वीजा क्लियरेंस करवाकर न्यूजीलैंड से उससे मिलने आई थी। काफी देर की खामोशी के बाद जब सिमी को समझ नहीं आया कि ये चुप्पी कैसे तोड़ी जाए तो उसने वंश को गोद में ले लिया। कुछ देर उसके साथ खेलने के बाद सिमी ने केश की आंखों में देखा। वहां उसे सूनेपन और सूखे के अलावा कुछ नजर नहीं आया। उसने देखा कि केश अपने दुख को कितनी खामोशी के साथ पी रहा है। उसे लगा वह शायद गलत थी जब उसने केश से कहा था कि तुम शादी के लिए मैच्योर नहीं हो। जिंदगी हमें कई सबक देती है और कई बार जो वह नहीं सिखा पाती वो किसी अपने की मौत सिखा जाती है।
घर निकलते समय केश ने सिमी का हाथ पकड़ा और कहा कि नैना से शादी के बाद मुझे हमेशा तुम्हारी कही बात याद रही कि मैं इस रिश्ते के लिए मैच्योर नहीं हूं। इसलिए मैंने हमेशा कोशिश की कि मैं कम से कम उसे इस बात का अहसास न होने दूं। मैं जिंदगी में कभी किसी से प्यार नहीं कर सका। मैंने ही खुद को कभी किसी के प्यार में पड़ने नहीं दिया। शायद आगे भी ऐसा नहीं होगा। लेकिन बीते दिनों के बारे में सोचता हूं तो तुम्हारे साथ बिताए पल मेरे लिए सबसे ज्यादा स्पेशल थे। तुम मेरी जिंदगी में पहले आई लेकिन शायद मुझे तुमको जाने नहीं देना चाहिए था। मुझे तुमसे बस एक बात का जवाब चाहिए, जब तुमने अपनी शादी की खबर दी थी, तब मैंने तुमसे कहा होता कि तुम शादी के लिए मैच्योर नहीं हो तो तुम्हारा क्या जवाब होता?
जवाब सिमी ने नहीं उसकी आंखों से निकलते पानी ने दिया था। लेकिन शायद उन दोनों में से कोई भी इतना मैच्योर नहीं था कि खारे पानी की उस भाषा को डिकोड कर पाता कि वो आंसू आखिर क्या कहना चाहते हैं…
-गीतांजलि
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