4 घंटे पहलेलेखक: कमला बडोनी

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उनकी जिंदगी में कोरोना और मेनोपॉज दोनों एक साथ धमके। दोनों ने मिलकर उनका वजन 20 किलो बढ़ा दिया जिससे उनका कॉन्फिडेंस बुरी तरह बिखरने लगा। सीढियां चढ़ने या सामान उठाने में सांस फूलने लगती, उनकी बॉडी उनका साथ छोड़ने लगी। हैंडबैग लेकर सीढ़ी चढ़ना भी दूभर लगता। उनका शरीर मोटापे से त्राही त्राही करने लगता और वह मन ही मन रोती, क्योंकि वो ऐसी असहाय जिंदगी नहीं जीना चाहती थीं। उन्होंने वजन घटाने की ठानी। 6 महीने में 20 किलो वजन कम करके सबको चौंका दिया। ‘ये मैं हूं’ में जानिए ‘फैट टू फिट’ मिशन पर जुटीं मंजरी भागवत की छरहरी कहानी।

वजन बढ़ने से घटा कॉन्फिडेंस

मेरा शरीर बेकाबू हो गया था और मैं हाय हाय करने लगी। उम्र ने मेनोपॉज की घंटी बजा दी थी। साथ ही कोरोना की माहमारी ने खाने और सोने की आदत डाल दी थी। सुस्ती सिर चढ़कर बोलती। मुंह पर मास्क क्या चढ़ा, शरीर पर मोटापा चढ़ गया, वजन आउट ऑफ कंट्रोल होने लगा। हार्मोनल बदलाव की चापेर्ट में मन और शरीर दोनों आ गए। ऐसा लगा मानो घर में मैं कैद हो गई और शरीर मोटापे से कैद हो गया। 20 किलो वजन बढ़ने के बाद मेरी पूरी पर्सनैलिटी ही बदल गई। मेरे कॉन्फिडेंस की बत्ती गुल हो गई। घर में कोई सामान उठाना हो या ऊपर से कोई सामान उतारना, मुझे हर काम के लिए बच्चों की मदद लेने की जरूरत पड़ने लगी ।

मंजरी भागवत ने 20 किलो वजन घटाकर खुद को पूरी तरह बदल दिया

मंजरी भागवत ने 20 किलो वजन घटाकर खुद को पूरी तरह बदल दिया

मैं खुद को बदलना चाहती थी

मैं अपने मोटे शरीर से खुश नहीं थी। मैं खुद को बदलना चाहती थी, लेकिन 50 की उम्र के बाद मैं जिम भी नहीं जाना चाहती थी इसलिए मैंने ऑनलाइन फिटनेस क्लास जॉइन की। 80% डाइट और 20% एक्सरसाइज से मेरा वजन घटने लगा। मुझे बार बार खाने की इच्छा होती थी, लेकिन मेडिटेशन से मुझे अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल करना आ गया। उसके बाद मेरी इमोशनल ईटिंग की आदत छूट गई और मैं पूरी तरह से अपनी सेहत को लेकर अलर्ट हो गई।

ऐसे कम किया 20 किलो वजन

मैं सुबह 4 से 5 बजे के बीच अपना फोकस बढ़ाने के लिए 10-१५ मिनट मेडिटेशन करती हूं। एक्सरसाइज से पहले भीगे बादाम और अखरोट खाती हूं। उसके बाद 40 मिनट एक्सरसाइज करती हूं। ब्रेकफास्ट में अंडा, स्प्राउट्स और फ्रूट खाती हूं। लंच में दाल, सब्जी, रोटी, दही, सलाद और कभी कभी माड निकाला हुआ चावल भी खा लेती हूं।

शाम को भूख लगने पर छाछ, फल, बीज या अंकुरित दाल का नाश्ता करती हूं। शाम में 7 से ७.३० तक रात का खाना खाकर पेट को आराम करने देती हूं । दिनभर में खूब पानी पीती हूं। शाम को आधा घंटा वॉक करती हूं। आठ घंटे सोती हूं। हफ्ते में 6 दिन एक्सरसाइज करती हूं। इस तरह मैंने शुरू के एक महीने में 4 किलो और 3 महीने में 10 किलो वजन कम किया।

3 महीने बाद वजन कम होना रुक गया

10 किलो वजन कम होने के बाद मोटापा घटने की सुई अटक गई और मैं फिर से परेशान हो गई। मेडिटेशन, एक्सरसाइज, कम और टाइम पर खाना सब जारी था, लेकिन मोटापे की सुई नीचे उतरने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैं खुद को कोसने लगी। लेकिन कब तक ऐसा चलता। सब कहते ‘बस भी करो’ 10 किलो घटा तो लिया। मैं कहती ‘और…. अभी और कम करना है’।

मैं समझ गई कि अब मुझे और ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। मैंने एक्सरसाइज बदली, पहले से ज्यादा मेहनत की, तब कहीं जाकर मैं 6 महीने में 20 किलो वजन घटा पाई।

मैं हवा में उड़ने लगी, क्योंकि मोटापा मेरी मुट्ठी में था और मैं उसे हारने में कामयाब हो चुकी थी।

फिटनेस के फायदे

20 किलो वजन घटाने के बाद मैं पूरी तरह बदल गई। अब मैं पहले की तरह नहीं थकती। मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ चुका है। मेरे फ्रेंड्स और रिश्तेदार मेरा ट्रांसफॉर्मेशन देखकर हैरान हैं। मैं अब मोटापे से तौबा कर चुकी हूं।

