2 मिनट पहलेलेखक: ईफत कुरैशी

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हिंदी सिनेमा की पहली फीमेल सुपरस्टार श्रीदेवी को गुजरे आज 6 साल बीत चुके हैं। बड़ी-बड़ी आंखें, खूबसूरत चेहरा और आवाज में खनक रखने वालीं श्रीदेवी ने अपने अभिनय से मेल डॉमिनेटिंग इंडस्ट्री की काया पलट दी। महज 4 साल की उम्र में एक्टिंग से जुड़ीं श्रीदेवी ने अपनी जिंदगी के 50 साल सिनेमा को दिए और पद्मश्री, नेशनल अवॉर्ड, फिल्मफेयर, लाइफटाइम अचीवमेंट समेत कई सम्मान अपने नाम कर लिए।

24 फरवरी 2018 को जब दुबई से अचानक खबर आई कि श्रीदेवी नहीं रहीं, तो कोई यकीन ही नहीं कर सका। वो भतीजे की शादी के लिए दुबई पहुंची थीं। अगले दिन उनके पति बोनी कपूर भारत लौट आए थे, लेकिन श्रीदेवी वहीं रुकी थीं। इसी बीच बोनी अचानक उन्हें सरप्राइज देने पहुंच गए। वो बहुत खुश थीं।

दोनों एक रोमांटिक डेट पर जाने वाले थे, जिसके लिए श्रीदेवी तैयार होने के लिए बाथरूम गई थीं, लेकिन वहां से लौटी ही नहीं। जब 10 मिनट बाद भी वो बाथरूम से नहीं निकलीं तो बोनी उन्हें देखने गए। दरवाजा अंदर से बंद था और कोई जवाब नहीं मिल रहा था। जब दरवाजा तोड़ा गया तो श्रीदेवी बाथटब में बेसुध पड़ी थीं। पानी में डूबी हुईं श्रीदेवी की सांसें थम चुकी थीं। पुलिस पहुंची, एंबुलेंस पहुंची और मीडिया।

रात के करीब 1-2 बजे थे, जब मीडिया में खबर आई कि श्रीदेवी अब नहीं रहीं। उनके देवर संजय कपूर ने मीडिया चैनल्स से उनकी मौत कन्फर्म करते हुए मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया था। हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जो सामने आया वो सबके लिए चौंका देने वाला था।

फिल्मी दुनिया की ‘चांदनी’ और हवा हवाई का एक ‘लम्हे’ में गुजर जाना लाखों चाहने वालों के लिए ‘सदमा’ था। यही वजह थी कि जब सफेद फूलों से ढंककर श्रीदेवी की अंतिम यात्रा निकाली गई तो पूरा शहर उनके साथ-साथ चल रहा था और ये बन गया भारत का चौथा सबसे बड़ा अंतिम संस्कार।

आज डेथ एनिवर्सरी पर पढ़िए हिंदी सिनेमा में इतिहास रचने वालीं श्रीदेवी के खूबसूरत सफर के दर्दनाक अंत की कहानी-

3 साल की उम्र में मिली पहली फिल्म, सिर मुंडवाना चाहते थे मेकर्स

13 अगस्त 1963 को जन्मीं श्रीदेवी का असली नाम श्री अम्मा यांगर अयप्पन है। अभिनय उनकी रगों में था। जिस उम्र में बच्चे मुश्किल से बोलना सीखते हैं, तब श्रीदेवी घर आए मेहमानों की नकल उतारकर लोगों का ध्यान खींच लिया करती थीं।

1996 में तमिल भाषा की हिंदू माइथोलॉजिकल फिल्म कंधन करुनई बनाई जा रही थी। इस फिल्म में उस जमाने के सुपरस्टार जेमिनी गणेशन, शिवाजी गणेशन, सावित्री, जे. जयललिता को अहम किरदारों में कास्ट किया गया था।

