नई दिल्ली8 घंटे पहले
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अगर आप सीनियर सिटिजन हैं और सेफ इन्वेस्टमेंट और बेहतर रिटर्न के साथ टैक्स भी बचाना चाहते हैं, तो आपको आइडियल इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी बनाना चहिए। इससे आपको न केवल हाई रिटर्न मिल सकेगा बल्कि आप टैक्स बचत भी कर सकते हैं। हम यहां आपको टैक्स बचाने वाले कुछ स्कीम्स की जानकारी दे रहें हैं…
1. पोस्ट ऑफिस सीनियर सिटीजन्स सेविंग्स स्कीम अकाउंट:
- इस स्कीम में अभी 8.20% सालाना ब्याज दिया जा रहा है।
- इसमें ₹1000 में अकाउंट खोला जा सकता है।
- अधिकतम 30 लाख रुपए तक इन्वेस्ट किया जा सकता है।
- इसका मैच्योरिटी पीरियड 5 साल का रहता है।
- 1.5 लाख रुपए तक निवेश करने पर इस रकम पर आप टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
- 60 साल या उससे अधिक आयु के बाद अकाउंट पोस्ट ऑफिस जाकर खुलवाया जा सकता है।
- VRS लेने वाला व्यक्ति जो 55 वर्ष से अधिक लेकिन 60 वर्ष से कम है वो भी इस अकाउंट को खोल सकता है। स्कीम से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें…
2. टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट:
यह स्कीम 5 साल के लॉक-इन पीरियड के लिए होता है। इसमें मिलने वाला इंटरेस्ट पुरी तरह से टैक्सेबल होता है। हालांकि, किसी एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपए से ज्यादा का इंटरेस्ट इनकम पर ही टैक्स लगता है। वैसे तो, यह स्कीम सभी के लिए होता है, लेकिन हाई-इनकम ब्रैकेट में आने वाले सीनियर सिटीजन के लिए बेहतर ऑप्शन है।
3. पब्लिक प्रोविंडेंट फंड (PPF):
- PPF एक लो रिस्क इन्वेस्टमेंट स्कीम है।
- इसे सीधे केंद्र सरकार रेगुलेट करती है और इस ब्याज भी सरकार ही तय करती है।
- PPF अकाउंट पर इस समय 7.1% सालाना ब्याज मिल रहा है।
- यह EEE की कैटेगरी में आता है। यानी इन्वेस्टमेंट, ब्याज और प्रिंसिपल अमाउंट टैक्स-फ्री होते हैं।
- PPF अकाउंट किसी पोस्ट ऑफिस या बैंक में ओपन किया जा सकता है। इस स्कीम के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें…
4. इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS):
स्कीम के बारे में पूरी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें…
- ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जिनमें 3 साल के लिए इन्वेस्टर्स का पैसा ब्लॉक हो जाता है।
- ELSS कैटेगरी के म्यूचुअल फंड ने एक साल में 58.98% तक का रिटर्न दिया है।
- म्यूचुअल फंड की इस कैटेगरी में IT एक्ट के सेक्शन 80C के तहत 1.50 लाख रुपए तक निवेश पर टैक्स छूट मिलती है।
- हालांकि, शेयर मार्केट लिंक्ड होने के चलते इसमें FD या NSC जैसी स्माल सेविंग्स की तुलना में इसमें ज्यादा जोखिम होता है।
5. टैक्स फ्री बॉन्ड:
- यह फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट है। इसे सरकार और कंपनियां इश्यू करती हैं।
- इसमें निवेश का मतलब – सरकारी योजनाओं, कंपनियों और उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करना।
- इससे मिलने वाला 1.5 लाख रुपए तक का इंटरेस्ट टैक्स-फ्री होता है।
- इसे सामान्य तौर पर 5 साल के लिए खरीदा जाता है। लेकिन 15 साल तक रखा जा सकता है।
- इसे बीच में कभी भी बेचकर फंड लिया जा सकता है।
टैक्स फ्री बॉन्ड के मुख्य प्रकार
- इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड- रोड, एयरपोर्ट और पावर प्लांट के कंस्ट्रक्शन में निवेश होता है।
- हाउसिंग बॉन्ड- नेशनल हाउसिंग बैंक इसे इश्यू करता है, जो हाउसिंग प्रोजेक्ट में निवेश होता है।
- पावर बॉन्ड- पावर प्लांट को फाइनेंस करने के लिए पावर कंपनियां बॉन्ड इश्यू करती है।
- रेलवे बॉन्ड- इसे भारतीय रेलवे जारी करता है। जिसे रेवले के विकास में इस्तेमाल होता है।
- पब्लिक सेक्टर यूनिट बॉन्ड- ये बॉन्ड सरकारी कंपनियां इश्यू करती हैं। इसमें निवेश किया गया आपका फंड अलग-अलग प्रोजेक्ट्स में खर्च होता है।