नई दिल्ली21 घंटे पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा

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हर शादीशुदा महिला को मां बनने का बेसब्री से इंतजार होता है लेकिन मां बनने के लिए इंतजार नहीं, सही प्लानिंग की जरूरत होती है। मां बनना महिला के अपने हाथ में है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि उसे प्रेग्नेंट होने का सही समय पता चले। अगर उसे अपने ओव्यूलेशन की जानकारी होगी, तभी अपने हिसाब से प्रेग्नेंसी प्लान करना उसके लिए आसान होगा।

ओव्यूलेशन का समय बताने के लिए आजकल बाजार में कई तरह के किट और डिवाइस मौजूद हैं। हर महिला को यह जानना जरूरी है कि ओव्यूलेशन क्या होता है?

ओव्यूलेशन यानी ओवरी से एग का यूट्रस तक पहुंचना

दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में गायनेकॉलोजिस्ट डॉ. रूमा सात्विक कहती हैं कि हर महीने महिलाओं के ओवरी से एग रिलीज होता है और इसकी जानकारी उन्हें अपनी मेंस्ट्रुअल साइकिल के हिसाब से पता चल सकती है। जिस दिन से पीरियड्स शुरू होते हैं, उस दिन से मेंस्ट्रुअल साइकिल की गिनती शुरू होती है। यह साइकिल 26 से 35 दिन की होती है। लेकिन हर महिला में यह अलग-अलग भी हो सकती है। कुछ महिलाओं में यह प्रक्रिया 26 दिन, किसी में 28 तो कुछ की 35 दिन की होती है।

महिलाओं में एग मेंस्ट्रुअल साइकिल के बीच में बनता है। यानी अगर किसी का मासिक चक्र 28 दिन का है तो 14वें दिन पर एग बनेगा।

जिस दिन एग बनता है, वह ‘ओव्यूलेशन डे’ होता है। एग 12 से 24 घंटे तक बॉडी में रहता है। इस समय संबंध बनाने पर एग फर्टाइल हो जाता है और प्रेग्नेंसी ठहरती है।

जहां एग महिला के शरीर के 12 से 24 घंटे तक रहता है, वहीं उनके शरीर में स्पर्म 3 दिन तक रहता है। अगर किसी महिला का ओव्यूलेशन पीरियड 3 दिन बाद शुरू हो रहा हो, तब भी स्पर्म सर्विक्स यानी गर्भाशय ग्रीवा में रहेगा। ऐसे में भी महिला आसानी से प्रेग्नेंट हो सकती है।

प्रेग्नेंसी की तरह ओव्यूलेशन किट

गायनेकॉलोजिस्ट डॉ. मीरा पाठक कहती हैं कि जिस तरह आजकल बाजार में प्रेग्नेंसी टेस्ट किट बिक रही हैं, वैसे ही ओव्यूलेशन किट भी मौजूद हैं। इस किट पर भी यूरिन का टेस्ट करना होता है। जब महिला के ओव्यूलेशन के दिन करीब हों तो लगातार कुछ दिन टेस्ट करना चाहिए। अगर ओव्यूलेशन नहीं होता तो एक पिंक कलर की लाइन आती है।

2 लाइन बने तो इसका मतलब है कि यूट्रस में एग बन रहा है यानी ओव्यूलेशन शुरू हो चुका है।

दरअसल, इस किट के जरिए यूरिन में एलएच यानी ल्यूटिनाइजिंग नाम का हॉर्मोन की जांच हाेती है जो केवल ओव्यूलेशन के समय ही रिलीज होता है। इस किट से 15 मिनट के अंदर रिजल्ट मिल जाता है।

जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड या पीसीओएस की दिक्कत हो, ओव्यूलेशन किट उनकी मां बनने में काफी मदद करती है।

बड़े काम का फर्टिलिटी मॉनिटर डिवाइस

फर्टिलिटी मॉनिटर डायबिटीज नापने वाली मशीन जैसा डिवाइस है। इस पर भी ल्यूटिनाइजिंग (LH) और एस्ट्रोजन नाम का हार्मोन डिटेक्ट किया जाता है। इस डिवाइस को स्ट्रिप से कनेक्ट किया जाता है जिस पर यूरिन लगाया जाता है।

इस डिवाइस से 99% नतीजा सही आता है। इस डिवाइस से प्रेग्नेंसी को भी जांचा जा सकता है। इसके साथ स्ट्रिप्स अलग से खरीदनी पड़ती हैं।

इस पर महिलाओं की पर्सनल डिटेल और 6 मेंस्ट्रुअल साइकिल का डेटा रिकॉर्ड होता है।

स्लाइवा टेस्ट से भी जांच

शरीर में एग कब बनने वाला है, इसकी जांच स्लाइवा यानी लार से भी की जाती है। इस किट में स्लाइवा लगाकर टेस्ट होता है। यह टेस्ट शरीर में एस्ट्रोजन नाम के हॉर्मोन का लेवल चेक करता है।