फिल्म में भगवान कार्तिकेय के रोल के लिए साउथ एक्टर विजयकुमार को कास्ट किया गया था, लेकिन आखिरी समय पर विजयकुमार को दूसरा रोल दे दिया गया था। जब कार्तिकेय (मुरुगन) के रोल के लिए अर्जेंट बाल कलाकार की जरूरत पड़ी तो प्रोडक्शन के किसी व्यक्ति ने फिल्ममेकर्स से श्रीदेवी का जिक्र किया।

कास्टिंग की हड़बड़ी में फिल्ममेकर्स श्रीदेवी का पता लेकर सीधे उनके घर पहुंच गए। घर पहुंचते ही नन्ही सी श्रीदेवी का एक छोटा सा टेस्ट लिया गया, जो जाहिर तौर पर उन्होंने पास कर लिया। जब बात पक्की होने को आई, तो मेकर्स ने शर्त रख दी, कार्तिकेय के रोल के लिए बच्ची के बाल मुंडवाने होंगे।

अब भला 3 साल की बच्ची इसका क्या मतलब समझती, लेकिन उनकी मां अड़ गईं कि बाल नहीं कटने देंगी। अगर मेकर्स अड़ जाते तो उनकी फिल्म में देरी हो सकती थी, तो वो लोग कार्तिकेय का लुक बदलने के लिए राजी हो गए। फिल्म कंधन करुनई 1967 में रिलीज हुई, तब श्रीदेवी 4 साल की हो चुकी थीं। फिल्म जबरदस्त हिट रही और श्रीदेवी के चंद मिनटों के रोल ने हर किसी का ध्यान खींच लिया।

पहली ही फिल्म के बाद 4 साल की श्रीदेवी के पास कई फिल्मों के ऑफर आने लगे। 1969 में श्रीदेवी को 3 फिल्में थुनइवन, नाम नाडु, कुलावीयक्कू मिलीं। इन सभी फिल्मों में श्रीदेवी को बेबी श्रीदेवी नाम से क्रेडिट दिया गया। 1970 में श्रीदेवी ने फिल्म मां नन्ना निर्दोषी से तेलुगु सिनेमा और 1971 में फिल्म पूमपट्टा से मलयाली सिनेमा में एंट्री ली। फिल्म पूमापट्टा के लिए उन्हें बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का केरल स्टेट अवॉर्ड मिला था।

डबल शिफ्ट में काम करने से छूटने लगी पढ़ाई, सेट पर पढ़ाने आते थे टीजर

श्रीदेवी भले ही कम उम्र की थीं, लेकिन उनमें हुनर इस कदर था कि चाइल्ड आर्टिस्ट के रोल के लिए वो हर फिल्ममेकर की पहली पसंद बन गई थीं। यही वजह थी कि वो सालाना 2-3-4 फिल्मों में नजर आती थीं। इतनी फिल्मों के लिए बेबी श्रीदेवी को डबल शिफ्ट में काम करना पड़ता था। आधे दिन एक फिल्म की शूटिंग पर जाना होता था और फिर दूसरी फिल्म के लिए निकल पड़ती थीं। शूटिंग के चलते श्रीदेवी का पढ़ाई से मन हटने लगा था, जिससे उनके मां-बाप चिंतित रहने लगे थे।

बिजी शेड्यूल और पढ़ाई का तालमेल मिलाने के लिए उनके पिता सेट पर ही एक टीचर को भेजते थे, जो फुर्सत के समय में उन्हें पढ़ाते थे। शहर से बाहर शूटिंग होती तो मां और टीचर दोनों साथ सफर करते थे, लेकिन बढ़ती फिल्मों के साथ एक्टिंग के साथ पढ़ाई का तालमेल बिठाना मुश्किल होने लगा। ऐसे में श्रीदेवी ने एक्टिंग को अहमियत दी और पढ़ाई छोड़ दी।

