नई दिल्ली22 मिनट पहले

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इंडियन नेवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तस्वीर शेयर कर 12 घंटे तक चलाए गए ऑपरेशन की जानकारी दी। - Dainik Bhaskar

इंडियन नेवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तस्वीर शेयर कर 12 घंटे तक चलाए गए ऑपरेशन की जानकारी दी।

इंडियन नेवी के वॉरशिप INS सुमेधा ने शुक्रवार (29 मार्च) को ईरानी फिशिंग वेसल अल-कंबर से 23 पाकिस्तानी नागरिकों को समुद्री लुटेरों से रेस्क्यू किया। नेवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया कि शुक्रवार शाम को उनकी टीम को हिंद महासागर में अदन की खाड़ी के पास जहाज के हाईजैक होने की सूचना मिली थी।

जहाज में सोमालिया के 9 समुद्री लुटेरे मौजूद थे। सूचना के बाद नेवी की टीम ने 12 घंटे तक ऑपरेशन चलाया और लुटेरों को सरेंडर करने के लिए मजबूर किया। फिलहाल नेवी की टीम जहाज की जांच कर रही है। इसके बाद इसे सुरक्षित जगह ले जाया जाएगा।

हाईजैक की पिछली 4 घटनाएं….

15 मार्च: भारतीय नौसेना ने 40 घंटे में बचाया माल्टा में हाईजैक हुआ जहाज

भारतीय नौसेना ने 3 महीने पहले 14 दिसंबर को अदन की खाड़ी में हाईजैक हुए जहाज MV रुएन को बचाने का ऑपरेशन 15 मार्च को पूरा किया। ऑपरेशन भारत के समुद्री तट से 2800 किलोमीटर दूर चलाया गया। नौसेना ने बताया कि उनकी कार्रवाई के बाद 35 समुद्री लुटेरों ने सरेंडर किया और 17 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाला गया।

जहाज का क्रू 110 से ज्यादा दिनों से लुटेरों के कब्जे में था। ये रेस्क्यू ऑपरेशन 40 घंटे तक चला। इसे पूरा करने के लिए युद्धपोत INS सुभद्रा, ज्यादा ऊंचाई तक उड़ने वाले ड्रोन, P8I पैट्रोलिंग एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल हुआ। अब हाईजैक हुआ जहाज MV रुएन पूरी तरह भारतीय नौसेना के कब्जे में है।

29 जनवरी: ईरानी जहाज के जहाज पर सवार क्रू समेत 17 लोगों सुरक्षित निकाला

29 जनवरी को सोमालिया के तट पर तैनात भारतीय नौसेना के युद्धपोत INS सुमित्रा ने एक ईरानी जहाज को समुद्री डाकुओं से बचाया है। नौसेना ने बताया कि जहाज पर सवार क्रू मेंबर सहित सभी 17 लोग सुरक्षित हैं।

नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, INS सुमित्रा को अदन की खाड़ी में एक ईरानी झंडे लगे जहाज ईमान के हाईजैक होने की जानकारी मिली। जहाज पर तैनात सिक्योरिटी ने फौरन कार्रवाई करते हुए ईरानी जहाज और क्रू मेंबर्स को डाकुओं से बचाया।

4 जनवरी: लाइबेरिया के जहाज पर सवार 15 भारतीयों को बचाया गया

फुटेज में भारतीय नौसेना की बोट हाईजैक हुए जहाज के करीब जाती दिख रही है।

फुटेज में भारतीय नौसेना की बोट हाईजैक हुए जहाज के करीब जाती दिख रही है।

4 जनवरी को अरब सागर में सोमालिया के तट के पास लाइबेरिया के फ्लैग वाले जहाज लीला नोर्फोर्क को 4-5 हथियारबंद समुद्री लुटेरों ने हाईजैक कर लिया था। भारतीय नौसेना ने बताया कि जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स (UKMTO) पोर्टल पर एक संदेश भेजा था।

इसके बाद INS चेन्नई को इन्हें बचाने के लिए भेजा गया। नौसेना के मार्कोस कमांडो ने हाईजैक की गई जहाज पर सवार 21 लोगों को बचाया। इसमें 15 भारतीय भी सवार थे। मरीन ट्रैफिक के मुताबिक, जहाज ब्राजील के पोर्टो डू एकू से बहरीन के खलीफा बिन सलमान पोर्ट जा रहा था।

19 नवंबर: हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से कार्गो शिप को हाइजैक किया था

19 नवंबर को हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से एक कार्गो शिप गैलेक्सी लीडर को हाइजैक कर लिया था। यह जहाज तुर्किये से भारत आ रहा था। हूती विद्रोहियों ने इसे इजराइली जहाज समझकर हाइजैक किया था। हूतियों ने शिप हाइजैक करने का वीडियो भी शेयर किया था। इस जहाज में 25 भारतीय क्रू मेंबर्स थे।

जहाज हाइजैक होने की जानकारी मिलते ही नेतन्याहू ने इसका आरोप ईरान पर लगाया था। इजराइली PM बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे ईरान की ओर से अंतरराष्ट्रीय जहाज पर हमला बताया था। उन्होंने कहा था कि यह ईरान की तरफ से की गई आतंकी हरकत है। यह दुनिया पर हमले की कोशिश है। इससे दुनिया की शिपिंग लाइन भी प्रभावित होगी।

1990 के बाद सोमालिया में बढ़े समुद्री लुटेरे​​​​

समुद्री लुटेरे जहाज छोड़ने के बदले फिरौती लेते हैं।

समुद्री लुटेरे जहाज छोड़ने के बदले फिरौती लेते हैं।

सोमालिया वो मुल्क है, जिसके समुद्र में बड़ी तादाद में मछलियां मौजूद हैं। 1990 तक इसकी अर्थव्यवस्था मछलियों से ही चलती थी। तब यहां समुद्री लुटेरों का कोई डर नहीं था। अधिकतर लोग मछली का व्यापार करते थे। फिर यहां सिविल वॉर शुरू हो गया। सरकार और नौसेना नहीं रही। इसका फायदा विदेशी कंपनियों ने उठाया।

सोमालिया के लोग छोटी नावों में मछली पकड़ते थे। उनके सामने विदेशी कंपनियों के बड़े-बड़े ट्रॉलर आकर खड़े हो गए। लोगों का रोजगार छिनने लगा। इससे परेशान होकर 1990 के बाद इस देश के लोगों ने हथियार उठा लिए और समुद्री लुटेरे बन गए। समुद्री मालवाहक जहाजों का एक बड़ा बेड़ा सोमालिया कोस्ट के पास से होकर गुजरता था।

मछुआरे से लुटेरे बने लोगों ने इन जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। जहाज छोड़ने के बदले वे फिरौती लेने लगे। साल 2005 तक यह धंधा इतना बड़ा हो गया कि एक पाइरेट स्टॉक एक्सचेंज बना दिया गया। यानी लुटेरों के अभियान को फंड करने के लिए लोग इन्वेस्ट कर सकते थे। बदले में लोगों को लूटी हुई रकम का एक बड़ा हिस्सा मिलता।

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