19 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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रंगों के पर्व में चटपटे पकवानों का तड़का त्योहारों का मजा और लज्जत दोनों दोगुना कर देता है। रंगों से सराबोर तन, उमंगों से भरे मन और रंग-बिरंगे स्वाद के चटकारों से मचलती जुबान को इस होली मुराबादी दाल चाट का मजा जरूर चखाएं। क्योंकि दाल मुरादाबादी न सिर्फ खाने में लजीज है बल्कि, ये पेट के लिए भी मुफीद भी है। त्योहारों में तेल मसाले से भरपूर पकवान से हटके चटकारे लें।

मुरादाबादी दाल चाट को स्नैक्स की तरह भी खाया जाता है, जो मुगलों के शाही बावर्ची खाने से निकलकर स्ट्रीट फूड की लिस्ट में शामिल हो गया। इस होली इस दाल चाट को अपने त्योहारों की पकवानों की लिस्ट में भी जरूर शामिल करें। चटपटी मसालेदार मुरादाबादी दाल चाट मूंग दाल से बनाई जाती है, जो सेहत से भरपूर है।

मुरादाबादी दाल चाट का दिलचस्प किस्सा

1624 में बने मुरादाबाद को पीतल का शहर भी कहते हैं। इतिहास के खस्ताहाल पन्नों में इस छोटे से शहर को चाट के जायके को चटपटा बनाने में महारत हासिल है। यह ऐसा शहर है जिसने उत्तर और पूर्वी भारत को कच्चे प्याज के इस्तेमाल से किसी व्यंजन को रसेदार बनाना सिखाया। इसने प्याज को चाट मसाला, मिर्च पाउडर और हरी मिर्च के साथ मिलाकर पकाने में भी मदद की और एक नया स्वाद दुनिया की जुबना को चखाया। मुरादाबाद की चटोरी गलियों में ये सारा एक्सपेरिमेंट मूंग दाल के साथ भी किया गया। जायके के इतिहास में बताया जाता है कि पहली बार सम्राट शाहजहां के साहबजादे और उनके तीसरे बेटे मुराद बख्श के शासन काल के दौरान दाल चाट मशहूर हुई।

मुगलों की थाली में जोधाबाई की रसोई की झलक

इतिहासकारों के हवाले से मुंबई के एक मशहूर होटल में शेफ विनय कुमार का मानना है कि शाहजहां के सबसे होशियार और काबिल बेटों में से एक, मुराद अपने परदादा अकबर बादशाह के नक्शे कदम पर ही चलते थे। अकबर की तरह खाने के शौकीन मुराद को राजस्थानी व्यंजन पकाने और खाने दोनों का शौक था। इसी क्रम में उनकी शाकाहारी भोजन की ओर उसकी दिलचस्पी बढ़ने लगी।

मुराद को मुरादाबादी दाल इतनी पसंद थी कि वो दिन भर में दाल का जायका थोड़ी थोड़ी मात्रा में लेते रहते। हर बार दाल को अलग फ्लेवर और ट्विस्ट देने के लिए इसमें अलग-अलग मसाले डाले जाते। दाल को चाट पाउडर, धनिया, हरी मिर्च और प्याज से गार्निश करके परोसा जाता। ऐसा कहा जाता है कि मुराद को दाल हमेशा घी की भरपूर मात्रा मिलाकर परोसी जाती।

इतिहासकारों का यह भी मानना ​​है कि यह जोधाबाई की रसोई का प्रभाव हो सकता है, जिसने शाहजहां की शाही रसोई और अन्य राज्यों में हो रहे पाक पुनर्जागरण के बावजूद, औरंगजेब और मुराद जैसे कई मुगल राजकुमारों की स्वाद कलिकाओं को आकार देना जारी रखा, और यही वजह है कि उन्होंने शाकाहारी भोजन करना शुरू कर दिया।

कई तरह से खा सकते हैं चटपटी मुरादाबादी दाल

मुरादाबादी दाल चाट को कभी भी खा सकते हैं। इसके लिए चपाती या चावल की भी जरूरत नहीं होती। इस दाल को पकाते समय जो मलाई पड़ती है वो काफी जायकेदार होती है। इसका लुत्फ मक्खन में सिखे पाव, रुमाली रोटी या प्लेन रोटी के साथ भी लिया जा सकता है। मुरादाबादी दाल चाट को भरपेट खाया जा सकता है क्योंकि यह सभी दालों में सबसे हल्की मानी जाती है।

कैसे बनाई जाती है मुरादाबादी दाल चाट

मुरादाबादी दाल चाट की गिनती स्ट्रीट फूड में होती है। कई तरह की सब्जियों और मसालों के साथ प्रोटीन से भरपूर पीली मूंग दाल से बनाया जाता है। इसे खुले पैन या प्रेशर कुकर में पारंपरिक विधि का इस्तेमाल करके बना सकते हैं।

टॉपिंग के लिए इसमें मूली, प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों और घर में बने मुरादाबादी दाल मसाला डालते हैं। इसके ऊपर कुरकुरी पापड़ी डालते हैं। सब्जियों में खट्टापन, पापड़ी में कुरकुरा पन और दाल में भरपूर स्वाद होता है, जो इस दाल चाट को और ज्यादा जायकेदार बना देती है। मुरादाबादी दाल चाट को पतझड़ और सर्दियों के मौसम में खानपान के शौकीन चाव से खाते हैं।

न्यूट्रिशन से भरपूर मुरादाबादी दाल चाट

दाल मुरादाबादी जितनी खाने में स्वाद भरी होती है उतनी ही पौष्टिक भी होती है। इसे बनाने के लिए धुली मूंग दाल का इस्तेमाल किया जाता है। मूंग दाल में करीब करीब सभी जरूरी तत्व होते हैं, जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और आयरन। इन्हीं सब गुणों की वजह से मुरादाबादी दाल की चाट अपने आप में एक खास है।

चटपटी होती है दाल मुरादाबादी

फूड ब्लॉगर राहुल भारद्वाज कहते हैं कि पहले मुरादाबादी दाल चाट सिर्फ मुरादाबाद में ही मिलती थी। लेकिन अब कई शहरों में इस दाल के स्टॉल देखे जा सकते हैं। मुरादाबादी दाल ऐसी चटपटी और न्यूट्रिशन से भरपूर डिश है जिसके बिना पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शादी-विवाह जैसे समारोहों और त्योहारों के व्यंजन अधूरे माने जाते हैं। दाल मुरादाबादी चाट का जायका बहुत ही मजेदार होता है। मुरादाबाद के लोग अपने मेहमानों की खातिरदारी में भी दाल चाट को शामिल करते हैं।

मेरठ में मुरादाबादी दाल चाट को और ज्यादा लजीज बनाने के लिए इसे मिट्टी के कुल्लड़ में सर्व किया जाता है। जैसे जैसे ये दाल चाट मुरादाबाद से निकलकर दूसरे शहरों तक पहुंची इसका रंग रूप और स्वाद बढ़ता जा रहा है।

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