‘मैं स्कूल और कॉलेज जाने से रह गई, लेकिन मैं फिल्म इंडस्ट्री में आई और बिना गैप के काम करती रही। एक चाइल्ड आर्टिस्ट से मैं सीधे हीरोइन बन गई। कभी कुछ सोचने का समय ही नहीं मिला, लेकिन मैं बहुत शुक्रगुजार हूं।’

  • श्रीदेवी (सोर्स- न्यू इंडियन एक्सप्रेस)

श्रीदेवी को इतनी कम उम्र में हीरोइन बनता नहीं देखना चाहती थीं मां

जब के.बालाचंदर ने श्रीदेवी को फिल्म मुंदुरू मुदिचु में लीड रोल दिया तो हर कोई खुश था, लेकिन उनकी मां राजेश्वरी नहीं चाहती थीं कि वो इतनी कम उम्र में एडल्ट रोल प्ले करें। उनका मानना था कि इन रोल्स का श्रीदेवी पर बुरा असर पड़ सकता है।

इस फिल्म में श्रीदेवी को 18 साल की सेल्वी नाम की एक ऐसी लड़की का रोल प्ले करना था, जो अपने प्रेमी और बहन की मौत के बाद गरीबी में एक बुजुर्ग आदमी से शादी कर लेती है। फिल्म में कमल हासन ने श्रीदेवी के बॉयफ्रेंड का रोल प्ले किया था, जबकि रजनीकांत फिल्म में विलेन बने थे। ये रजनीकांत के करियर का पहला बड़ा रोल था।

मां लगातार फिल्ममेकर्स से इनकार करती रहीं, लेकिन जब के.बालाचंदर ने उन्हें समझाया तो वो मान गईं। इस फिल्म में श्रीदेवी को रजनीकांत से ज्यादा फीस दी गई थी।

मुंदुरू मुदिचू में श्रीदेवी के अभिनय को बेहद सराहना मिली, जिसके बाद उन्हें बैक-टु-बैक कमल हासन और रजनीकांत के साथ फिल्में मिलने लगीं। श्रीदेवी ने कमल हासन के साथ कुल 27 फिल्मों में काम किया है।

16 साल की उम्र में हिंदी फिल्मों में आईं, पहली फिल्म फ्लॉप हुई तो कई हिंदी फिल्में ठुकराईं

साल 1977 की तमिल फिल्म 16 व्याथिनिले में श्रीदेवी ने लीड रोल निभाया था। जब 1976 में इस फिल्म की हिंदी रीमेक फिल्म सोलवां सावन बनी तो उसमें भी श्रीदेवी को ही लिया गया। इस फिल्म से 16 साल की श्रीदेवी ने बॉलीवुड में कदम रखा था, हालांकि इससे पहले वो बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट रानी मेरा नाम और जूली में नजर आ चुकी थीं।

अफसोस कि फिल्म सोलवां सावन, तमिल फिल्म जितनी कामयाब नहीं हो सकी, जिससे श्रीदेवी का हिंदी फिल्मों से मन उचट गया। इसके बाद उन्हें 4 हिंदी फिल्में मिलीं, लेकिन उन्होंने हर फिल्म ठुकरा दी।

नगीना फिल्म में लेंस पहनने से खराब होने लगी थीं आंखें, धर्मशाला में मांगी मन्नत

1984 की फिल्म तोहफा से स्टारडम हासिल करने के बाद श्रीदेवी ने मास्टर जी, नगीना, जांबाज जैसी बैक-टु-बैक हिट फिल्में दीं। फिल्म नगीना (1986) की अकेले कमान संभालकर श्रीदेवी देश की पहली फीमेल सुपरस्टार बनी थीं, हालांकि ये रुतबा हासिल करने के लिए श्रीदेवी ने अपनी आंखों की रोशनी तक दांव पर लगा दी थी।

