इस्लामाबाद/लाहौर10 घंटे पहले

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नादरा पाकिस्तानी नागरिकों के लिए आईडेंटिटी कार्ड जारी करती है। यह करीब-करीब वैसे ही होते हैं, जैसे भारत में आधार कार्ड होते हैं। (फाइल) - Dainik Bhaskar

नादरा पाकिस्तानी नागरिकों के लिए आईडेंटिटी कार्ड जारी करती है। यह करीब-करीब वैसे ही होते हैं, जैसे भारत में आधार कार्ड होते हैं। (फाइल)

पाकिस्तान की नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (नादरा) के सेंटर से 27 लाख नागरिकों का पर्सनल डेटा चोरी हो गया है। ‘डॉन न्यूज’ के मुताबिक- इस चोरी का खुलासा होम मिनिस्ट्री की जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम ने किया है।

नादरा पाकिस्तानी नागरिकों के लिए आईडेंटिटी कार्ड जारी करती है। यह करीब-करीब वैसे ही होते हैं, जैसे भारत में आधार कार्ड होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक- यह डेटा पहले दुबई भेजा गया। इसके बाद इसे अर्जेंटीना और रोमानिया भेज दिया गया। सरकार इस मामले पर चुप है।

होम मिनिस्ट्री ने जांच कराई

  • ‘जियो न्यूज’ ने इस मामले पर होम मिनिस्ट्री के अफसरों के हवाले से रिपोर्ट पब्लिश की है। इसी मंत्रालय ने मामला सामने आने के बाद जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई थी। इसमें फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) और होम मिनिस्ट्री के अफसर शामिल थे। इस टीम को सैयद वकारउद्दीन लीड कर रहे थे।
  • रिपोर्ट के मुताबिक- डेटा चोरी का यह खेल 2019 में शुरू हुआ और 2023 के आखिर तक जारी रहा। इस दौरान करीब 27 लाख पाकिस्तानी नागरिकों का डेटा चोरी किया गया। यह काम नादरा के अफसरों की मिलीभगत के बिना मुमकिन नहीं था। रिपोर्ट में इस बात का शक भी जताया गया है कि नादरा अपने कुछ काम आउटसोर्स करती है, लिहाजा ये माना जा सकता है कि किसी दूसरी कंपनी ने यह डेटा बेचा हो।
  • टीम ने इस मामले पर तफ्सीली रिपोर्ट तैयार की है। इसका ज्यादातर हिस्सा सीक्रेट रखा गया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ अफसरों को एजेंसी पूछताछ के लिए बुला सकती है।
‘जियो न्यूज’ ने इस मामले पर होम मिनिस्ट्री के अफसरों के हवाले से रिपोर्ट पब्लिश की है। इसी मंत्रालय ने मामला सामने आने के बाद जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई थी। (फाइल)

‘जियो न्यूज’ ने इस मामले पर होम मिनिस्ट्री के अफसरों के हवाले से रिपोर्ट पब्लिश की है। इसी मंत्रालय ने मामला सामने आने के बाद जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई थी। (फाइल)

तीन शहरों के लोग बने निशाना

  • जांच एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक- जिन लोगों का पर्सनल डेटा चोरी हुआ है, उनमें मुल्तान, कराची और पेशावर के लोग ही ज्यादा हैं। सवाल यह है कि अगर इतने बड़े पैमाने पर डेटा चोरी हो रहा था तो सीनियर अफसर क्या कर रहे थे। क्या किसी भी लेवल पर उन्हें ये भनक नहीं लगी कि इस डेटा का इस्तेमाल अपराध या आतंकवाद के लिए किया जा सकता है।
  • रिपोर्ट में साफ किया गया है कि इस डेटा की मनी ट्रेल क्लीयर है। तीन शहरों से जो डेटा चोरी किया गया, वो सबसे पहले दुबई भेजा गया। इसके बाद इसे अर्जेंटीना और रोमानिया भेजा गया।
  • सूत्रों के मुताबिक- मार्च 2023 में सबसे पहले इस मामले की भनक लगी थी। इसके बाद होम मिनिस्ट्री ने मामले की जांच शुरू की। बाद में कुछ फैक्ट्स सामने आए तो इसके लिए जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम बना दी गई।
  • जियो न्यूज के मुताबिक- जिन लोगों का डेटा लीक हुआ है, उनमें फौज और ISI के अफसर भी शामिल हैं। लिहाजा, यह मामला काफी संवेदनशील हो जाता है।

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