2 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म twelfth फेल से दर्शकों का दिल जीतने वाले एक्टर विक्रांत मैसी इन दिनों फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को लेकर चर्चा में हैं। फिल्म की कहानी 2002 की गोधरा ट्रेन जलने की घटना पर आधारित है। यह फिल्म गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के जलने की जांच करने वाले दो पत्रकारों के इर्द-गिर्द घूमती है। इस फिल्म में विक्रांत मैसी के अलावा राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा की मुख्य भूमिकाएं हैं। रंजन चंदेल के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म का निर्माण एकता कपूर की बालाजी मोशन पिक्चर्स ने किया है। वहीं, अमूल वी मोहन और अंशुल वी मोहन फिल्म के को – प्रोड्यूसर हैं। हाल ही में अमूल वी मोहन ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की।

फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है, इसके आप को – प्रोड्यूसर हैं। कैसा लग रहा है ?

बहुत अच्छा लग रहा है। जब हमने इस फिल्म पर काम करने के बारे में सोचा था। तभी से हमारा आइडिया बहुत क्लीयर था कि क्या करना है। यह इतना सेंसिटिव सब्जेक्ट है कि किसी और मोड़ पर लेकर नहीं जा सकते। ऐसे में हम सब की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। हकीकत में जो हुआ हमने फिल्म फिल्म में वही दिखाया है। हमारी राइटिंग टीम ने फिल्म को लिखने के समय बहुत ही फूंक – फूंक के कदम रखा।

प्रोड्यूसर अमूल वी मोहन

प्रोड्यूसर अमूल वी मोहन

इसका आइडिया कहां से आया ?

फिल्म ‘एक विलेन रिटर्न्स’ के लेखक असीम अरोरा सर से मैं डिस्कस करता रहता था। उसी दौरान ख्याल आया कि इस विषय पर फिल्म बनानी चाहिए। मैंने, अंशुल और असीम सर ने डिसाइड किया कि इस सब्जेक्ट पर फिल्म बनाते हैं। हमने सोचा कि स्क्रिप्ट एकता कपूर के पास भेजते हैं। देखते हैं क्या समझ में आता है। एकता ने स्क्रिप्ट पढ़ी और फिल्म को प्रोड्यूस करने के लिए तैयार हो गईं। इस फिल्म को 2020 जुलाई- अगस्त में फ्लोर पर लेकर जाने वाले थे। मार्च में लॉक डाउन लग गया और हम फ्लोर पर नहीं जा पाए। मार्च 2021 में फिल्म को फ्लोर पर लेकर गए। एक साल हम लेट थे।

‘द साबरमती रिपोर्ट’ में सबसे बड़ा चैलेंज क्या रहा ?

इस फिल्म में सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि राइटर के साथ मिलकर कैसे रिसर्च किया जाए। इस फिल्म के बारे में जब रिसर्च की थी तो हमने टीवी जर्नलिस्ट से बात की। उससे हमने बहुत ही दिलचस्प चीजें पता चली है। ऐसी कहानी को कहते समय अगर हम थोड़ा सा भी भटक जाते तो फिल्म अपना सुर छोड़ देती। इसमें डायरेक्टर रंजन चंदेल और एकता कपूर का विजन जानना जरूरी था। एकता बहुत ही क्रिएटिव हैं। आर्टिस्टस को लॉक करना, उनके काम करने का स्टाइल, सब कुछ ध्यान में रखकर चलना पड़ा था।

यह बहुत ही सेंसिटिव टॉपिक है, इसमें एक समुदाय के लोग नाराज भी हो सकते हैं और एक समुदाय को अच्छी लग सकती है। यह सब बैलेंस कैसे किया आपने ?

आपका यह सवाल एक दम वैलिड है। यह ऐसा सब्जेक्ट है कि यह बहुत ही आसानी से इधर – उधर जा सकती थी। लेकिन हमने पूरी बात बहुत ही ईमानदारी के साथ रखी है। किसी भी समुदाय के लोगों को अच्छा भी लग सकता है और बुरा भी लग सकता है। इसे कैसे बैलेंस किया जाए, इसके लिए जरूरी यह था कि उस स्थिति को कैसे क्रैक किया जाए ।

यह फिल्म पहले 3 मई को रिलीज होने वाली थी ऐसी चर्चा है कि सेंसर बोर्ड को कुछ सीन को लेकर आपत्ति है, इसलिए फिल्म की रिलीज डेट आगे बढ़ा दी जा रही है ?