दरअसल, फिल्म नगीना में सबसे पहले जया प्रदा को नागिन का लीड रोल दिया गया था, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि फिल्म में उन्हें सांपों से झगड़ा करना पड़ेगा, तो उन्होंने घबराकर फिल्म छोड़ दी। जया प्रदा के इनकार के बाद डायरेक्टर हरमेश मल्होत्रा श्रीदेवी के पास ऑफर लेकर पहुंचे और वो पहली मीटिंग में ही मान गईं।

उस समय श्रीदेवी एक साथ दर्जनों फिल्मों में काम कर रही थीं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने व्यस्त शेड्यूल से फिल्म नगीना के लिए समय निकाला।

फिल्म में नागिन बनने के लिए श्रीदेवी को सेट पर घंटों कॉन्टैक्ट लेंस पहनना पड़ता था। उस जमाने में लेंस का चलन ज्यादा नहीं होता था, ऐसे में लगातार लेंस पहने रहने से उनकी आंखों में दिक्कत होने लगी थी। जब श्रीदेवी इलाज के लिए डॉक्टर के पास गईं तो डॉक्टर ने उनसे कहा था कि अगर आप लेंस लगाती रहीं, तो आपकी आंखों की रोशनी तक जा सकती है।

श्रीदेवी का फिल्मों और अभिनय के लिए डेडिकेशन इस कदर था कि उन्होंने डॉक्टर की सलाह के बावजूद लेंस लगाकर ही फिल्म की शूटिंग पूरी की। एहतियात रखते हुए वो सेट पर अपने साथ आई ड्रॉप रखती थीं और जलन होने पर उसका इस्तेमाल करती थीं।

फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद जब श्रीदेवी की आंखों में दिक्कत आने लगी तो उन्होंने ऋषिकेश के पास स्थित नीलकंठ मंदिर में मन्नत मांगी थी। मन्नत के लिए उन्होंने वहां मुसाफिरों के लिए 3 कमरे बनवाए थे, जिन्हें आज भी श्रीदेवी की धर्मशाला नाम से जाना जाता है।

फिल्म नगीना साल 1986 की दूसरी हाईएस्ट ग्रॉसिंग फिल्म रही, वहीं फिल्म का गाना मैं तेरी दुश्मन, दुश्मन तू मेरा, आज भी लोगों की जुबां पर रहता है।

102 बुखार और काटे नहीं कटते दिन ये रात…..

फिल्म मिस्टर इंडिया की शूटिंग 350 दिन में पूरी की गई थी। लगातार फिल्म की शूटिंग करते हुए श्रीदेवी को तेज बुखार हो गया था। तबीयत बिगड़ रही थी, लेकिन श्रीदेवी को ठीक उसी समय फिल्म के गाने काटे नहीं कटते दिन ये रात शूट करना था, वो भी श्रीनगर की कड़कती ठंड में।

सीन के मुताबिक श्रीदेवी को झीनी साड़ी पहनकर, श्रीनगर की ठंड में भीगते हुए शूटिंग करनी थी। श्रीदेवी की तबीयत उस समय इतनी बिगड़ चुकी थी कि उन्हें 102 बुखार था। उनकी मां नहीं चाहती थीं कि वो शूटिंग करें, लेकिन अपने काम के लिए जुनूनी श्रीदेवी नहीं मानीं और उन्होंने बिगड़ी तबीयत में ही पूरा गाना शूट किया।

मिस्टर इंडिया से मिला सुपरस्टारडम, कहा गया- फिल्म का नाम मिस इंडिया क्यों नहीं था

साल 1987 की सुपरहीरो फिक्शनल फिल्म मिस्टर इंडिया में रिपोर्टर सीमा का रोल प्ले कर श्रीदेवी ने सुपरस्टारडम हासिल किया। कल्ट क्लासिक फिल्म 175 दिनों तक सिनेमाघरों में लगी रही। फिल्म में चार्ली चैपलिन की नकल उतारकर श्रीदेवी ने हर किसी को अपनी कॉमिक टाइमिंग का मुरीद बना लिया।

