नई दिल्ली3 घंटे पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा

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जिंदगी तो हर कोई जीता है लेकिन कुछ लोग अपना जीवन दूसरों की जिंदगी को संवारने में लगा देते हैं। मुंबई की रहने वालीं अमी गणात्रा अपनी किताबों के जरिए युवाओं को जीवन का अर्थ समझाकर उनकी लाइफ बदल रही हैं।

वह अब तक 3 किताबें लिख चुकी हैं जो महाभारत और रामायण पर आधारित हैं।

हाल ही में उनकी तीसरी किताब ‘महाभारत का अनावरण-2’ हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में पब्लिश हुई।

‘ये मैं हूं’ में आज मिलिए लेखिका अमी गणात्रा से।

15 साल तक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया

मैंने 2008 में आईआईएम अहमदाबाद से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। इससे पहले मैंने 1 साल तक इंफोसेस में जॉब भी किया। मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद मैंने बतौर मैनेजमेंट कंसल्टेंट काम किया। कभी दिल्ली में, कभी लंदन में तो कभी मुंबई में जॉब की।

मैंने हॉन्गकॉन्ग में रहकर कई इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स पर काम किया। लेकिन 3 साल के लिए जब मुझे चीन भेजे जाने की बात हुई तो मैंने मना कर दिया। 2020 में मैं भारत वापस आ गई।

2020 में जिंदगी बदली

जब मैं 2020 में भारत आई तो कोरोना फैल चुका था। इस बीच रामायण और महाभारत का टेलीविजन पर प्रसारण दोबारा शुरू हुआ। इस दौरान जब खाली बैठती तो इसके बारे में मेरी लोगों से खूब बहस होती। उस समय मेरा खुद पर विश्वास इसलिए बढ़ गया था क्योंकि मैं वेद व्यास जी की महाभारत तब तक पढ़ चुकी थी।

वेद व्यास जी की महाभारत पढ़ने के बाद मैं अपने तथ्य रखती थी। मैंने ऑनलाइन चर्चाओं में जमकर भाग लिया। मैं पहले ट्रैवल ब्लॉग भी लिखती रही हूं तो मेरे एक दोस्त जिनका पब्लिशिंग हाउस है, उन्होंने मुझसे कहा कि ‘आप अच्छा लिखती हैं, किताब भी लिखिए। महाभारत और रामायण पर बोलने, लिखने और गाने वाले तो बहुत हैं।

लेकिन वह एक ही नजरिया रखते हैं। लेकिन इन महाकाव्यों में कही गई बातों की हकीकत क्या है, कई लोग नहीं जानते। जो कुछ अब तक लिखा गया है, वह अब तक फिक्शन है लेकिन वेद व्यास ने जो महाभारत में लिखा और वाल्मीकि ने रामायण में लिखा, वह बहुत संक्षिप्त में है। तुम इन महाकाव्यों पर कुछ लिखो।’

इस तरह मेरी पहली किताब ‘Mahabharata Unravelled’ 2021 में पब्लिश हुई। दूसरी किताब ‘Ramayana Unravelled: Lesser Identified Aspects of Rishi Valmiki’s Epic’ 2022 में आई।

पहली किताब को लेकर नर्वस थी

जब मेरी पहली किताब आई तो मैं बहुत नर्वस थी। मन में थोड़ा डर भी था कि लोग क्या कहेंगे। कोई आलोचना करेगा तो मैं कैसे सामना करूंगी। इन सब बातों से परेशान होकर मैंने खुद को समझाया और खुद से कहा कि मेरा तो किताब लिखने का कोई इरादा नहीं था, यह मुझे भगवान कृष्ण ने लिखवाया और अब जो हो गया, उसे बदला नहीं जा सकता। अब मैं कुछ कर भी नहीं सकती। उन्होंने लिखवाया है, मैंने लिखा और अब वहीं मुझे हिम्मत देंगे।

मैं खुशनसीब हूं कि लोगों को मेरी पहली और दूसरी, दोनों किताबें बहुत अच्छी लगीं।

रील बनाई तो झेला लोगों का गुस्सा

हम सबके मन में महाभारत और रामायण के कुछ किरदारों को हीरो बनाकर रखा हुआ है लेकिन मेरे जरिए जब लोगों को पता चलता कि हकीकत में महाभारत क्या है तो वो हैरान हो जाते हैं। शुरुआत में मुझे कई लोगों की आलोचना झेलनी पड़ी।

