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  • Technique Of Worship Of Goddess Katyayani Who Offers Victory Over Enemies: Goddess Is Worshiped By The Identify Katyayani As She Appeared In The Ashram Of Sage Katyayana

4 घंटे पहले

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नवरात्रि के छठे दिन देवी के कात्यायनी रूप की पूजा होती है। स्कंद पुराण के मुताबिक भगवान के गुस्से से देवी के कात्यायनी रूप की उत्पत्ति हुई। वहीं, वामन पुराण के अनुसार सभी देवताओं ने अपनी ऊर्जा को कात्यायन ऋषि के आश्रम में इकट्ठा किया।

कात्यायन ऋषि ने उस शक्ति पुंज को देवी का रूप दिया। जो देवी पार्वती के दिए शेर पर विराजमान थी। कात्यायन ऋषि ने रूप दिया, इसलिए वो देवी कात्यायनी कहलाई। इन्हीं देवी ने महिषासुर का वध किया।

एक मान्यता ये भी है कि महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदि-शक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था, इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं।

कात्यायनी देवी की पूजा विधि
1.
कलश पर देवी कात्यायनी का ध्यान कर के अक्षत चढ़ाएं।
2. कलश पर जल अर्पित करें और मौली चढ़ाएं।
3. देवी की तस्वीर पर चंदन, कुमकुम, अक्षत चढ़ाएं।
4. हल्दी, मेहंदी, हार-फूल और सौभाग्य की सामग्री चढ़ाएं।
5. धूप-दीप, नैवेद्य, शहद, फल और पान चढ़ाएं।
6. दक्षिणा अर्पित करें और आरती कर के प्रसाद बांटे

देवी का स्वरूप
देवी कात्यायनी का रूप अत्यन्त दिव्य और चमकीला है। देवी कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में और नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। देवी का वाहन शेर है।

देवी कात्यायनी की पूजा से दुश्मनों पर मिलती है जीत
देवी कात्यायनी की पूजा करने से शक्ति संचार होता है। देवी की कृपा से दुश्मनों पर जीत मिलती है। इनकी पूजा से हर तरह के संकट दूर होते हैं, देवी कात्यायनी की पूजा से लड़कियों की शादी के योग बनते हैं। अच्छा पति भी मिलता है। देवी कात्यायनी की पूजा से रोग, शोक और डर खत्म हो जाते हैं। देवी कात्यायनी की पूजा करने से हर तरह के दोष भी दूर हो जाते हैं।

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