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नई दिल्ली4 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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मौसम इश्किया है। मौका भी है और दस्तूर भी। अपनी मोहब्बत की तलाश हर किसी को है कि शायद कहीं कोई बात बन जाए। अगर खामोशी आपकी कमी और दिलफेंक मिजाज आपकी खूबी है तो यह समय दिलफेंक बनने का है। क्योंकि दिलफेंक अंदाज ही फ्लर्टिंग कहलाती है।

जो व्यक्ति जिस खूबी और खामोशी के साथ अपने दिल की बात सामने वाले तक पहुंचाता है वही परफेक्ट फ्लर्ट कहा जाता है। वक्त के दामन में गुंजाइश कम है, कहीं कोई दूसरा आपकी मोहब्बत न ले उड़े, इसलिए बिना समय गंवाए दिल की बात कह डालिए, क्योंकि कभी-कभी फ्लर्टिंग बड़े काम की और हेल्पफुल साबित होती है।

मसला ये भी है कि दिल की बात सामने वाले तक कैसे पहुंचाई, समझाई या महसूस कराई जाए। इसका पहला पायदान भी फ्लर्टिंग ही है। फ्लर्टिंग का नाम लेते ही पहले लोगों के मन में व्यक्तित्व की जो तस्वीर उभरती थी वो उसके ‘छिछोरे’ होने का अहसास दिलाती थी।

माना कि इसके कुछ नेगेटिव पहलू भी होते हैं, लेकिन आज वक्त ने फ्लर्टिंग के मायने ही बदल दिए हैं। फ्लर्टिंग पर्सनैलिटी की पॉजिटिव क्वालिटी की तरह देखे जाने लगी है।

सिक्के का दूसरा पहलू देखें तो जिंदगी में रोमानियत भरने, चेहरे पर रौनक लाने, मूड को खुश मिजाज बनाने में फ्लर्टिंग मददगार है। यूं कहिए कि फ्लर्टिंग व्यक्ति को साइकोलॉजिकली और मेंटली फिट रखती है और यह स्ट्रेस बस्टर भी है।

लोग फ्लर्ट क्यों करते?

कॉलेज में लड़के लड़कियां आपस में एक दूसरे से छेड़छाड़ करते रहते हैं। वो कहीं न कहीं उम्र और लड़कपन की निशानी है।

रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. के. आर. धर कहते हैं कि लड़का हो या लड़की फ्लर्टिंग पर्सनैलिटी की कुंठाओं को खत्म करती है जिससे आगे चलकर आपकी पर्सनैलिटी खुलती है और हीनभावना खत्म होती है।

महिला या पुरुष से आगे बढ़कर बात करने की कला विकसित होती है जिससे कम्युनिकेशन को बेहतर बनाने और करियर में मदद मिलती है।

ऑफिस में फ़्लर्ट करने वाले जिंदादिल माने जाते हैं। ऑफिस टाइम में काम के साथ अपने कलीग के साथ हल्का-फुल्का मजाक माहौल को स्ट्रेस फ्री बनाता है। हर इंसान चाहता है कि लोग उसे नोटिस करें, उनके जोक्स पर ठहाके लगाएं, उनकी तारीफ करें। ऐसे में हेल्दी फ़्लर्टिंग बेहतर ऑप्शन है, जिससे स्ट्रेस कोसो दूर रहता है।

वहीं साइकोलॉजिस्ट योगिता कादियान कहती हैं कि फ़्लर्टिंग डिप्रेशन के खतरे से भी बचाती है। ये आदत तभी पॉजिटिव बनती है जब दो लोग आपस में कंफर्टेबल महसूस करें।

फ्लर्ट करने वाला और जिसके साथ फ्लर्टिंग की जा रही, दोनों का स्वभाव हंसमुख हो और मजाक समझते हों।

हेल्दी फ्लर्टिंग पर रिसर्च क्या कहती है?

वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी ने ऑफिस में फ्लर्टिंग के पॉजिटव और हेल्दी असर को लेकर अध्ययन किया। इस रिसर्च में पाया गया कि फ्लर्टिंग ‘पॉजिटिव सोशल सेक्शुअल बिहैवियर’ है जो सेक्शुअल हैरमेंट से बिल्कुल अलग है।

ताकतवर पोजिशन पर बैठे लोग भद्दे मजाक या इशारे करते हैं जो सेक्शुअल हैरमेंट के दायरे में आता है और कर्मचारियों के बीच स्ट्रेस की वजह बनता है।

असिस्टेंट प्रोफेसर लेह शेपर्ड ने अपने रिसर्च में कहा कि वर्क प्लेस पर इस तरह का छोटा मोटा फ्लर्ट देखने को मिलता है, और यह नुकसानदेह भी नहीं है।