दरअसल, एस्ट्रोजन का लेवल शरीर में ओव्यूलेशन से पहले और एलएच हॉर्मोन के बढ़ने से पहले बढ़ता है। यह टेस्ट ब्रश करने या खाने पीने से पहले करना चाहिए।

इन्ट्रावजाइनल फर्टिलिटी मॉनिटर

महिलाओं के ओव्यूलेशन को जांचने के लिए एक डिवाइस ऐसा भी है जो 8 दिन के फर्टाइल पीरियड की जानकारी देने के साथ ही ओव्यूलेशन होने के 24 घंटे पहले नोटिफिकेशन भी भेजता है। इस डिवाइस को ‘इन्ट्रावजाइनल फर्टिलिटी मॉनिटर’ कहते हैं जिसे प्राइवेट पार्ट में फिक्स किया जाता है और यह प्रोजेस्ट्रोन के लेवल की मदद से मेंस्ट्रुअल साइकिल को रिकॉर्ड करता है। प्रोजेस्ट्रोन का लेवल ओव्यूलेशन के बाद तुरंत बढ़ जाता है।

यह डिवाइस हर 5 मिनट में बॉडी टेंपरेचर चेक कर मोबाइल एप्लिकेशन पर डेटा भेजता रहता है।

यह डिवाइस उन महिलाओं के लिए बेहद मददगार है जिनकी मेंन्स्ट्रुअल साइकिल गड़बड़ रहती है। चूंकि यह मॉनिटर वजाइना में लगाया जाता है इसलिए कुछ महिलाएं इससे असहज महसूस कर सकती हैं। यह डिवाइस महंगा भी है। बाजार में इसकी कीमत 40 हजार रुपए से शुरू है।

थर्मामीटर भी बताता प्रेग्नेंट होने का सही समय

ओव्यूलेशन को जांचने के लिए आजकल डिजिटल बेसल थर्मामीटर भी खूब पॉपुलर हैं। यह थर्मामीटर बेसल बॉडी टेंपरेचर को नापता है। बुखार की जांच की तरह ही इस थर्मामीटर को जीभ के नीचे रखना होता है।

बेसल बॉडी टेंपरेंचर का मतलब है शरीर का वह तापमान, जब वह पूरी तरह आराम कर रहा हो यानी रात के समय। एक स्त्री के शरीर का तापमान ओव्यूलेशन के आसापास आधे से 1 डिग्री फेरनहाइट तक बढ़ जाता है। शरीर का यह तापमान कम से कम 3 दिन तक बढ़ा हुआ मिलता है। इसलिए जो महिला फैमिली प्लानिंग कर रही हैं, उन्हें रोज अपना बॉडी टेंपरेचर जांचना चाहिए।

ओव्यूलेशन डिजिटल कैलेंडर से खुद को रखें अपडेट

किसी किट और डिवाइस के बिना भी महिलाएं अपने ओव्यूलेशन का हिसाब रख सकती हैं। इसके लिए मोबाइल पर ओव्यूलेशन कैलेंडर ऐप डाउनलोड करने की जरूरत होगी। यह कैलेंडर मेंस्ट्रुअल साइकिल को रिकॉर्ड करता है। इन ऐप्स के जरिए महिलाओं को पता चल जाता है कि ओव्यूलेशन कब होगा। इस कैलेंडर में पीरियड कब-कब आए और फर्टाइल का दिन कब होगा, सब मॉनिटर होता रहता है। यह कैलकुशन महिलाएं अपने घर की दीवार पर लगे कैलेंडर पर लिखकर भी कर सकती हैं। हमेशा अपनी मेंस्ट्रुअल साइकिल को पीरियड के पहले दिन से कैलकुलेट करें।

महिलाएं ओव्यूलेशन से अनजान

भारत में सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण महिलाएं अपने शरीर को ही समझ नहीं पातीं। ‘नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन’ में पब्लिश एक रिसर्च के अनुसार भारत में 85% महिलाओं को अपने ओव्यूलेशन और मेंस्ट्रुअल साइकिल की जानकारी नहीं।

वहीं, ‘नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4’ के आंकड़े कहते हैं कि देश की 83% महिलाएं अपनी ओव्यूलेशन साइकिल से अनजान हैं यानी 5 में से 1 महिला को ही इसके बारे में पता है।

उम्र का भी रखें ध्यान

ओव्यूलेशन के डिवाइस 98 से 99% तक सही रिजल्ट दिखाते हैं लेकिन इसके साथ ही डॉक्टरों की सलाह भी जरूरी है।

जो महिलाएं 35 साल से कम उम्र की हैं और मां बनने का लंबे समय से इंतजार कर रही हैं या जो महिलाएं 35 साल से ज्यादा हैं और पिछले 6 महीने से मां बनने में असफल हो रही हैं या फिर जो 40 के पार है और 3 महीने से प्रेग्नेंट नहीं हो पा रही हैं, उन्हें डॉक्टर से अपनी जांच जरूर करानी चाहिए।

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