यह सब अफवाहें हैं, अभी तो सेंसर के लिए सिर्फ फिल्म का टीजर भेजा था। जब हमने फिल्म के रिलीज डेट की अनाउंसमेंट की थी तब तक चुनाव के डेट की अनाउंसमेंट नहीं हुई थी । बॉलीवुड में 52 सप्ताह हैं, 200- 250 फिल्में बनानी हैं तो कैसे रिलीज करोगे। बहुत सारी चीजें देखने पड़ती है, लेकिन जल्द ही फिल्म के रिलीज डेट की अनाउंसमेंट करेंगे ।

विक्रांत मैसी पहले से ही दिमाग में थे या किसी और को सोचा था ?

जब हमारी स्क्रिप्ट पूरी हो गई तब हम लोग डिस्कस कर रहे थे कि किसके पास जाएं। अंशुल ने विक्रांत के नाम का सुझाव दिया था। विक्रांत को नहीं पता था कि हम लोग इस सब्जेक्ट को लेकर आ रहे हैं। विक्रांत का रोल जिस तरह का फिल्म में है उसे उन्होंने बहुत ही बढ़िया तरीके से निभाया है।

आप का जर्नलिस्ट का बैकग्राउंड रहा है, कहीं ना कहीं वो बात फिल्म के लिए आपको आगे ला रही थी ?

मेरे डैड विकास मोहन ने सुपर सिनेमा मैगजीन की शुरुआत 1999 में की थी। तब मैं ninth में था और डैड के साथ काम करने लगा। चार साल तक डैड के साथ काम किया। 2003 में लंदन चला पढ़ाई के लिए चला गया। डैड से कहा कि फिल्म मेकिंग का कोर्स करूंगा। लेकिन डैड ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है। वहां पढ़कर आओगे तो यहां तुमको फिर से सीखना पड़ेगा।

फिर खुन्नस में आकर डैड से कहा कि वहां जाकर बिजनेस की पढ़ाई करूंगा। वहां जाकर मैं बिजनेस की पढ़ाई करने लगा। फर्स्ट ईयर के बाद लगा कि अब बिजनेस बहुत ज्यादा हो रहा है। उस समय दिमाग में कुछ और क्रिएटिव चीजें आ रही थी। बिजनेस कोर्स पूरा करने के बाद फिल्म मेकिंग के आठ महीने के कोर्स के लिए डैड को कन्वेंस किया ।

आप चाहते तो कंफर्ट जोन में सुपर सिनेमा में भी काम सकते थे, लेकिन आपने अपने लिए एक अलग राह चुनी ?

तब मेरी खुद की अलग पहचान नहीं बनती। लोग मुझे डैड के वजह से जानते। इस पहचान का फायदा यह होता कि आप किसी से 5 मिनट के लिए मिल सकते हैं। लेकिन अंदर कमरे में किस तरह से बात करनी है। आर्टिस्ट से कैसे डील करनी है, यह आप के टैलेंट पर निर्भर करता है। मैं अपने आइडिया से बहुत क्लीयर रहता था।

जब आप बड़े स्टार्स के साथ प्रोजेक्ट्स के लिए डील करते हैं, तो कैसे को -ऑर्डिनेट करते हैं ?

सबसे जरूरी बात यह होती है कि आप के अंदर एटीट्यूट नहीं होना चाहिए। ऐसा नहीं होता है कि हमने जो बोला है वही होना चाहिए। सामने वाले की पूरी बात सुने। किस प्रोजेक्ट के लिए आप डील कर रहे हैं। उसके अनुसार बात होनी चाहिए।

आप बड़ी बड़ी फिल्मों से जुड़े हैं । बेबी जॉन और सब फर्स्ट क्लास है के बारे में बताएं ?

सिनेवन के मुराद खेतानी के साथ जुड़ा हूं। जब फिल्म बेबी जॉन की बात आई तो मैं बहुत ही उत्साहित था। एटली का बहुत बड़ा फैन हूं। जवान से पहले भी मैंने उनकी साउथ की राजा रानी, थेरी और बिगिल जैसी फिल्में देखी है। जब मैंने सुना कि बेबी जॉन को एटली को – प्रोड्यूस कर रहे हैं तो मैं बहुत ही उत्साहित था। अभी फिल्म की शूटिंग पूरी होने वाली है। सिर्फ 3-4 दिन का काम बाकी रह गया। बेबी जॉन, सब फर्स्ट क्लास है या फिर द साबरमती रिपोर्ट हो बहुत ही ग्रेट जर्नी रही है।

द साबरमती रिपोर्ट की शूटिंग के दौरान कास्ट एंड क्रू

द साबरमती रिपोर्ट की शूटिंग के दौरान कास्ट एंड क्रू

द साबरमती रिपोर्ट’ की सबसे बड़ी यूएसपी आप क्या मानते हैं ?

इस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी इसकी कहानी है। विक्रांत मैसी, राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा ने बहुत ही अच्छा काम किया है। फिल्म की कहानी के साथ सबने न्याय की है, जिससे फिल्म देखने में बहुत ही मजा आएगा ।

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