कई सीन तो ऐसे भी थे, जब अमरीश पुरी और अनिल कपूर के डायलॉग्स के बीच हर किसी की निगाहें श्रीदेवी पर टिकी थीं। कई ट्रेड एनालिस्ट का मानना था कि श्रीदेवी ने अनिल कपूर को भी ओवरशैडो कर दिया, जिससे फिल्म का नाम मिस्टर इंडिया नहीं बल्कि मिस इंडिया होना चाहिए था।

ओवरशैडो होने के डर से अनिल कपूर ने कर दिया था साथ काम करने से इनकार

मिस्टर इंडिया में श्रीदेवी का दमदार अभिनय देखने के बाद डायरेक्टर पंकज पराशर ने श्रीदेवी के साथ फिल्म बनाने का फैसला किया। उन्होंने ए.पूर्णा चंद्रा राव के आगे ये बात रखी, तो उन्होंने झट से सीता और गीता की रीमेक बनाने का फैसला कर लिया। 4-4 शिफ्ट में काम करने के बावजूद श्रीदेवी इस फिल्म के लिए झट से राजी हो गईं।

इस फिल्म में लीड रोल निभाने के लिए अनिल कपूर को अप्रोच किया गया था, लेकिन वो नहीं चाहते थे कि मिस्टर इंडिया की तरह दोबारा श्रीदेवी उन्हें ओवरशैडो करें। इस डर से उन्होंने फिल्म ठुकरा दी। उनकी जगह फिल्म में रजनीकांत और सनी देओल को कास्ट किया गया था। इस फिल्म में पहली बार श्रीदेवी ने डबल रोल निभाया था।

103 डिग्री बुखार और बना गाना- ना जाने कहां से आई है….

जिस समय फिल्म का गाना ना जाने कहां से आई है…, शूट होना था, उस समय श्रीदेवी को 103 डिग्री बुखार था। गाने का सेट लग चुका था और श्रीदेवी के ना आने से प्रोडक्शन का भारी नुकसान होता। ऐसे में कमिटमेंट की पक्की श्रीदेवी ने तबीयत के आगे काम को चुना। उन्होंने 103 डिग्री बुखार में भी बारिश में भीगते हुए गाना शूट किया, जो आज भी सुना और देखा जाता है।

चालबाज में कर दिया था रजनीकांत, सनी देओल को ओवरशैडो

हिंदी सिनेमा की 100 सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस में चालबाज में श्रीदेवी की परफॉर्मेंस चौथे नंबर पर है। फिल्म को सुपरहिट बनाने का क्रेडिट सिर्फ और सिर्फ श्रीदेवी और उनके बेहतरीन डबल रोल को दिया गया। मिस्टर इंडिया की ही तरह इस फिल्म में भी श्रीदेवी ने सनी देओल और रजनीकांत जैसे उम्दा एक्टर्स की लाइमलाइट छीन ली थी। यही वजह है कि फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड दिया गया था।

पिता की मौत के दूसरे दिन लम्हे फिल्म के सेट पर पहुंचीं

साल 1991 में श्रीदेवी फिल्म लम्हे की शूटिंग कर रही थीं, इसी बीच उन्हें अपने पिता की मौत की खबर मिली। श्रीदेवी को शूटिंग से ब्रेक दिया गया था। हर किसी ने मान लिया कि अब लम्हे की शूटिंग टल जाएगी, लेकिन पिता के अंतिम संस्कार के अगले ही दिन श्रीदेवी सेट पर पहुंच गईं।

सेट पर लौटकर उन्होंने कॉमेडी सीन शूट किया था। फिल्म लम्हे के लिए श्रीदेवी को दूसरा बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। समय के साथ इस फिल्म को कल्ट क्लासिक का दर्जा दिया गया था।

