1 दिन पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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रंगों का त्योहार होली पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। होली से एक रात पहले होलिका दहन करने की परंपरा है। जिस दिन होलिका दहन होता है उस दिन आग जलाने के लिए गाय के गोबर के उपलों का इस्तेमाल किया जाता है और साथ ही गाय के गोबर से ही होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाई जाती है। धार्मिक दृष्टिकोण से गाय में देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए इसकी पूजा करने का विधान है। लेकिन, सिर्फ गाय ही नहीं, बल्कि गोमूत्र और गोबर को भी पवित्र माना गया है।

गाय के गोबर के उपले का इस्तेमाल खाना बनाने से लेकर पूजा-पाठ, अनुष्ठान और हवन के कार्यों में किया जाता है। इतना ही नहीं किसी स्थान की शुद्धि के लिए भी उस जगह को गाय के गोबर से लेप किया जाता है। होलिका दहन के दिन गाय के गोबर से बने कंडे या उपलों को जलाना शुभ माना जाता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है। होलिका दहन पर अग्नि की परिक्रमा सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। आयुर्वेदाचार्य डॉ. आर पी पराशर से उपले जलाने के फायदे के बारे में जानते हैं।

गाय के गोबर में विटामिन बी12 होता है

गाय के गोबर से बायोगैस तैयार की जाती है जिसके अपने फायदे हैं लेकिन होलिका दहन के मौके पर जलने वाले उपले की राख के आयुर्वेद में कई फायदे बताए गए हैं। गाय के गोबर में विटामिन बी12 पाया जाता है। होलिका दहन में कंडों के साथ आम, पलाश, बरगद, पीपल की पत्त‍ियों को भी हवन में डाला जाता है।

कंडे के धुएं में मच्छर भागेंगे दूर

मौसम बदल रहा है। सब कुछ खिला खिला है। इस समय मच्छरों की संख्या भी बढ़ गई है। इन्‍हें भगाने के लिए गोबर के उपले का इस्तेमाल करते हैं। होलिका दहन की पूजा में इस्तेमाल किए कंडों को घर के किसी कोने या कमरे में रख सकते हैं। पूजा के बाद आसपास के वातावरण में कीड़े और मच्छर जल जाते या भाग जाते हैं। वातावरण शुद्ध होता है।

गोबर के कंडे के छोटे टुकड़े को जलाकर उसका धुंआ पूरे कमरे में कर दें। इस धुंए से मच्छर और कीड़े दूर भागते हैं। अब तो बाजार में भी गाय की गोबर से बनी धूपबत्ती मिलती है। जिसे इस्तेमाल करना भी आसान है। इससे मच्छर, मक्खी, मकड़ी कमरे में नहीं आएंगे।

वातावरण शुद्ध करता गोबर का कंडा

डॉ. पराशर का कहना है कि उपले जलाने के बाद उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे वातावरण शुद्ध होता है। होलिका दहन के बाद कई लोग साफ हवा महसूस करते हैं। हालांकि जिन लोगों को अस्थमा या सांस की बीमारी है उन्हें किसी भी तरह के धुएं से बचने की सलाह दी जाती है।

जलन में राख का इस्तेमाल

गाय के गोबर से बने उपलों की राख से त्वचा की जलन में राहत मिलती है। राख को मक्खन में लगाकर प्रभावित जगह पर लगाए या मच्छर काटने पर इसे लगाएं तो जलन से आराम म‍िलेगा। खुजली दूर करने के लिए भी राख का इस्तेमाल किया जाता है।

उपले की राख से दांत चमकाएं

उपले की राख को घर ले जाकर रोजाना टूथपेस्ट में मिलाकर इससे मंजन करें। दांत साफ हो जाएंगे क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, ये दांतों के लिए हेल्दी माना जाता है। लेकिन अगर दांतों में किसी तरह की परेशानी है तो डेंटिस्ट से सलाह लेकर ही इस्तेमाल करें।

गोबर कंडे का धार्मिक महत्व

माना जाता है कि साधु-संत मिट्टी और गाय के गोबर से ही स्नान करते थे। धार्मिक कार्यों में भी गोबर से भूमि को लेप कर शुद्ध किया जाता था। धार्मिक मान्यता है कि गाय के गोबर में माता लक्ष्मी का वास होता है। शास्त्रों में गाय के मुख वाले भाग को अशुद्ध और पीछे वाले भाग को शुद्ध माना गया है, इसलिए गाय के गोबर, गोमूत्र और दूध सभी फायदेमंद होते हैं।

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