मुझमें आया बदलाव देखकर मेरे फ्रेंड्स भी मेरे जैसा बनने की चाहत रखने लगे। उन्होंने मुझसे एक्सरसाइज सिखाने को कहा। मुझे ये काम अच्छा लगा। अपनी फिटनेस के लिए तो मैं मेहनत कर ही रही थी, फिर फ्रेंड्स के साथ एक्सरसाइज करने में ज्यादा मजा आने लगा।

मैंने ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी

धीरे-धीरे मेरी ऑनलाइन क्लासेस लेकर बात होने लगी। मुझसे एक्सरसाइज सीखने के लिए लोग फोन करते। इस तरह मेरे ऑनलाइन फिटनेस क्लास की शुरुआत हुई और इस तरह ‘फैट टू फिट’ ऑनलाइन क्लास चल निकली। मोटापा मुझे बाया बाय कहकर चला गया और तोहफे में ‘फैट टू फिट’ ऑनलाइन क्लासेस दे गया। मैं खुद फिटनेस ट्रेनर बन गई। अब मैं ऑनलाइन योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज सिखाती हूं। मेरी ऑनलाइन क्लासेस में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं हैं। ये देखकर अच्छा लगता है कि महिलाएं अब फिटनेस को लेकर अलर्ट हुई हैं और अपने शरीर पर ध्यान देने लगी हैं जो पहले नहीं था।

महिलाएं जागरूक हो रही हैं

छोटे शहरों की महिलाएं भी अब फिटनेस को लेकर जागरूक हो गई हैं। ऑनलाइन क्लासेस का फायदा ये है कि महिलाएं घर पर रहते हुए एक्सरसाइज का टाइम निकाल ही लेती हैं। इससे उन्हें सुविधा मिलती है और खुद पर ध्यान देने का समय भी मिल जाता है। एक दूसरे को देखकर महिलाएं मोटिवेट होती हैं और अपनी फिटनेस पर फोकस करती हैं।

खुद फिट होने के बाद अब मंजरी भागवत लोगों को फिटनेस ट्रेनिंग देती हैं

खुद फिट होने के बाद अब मंजरी भागवत लोगों को फिटनेस ट्रेनिंग देती हैं

महिलाओं के लिए एक्सरसाइज जरूरी

हर उम्र में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसका उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। ऐसे में योग, मेडिटेशन, एक्सरसाइज और सही डाइट से महिलाएं हर उम्र में स्वस्थ और आकर्षक रह सकती हैं।

लाइफस्टाइल बदल कर बीमारियां रोकें

लड़कियों में पीसीओएस की समस्या बढ़ती जा रही है। उनके पीरियड्स रेगुलर नहीं रहते। ऐसी लड़कियां जब मेरी क्लास जॉइन करती हैं तो सबसे पहले मैं उन्हें लाइफस्टाइल बदलने को कहती हूं। योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज के अलावा सही डाइट, पानी ज्यादा पीना, जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना जरूरी है। मेरी क्लासेस में आने के बाद कई लड़कियां पीरियड्स नॉर्मल होने की बात शेयर करती हैं।

मंजरी भागवत फिट रहने के लिए अक्सर ट्रैकिंग के लिए जाती हैं

मंजरी भागवत फिट रहने के लिए अक्सर ट्रैकिंग के लिए जाती हैं

बॉडी-माइंड-सोशल फिटनेस जरूरी

मैं फिटनेस को तीन तरह से देखती हूं। मुझे लगता है कि फिटनेस को बॉडी और माइंड के साथ सामाजिक स्तर पर भी देखा जाना चाहिए। खुद फिट होने के साथ साथ अपने आसपास के लोगों को फिटनेस के लिए प्रोत्साहित करना भी जरूरी है। इससे फिटनेस को लेकर जागरूकता बढ़ती है और बीमारियां दूर रहती हैं।

फिट लोगों का कॉन्फिडेंस अपने आप बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को समाज के लिए भी काम करना चाहिए। मैं ऑनलाइन क्लासेस के अलावा कई इवेंट्स, स्कूल में भी योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज सिखाती हूं।

मैं लोगों से जल्दी घुलमिल जाती हूं

मेरा बचपन मध्यप्रदेश के अलग अलग शहरों में बीता। पापा पीडब्ल्यूडी में थे तो हम तीन बहनों और भाई को अलग अलग स्कूलों में पढ़ने का मौका मिला। इसका फायदा ये हुआ कि हम किसी भी माहौल में बहुत जल्दी घुलमिल जाते। किसी से भी मिलने से हिचकिचाते नहीं।

मंजरी भागवत पति के साथ अक्सर सैर पर निकल जाती हैं

मंजरी भागवत पति के साथ अक्सर सैर पर निकल जाती हैं

हमेशा कुछ नया सीखना चाहती

मैं पढ़ाई में बहुत अच्छी थी और कुछ नया सीखना को तैयार रहती। एमएससी करने के बाद मैंने फार्मा कंपनी में काम किया, लेकिन शादी के बाद काम नहीं कर पाई। पति की ट्रांसफरेबल जॉब थी इसलिए जॉब छोड़नी पड़ी। दोनों बच्चे होने के बाद मैं घर की जिम्मेदारियों और बच्चों की परवरिश में बिजी हो गई।

प्रेग्नेंसी के दौरान मैंने वेब डिजाइनिंग का कोर्स किया। 40 की उम्र के बाद योग क्लास जॉइन की और योग सिखाने लगी।

कुछ नया सीखने और करने की कोई उम्र नहीं होती। किसी भी उम्र में नया सीख सकते हैं और कोई नई शुरुआत कर सकते हैं। आप भी कुछ नया करके देखिए!

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