श्रीदेवी का नाम सुनकर आतंकवादी बंद कर देते थे गोलीबारी

श्रीदेवी और अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म खुदा गवाह (1992) की शूटिंग अफगानिस्तान के कई हिस्सों में हुई थी। उस समय अफगानिस्तान में जंग के माहौल बने हुए थे, हर तरफ गोली-बारी हो रही थी और मिसाइल का इस्तेमाल होना भी आम था। खौफ में लोगों ने घरों से निकलना तक बंद कर दिया था।

श्रीदेवी की सिक्योरिटी में अफगानी राष्ट्रपति ने लगाई देश की आधी सेना

सोवियत संघ ने अफगानिस्तान से कब्जा हटाते हुए देश की जिम्मेदारी नजीबुल्लाह को दी, जो राष्ट्रपति बने। नजीबुल्लाह भारतीय फिल्मों के बड़े प्रशंसक थे, ऐसे में जब अमिताभ-श्रीदेवी की फिल्म शूट करने के लिए उनसे परमिशन ली गई, तो वो तुरंत मान गए।

बॉलीवुड बबल के मुताबिक, उन्हें शूटिंग परमिशन तो मिल गई, लेकिन माहौल बेहद खराब था। जब अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी शूटिंग के लिए अफगानिस्तान के बुजकशी की मजार-ए-शरीफ पहुंचे तो पूर्व राष्ट्रपति नजीबुल्लाह अहमदजई ने अफगानिस्तान की आधी सेना सिर्फ दोनों की सिक्योरिटी में लगाई थी।

श्रीदेवी को दिक्कत न हो इसलिए रोकी गई मिसाइल

फिल्म की शूटिंग देखने के लिए अफगानिस्तान के लोगों की भीड़ जमा हुआ करती थी। कई बार तो ऐसा भी होता था, जब श्रीदेवी को देखने के लिए अफगानिस्तान में गोलियां चलनी बंद हो जाती थीं और वहां के लोकल लोग बेखौफ शूटिंग देखने घरों से निकल पड़ते थे।

शूटिंग खत्म होती थी और गोली-बारी फिर शुरू हो जाती थी। एक बार तो ये भी हुआ कि अफगानिस्तान के मिलिटेंट कमांडर रॉकेट फायर करने वाले थे, लेकिन श्रीदेवी को शूटिंग में दिक्कत न हो, इसलिए उन्होंने फायरिंग रोक दी।

यही कारण है कि अफगानिस्तान के लोग श्रीदेवी को शांति का प्रतीक मानते हैं। जब दोनों शूटिंग करके लौट रहे थे तो राष्ट्रपति नजीबुल्लाह ने दोनों को ऑर्डर ऑफ अफगानिस्तान से सम्मानित किया था।

अमेरिकी डॉक्टरों की लापरवाही से चली गई मां की याद्दाश्त

1995 में श्रीदेवी की मां राजेश्वरी को ब्रेन ट्यूमर डिटेक्ट हुआ। मद्रास के डॉक्टर्स के कहने पर श्रीदेवी मां को ऑपरेशन के लिए अमेरिका ले गईं। ऑपरेशन से पहले श्रीदेवी की मां बेहद डरी हुई थीं, लेकिन कुछ घंटों बाद उनका डर सही साबित हुआ।

लापरवाही में न्यूरो सर्जन डॉ. एहुद ऑर्बिट ने गलत ऑपरेशन कर दिया। ट्यूमर बाएं हिस्से में था, लेकिन ऑपरेशन दाहिने हिस्से का हुआ। इस लापरवाही से श्रीदेवी की मां की याद्दाश्त चली गई। ठीक एक साल बाद 1996 में श्रीदेवी की मां राजेश्वरी का निधन हो गया। श्रीदेवी ने हॉस्पिटल के खिलाफ कानूनी लड़ाई छेड़ी, जिसमें उन्हें जीत के साथ मुआवजे के 9 करोड़ रुपए मिले थे।