स्टडी में यह भी बात सामने आई कि कई बार फ्लर्टिंग का बर्ताव कुछ लोगों को पसंद नहीं आता, बावजूद वे उसे सेक्शुअल हैरमेंट की तरह नहीं देखते। लेकिन यह समझना जरूरी है कि हेल्दी फ्लर्टिंग स्ट्रेस नहीं देती। फ़्लर्टिंग तनाव को कम करके दिल को खुशी देती है। जबकि सेक्शुअल हैरसमेंट टेंशन और डिप्रेशन की ओर धकेलता है।

यह रिसर्च अमेरिका, कनाडा और फिलीपींस की कंपनियों के कर्मचारियों के बीच की गई। इस रिसर्च में मी-टू झेल चुके कर्मचारी भी शामिल थे। शोध में शामिल ज्यादातर कर्मचारी यौन उत्पीड़न के बारे में पूछे जाने पर चुप्पी साधे रहे। लेकिन वर्क प्लेस पर फ़्लर्टिंग के बारे में उनका नजरिया पॉजिटिव देखने को मिला।

फ्लर्टिंग का लोग लुत्फ लेते हैं क्योंकि इसके कुछ फायदे भी हैं। इसमें व्यक्ति को खुद को लेकर अच्छा महसूस होता है, जो उसे स्ट्रैस फ्री करता है और नींद भी अच्छी आती है। इस रिसर्च की मजेदार बात ये थी कि कर्मचारी फ्लर्टिंग पर स्टडी को लेकर खुश थे जबकि बॉस की पोजिशन पर बैठे लोग नाखुश नजर आए।

फ्लर्टिंग से मेंटल हेल्थ का भी रिश्ता

योगिता कादियान कहती हैं कि फ्लर्टिंग सेल्फ एस्टीम बूस्टर की तरह काम करती है और कॉन्फिडेंस हाई होता है। यह दुनिया को देखने-समझने का जरिया भी बनती है। विचारों का आदान-प्रदान भी बेहतर होता है।

लड़के का फ्लर्ट करना, लड़की का शर्माना

एक खूबसूरत लड़की के साथ फ्लर्टिंग करना जरा मुश्किल है। फ्लर्टिंग करना तब आसान बन जाता है, जब इसकी सही कला आती हो। कॉन्फिडेंस से आगे बढ़ना सबसे ज्यादा जरूरी है। सामने वाले को एक मजबूत और पॉजिटिव पर्सनैलिटी आकर्षित करती है जिसमें छिछोरापन और हल्कापन बिल्कुल न हो।

लड़की का फ्लर्ट, लड़के का झेपना

एकतरफा प्यार हमेशा परेशानी पैदा करता है। लड़कियां खुलकर अपनी फीलिंग्स नहीं बतातीं और आधे-अधूरे संकेत देती हैं, जिसे लड़के आसानी से समझ नहीं पाते। ये संकेत इतने उलझे होते हैं कि लड़का इस कशमकश में रहता है कि यह सिर्फ दोस्ती है या इससे भी कुछ ज्यादा।

शादियों में भी फ्लर्टिंग

फ्लर्टिंग का बेहतरीन उदाहरण शादियों में होने वाला हंसी मजाक है। शादी के मौके पर हमउम्र लड़के-लड़कियां एक दूसरे के साथ फ्लर्टिंग करते नजर आते हैं। हंसी मजाक के साथ साथ एक दूसरे पर खूब तानाकशी भी की जाती है। कई बार यही खट्टी मीठी नोकझोंक और शरारतें एक और मंडप सजाने की तैयारी कर देती हैं।

दुल्हन की सहेलियों पर अक्सर दूल्हे के दोस्तों की नजर रहती है। दुल्हन की सहेली होने का मतलब है कि लड़की पूरे दिन फोकस में है। रस्मों रिवाज के वक्त दुल्हन के साथ सबसे आगे होने पर ये चमकती आंखें और निहारती भटकती नजरें कोई भी आसानी से पकड़ सकता है। इस फ्लर्ट का खूबसूरत अंजाम शादी होती है।

फ्लर्ट कब बन जाता भद्दा और सेक्शुअल हैरमेंट

रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. धर चेतावनी के तौर पर कहते हैं कि कंधे पर हाथ रखना, रंग-रूप की तारीफ करना, साथ में कॉफी पीने के लिए इनवाइट करना आज पॉजिटिव फ्लर्टिंग बन चुका है।

लेकिन यह सही वक्त और इंसान को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। क्योंकि परिस्थितियां गलत होने पर यह मी-टू की शक्ल भी ले सकती है। फ्लर्टिंग एक सुखद और मीठा अहसास है जिसका गलत इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

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