दिव्या भारती की मौत के बाद लाडला के सेट पर हुई थी भूतिया घटना

साल 1994 की फिल्म लाडला दिव्या भारती के साथ बननी शुरू हुई थी। उनके साथ फिल्म का बड़ा हिस्सा शूट कर लिया गया था, लेकिन 5 अप्रैल 1993 को हुई दिव्या भारती की मौत के बाद ये फिल्म श्रीदेवी को मिली। दिव्या की मौत के 6 महीने बाद श्रीदेवी के साथ फिल्म दोबारा शुरू की गई।

दिव्या भारती ने फिल्म लाडला के ज्यादातर सीन शूट कर लिए थे, लेकिन उनकी मौत के बाद फिल्म में श्रीदेवी को लिया गया था।

दिव्या भारती ने फिल्म लाडला के ज्यादातर सीन शूट कर लिए थे, लेकिन उनकी मौत के बाद फिल्म में श्रीदेवी को लिया गया था।

उन पर फिल्माया गया पहला सीन वो था, जिसमें वो रवीना टंडन को नौकरी से निकालती हैं। ये सीन पहले दिव्या शूट कर चुकी थीं, लेकिन इसे शूट करते हुए वह एक डायलॉग में बार बार अटक रही थीं। जब श्रीदेवी ने वही सीन शूट किया तो वो भी उसी डायलॉग में बार-बार अटक रही थीं।

ये देखकर सेट पर मौजूद हर कोई डर गया। सेट पर मौजूद लोग सहम गए तो शक्ति कपूर के कहने पर तुरंत पंडित जी को बुलाकर सेट पर पूजा करवाई गई। श्रीदेवी ये देखकर डरी हुई थीं, तो उन्हें संभालने के लिए रवीना टंडन ने उनका हाथ थाम लिया। पूजा हुई, नारियल फोड़े गए, जिसके बाद शूटिंग शुरू हुई। ये किस्सा रवीना टंडन ने बॉलीवुड बबल को दिए एक इंटरव्यू में सुनाया था।

श्रीदेवी ने बोनी कपूर को बांधी राखी, फिर कर ली शादी

एक समय में श्रीदेवी मिथुन चक्रवर्ती के साथ रिलेशनशिप में थीं। फिल्मी खबरियों के मुताबिक दोनों ने शादी भी कर ली थी, हालांकि दोनों के रिश्ते पर कोई पुख्ता खबर कभी नहीं आ सकी। मिथुन रिलेशन में रहते हुए श्रीदेवी और बोनी कपूर पर शक किया करते थे। यही कारण था कि श्रीदेवी ने एक बार बोनी को राखी बांधी थी।

इसके कुछ समय बाद ही मिथुन से अलग होकर श्रीदेवी ने बोनी कपूर से शादी कर ली। श्रीदेवी को बोनी कपूर की शादी तोड़ने का दोषी समझा गया, यही कारण था कि बोनी की पहली पत्नी मोना शौरी के निधन के बाद जब श्रीदेवी बोनी के घर आईं तो सौतेले बेटे अर्जुन ने उन्हें सालों तक कबूल नहीं किया।

जुदाई फिल्म के बाद परिवार के लिए लिया था फिल्मों से ब्रेक

शादी के बाद श्रीदेवी की फिल्म जुदाई 1997 में रिलीज हुई, जिसके बाद उन्होंने परिवार के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया था। 6 साल बाद उन्होंने टीवी शो मालिनी अय्यर से वापसी की और फिर छोटे-मोटे शोज में ही नजर आने लगीं। 15 साल के फिल्मी ब्रेक के बाद श्रीदेवी ने 2012 की फिल्म इंग्लिश विंगलिश से सुपरहिट कमबैक किया। साल 2017 की फिल्म मॉम उनके करियर की आखिरी फिल्म साबित हुई। मौत के बाद वो फिल्म जीरो में कैमियो करती भी दिखी थीं।

अब कहानी उस दिन की जब सिनेमा की हवा हवाई ने हर किसी को सदमा दे दिया….

फरवरी 2018 में श्रीदेवी अपनी बेटी खुशी और पति बोनी कपूर के साथ भतीजे की शादी अटेंड करने दुबई गई थीं। वो दुबए के जुमेराह एमिरेट टावर होटल के रूम नंबर 2201 में रुकी थीं।

मोहित मारवार की शादी में लिया गया श्रीदेवी का आखिरी वीडियो।

मोहित मारवार की शादी में लिया गया श्रीदेवी का आखिरी वीडियो।

21 फरवरी को उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर शादी की तस्वीरें भी शेयर की थीं। 6 मार्च को जान्हवी कपूर का बर्थडे था, तो श्रीदेवी उनके लिए शॉपिंग करने के लिए दुबई में ही रुक गई थीं। जबकि बोनी कपूर और खुशी लौट आए थे। ये पहली बार था, जब श्रीदेवी कहीं बिना परिवार के रुकी थीं।

24 फरवरी को उन्होंने पति बोनी कपूर को कॉल किया और कहा- मैं तुम्हें बहुत मिस कर रही हूं। इस कॉल के बाद बोनी कपूर ने श्रीदेवी को सरप्राइज देने का फैसला किया और 3 बजकर 30 मिनट की फ्लाइट से दुबई पहुंच गए। लैंडिंग के तुरंत बाद 6 बजकर 20 मिनट पर बोनी जैसे ही होटल पहुंचे तो श्रीदेवी काफी खुश हुईं। आधे घंटे की बातचीत के बाद बोनी ने उनसे लंच पर चलने को कहा, तो वो तैयार होने बाथरूम चली गईं।

वो काफी देर बाद भी बाहर नहीं आईं। लगभग 20 मिनट तक इंतजार करने के बाद बोनी ने जब रूम में जाकर श्रीदेवी को आवाज दी तो कोई जवाब नहीं मिला। घबराकर जब उन्होंने स्टाफ की मदद से बाथरूम का दरवाजा तोड़ा, तो श्रीदेवी बाथटब में बेसुध पड़ी हुई थीं। ये आंखों देखा हाल बोनी कपूर ने कोमल नहाटा को दिए एक इंटरव्यू में सुनाया था।

श्रीदेवी को देर रात अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें डेड डिक्लेयर कर दिया। 24 फरवरी की देर रात उनका शव दुबई पुलिस को सौंपा गया था। शुरुआत में इसे हार्ट अटैक बताया गया, लेकिन बाद में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से साफ हुआ कि उनकी मौत नशे की हालत में टब में डूबने से हुई थी।

3 दिनों तक इन्वेस्टिगेशन के बाद 27 फरवरी 2018 को श्रीदेवी डेथ केस दुबई पुलिस ने बंद कर दिया। इसी दिन पति बोनी कपूर और बेटा अर्जुन कपूर, अनिल अंबानी के प्राइवेट जेट से श्रीदेवी का शव लेकर मुंबई पहुंचे। 2013 में पद्मश्री से सम्मानित हो चुकीं श्रीदेवी को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई और इन्हें गन सैल्यूट मिला।

बेटी की पहली फिल्म नहीं देख सकीं श्रीदेवी

श्रीदेवी की ही तरह उनकी बड़ी बेटी जान्हवी कपूर फिल्मों में आईं। उन्होंने फिल्म धड़क से बॉलीवुड डेब्यू किया था, जिसमें श्रीदेवी उनकी मदद करती थीं और सेट पर हमेशा उनके साथ रहती थीं। अफसोस कि श्रीदेवी ये फिल्म नहीं देख सकीं। फिल्म रिलीज के 4 महीने पहले ही उनका निधन हो गया था।

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