मैंने हनुमान जी पर एक रील बनाई जो खूब वायरल हुई। उसमें मैंने कहा कि वाल्मीकि की रामायण में हनुमान जी के पास गदा होने का कोई उल्लेख नहीं है। जबकि हम हनुमान जी की कल्पना बिना गदा के कर ही नहीं सकते। इस बात पर कई लोगों को मुझ पर बहुत गुस्सा आया। कुछ ने कहा कि आप आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। आप गलत बातें बता रही हैं। कुछ लोगों ने कमेंट किया कि हम आपको दिखा देंगे कि गदा का वर्णन है।

इस रील के बाद गदा को लेकर चर्चा छिड़ गई। जिसके बाद लोगों ने वाल्मीकि की रामायण पढ़ी और मेरे साथ खड़े हुए और उनके बीच मेरी विश्वसनीयता बढ़ गई।

मैं हमेशा कहती हूं कि आस्था अपनी जगह है और इतिहास अपनी जगह है।

अगर 11वीं या 12वीं सदी में बने हनुमानजी के मंदिर या पेंटिंग देखेंगे तो पाएंगे कि उसमें भी उनके पास गदा नहीं है लेकिन 13वीं शताब्दी के बाद अलग-अलग मान्यताओं के जुड़ने से उनके पास गदा दिखने लगा।

अमी गणात्रा हर संगोष्ठी में तथ्यों के साथ अपनी बात को बेबाकी से प्रस्तुत करती हैं।

अमी गणात्रा हर संगोष्ठी में तथ्यों के साथ अपनी बात को बेबाकी से प्रस्तुत करती हैं।

हमारे पवित्र ग्रंथ हैं पॉलिसी मेकर

आज के समय की हर परिस्थिति, चाहे वह जीवन, राजनीति या देश जुड़ी हो, सबके जवाब महाभारत में मौजूद हैं।

युधिष्ठिर-भीष्म, युधिष्ठिर-यक्ष और धृतराष्ट्र-विदुर का संवाद कई प्रश्नों के उत्तर देता है। इन प्रसंगों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और ये आज की तारीख में भी प्रासंगिक हैं।

राजधर्म क्या है? आज भले ही राजा नहीं लेकिन राजनेता तो हैं। राजनीति तो होती है। प्रजा के रूप में जनता भी मौजूद है। राजा का काम है न्याय देना। इसके लिए हमारे देश में पॉलिसी बनती है। इन महाकाव्यों से लीडरशिप के गुर सीखने को मिलते हैं।

हमें देश की तरक्की के लिए अमेरिका की पॉलिसी से सीखने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारे पास अपनी खुद के ग्रंथ हैं जो हमें भारत के परिवेश के हिसाब से पॉलिसी बनाने की सीख देते हैं। चाहे वह फाइनेंशियल पॉलिसी हो या फिर क्लाइमेट चेंज पॉलिसी हो।

कमर में लगी चोट, योग को अपनाया

जब मैं छोटी थी, तब मेरे घर के पास जिमखाना था। वहां मैं जिम्नास्टिक्स सीखा करती थी। मेरे परिवार ने योगासन पर हमेशा जोर दिया। बड़ी हुई तो योग प्रैक्टिस छूट गई। 2009 में मुझे कमर में चोट लगी जिसकी वजह से जिम जाने की इजाजत नहीं मिली। उस समय मां ने कहा कि योग क्यों नहीं करतीं? यह कमर के लिए अच्छा है।

उनके कहने पर मैंने फिर से योगासन करना शुरू किया तो मुझे फायदा मिला। कमर तो ठीक हुई ही साथ ही मैं फिजिकली, मेंटली और इमोशनली पॉजिटिव महसूस करने लगी। मेरे अंदर जो परिवर्तन आ रहे थे, मैं उन्हें समझना चाहती थी इसलिए यह जानने की इच्छा हुई कि योग क्या है? मैंने पतंजलि योग सूत्र के बारे में पढ़ना शुरू किया। योग सीखा तो मैं कुछ समय के लिए योग टीचर भी रही हूं। अब मैं योग सिखाती नहीं हूं लेकिन इस बारे में वर्कशॉप जरूर करती हूं।

संस्कृत की पढ़ाई की

पतंजलि का योग सूत्र संस्कृत भाषा में है। चूंकि मैं योग को जानना चाहती थी इसलिए संस्कृत पढ़ने का ख्याल मन में आया।

हालांकि स्कूल में संस्कृत पढ़ी हुई थी और मुझे यह भाषा तब भी अच्छी लगती थी। मैंने 2015-16 में संस्कृत भारती से कॉरेस्पोंडेंस के जरिए संस्कृत के चारों लेवल पास किए।

बचपन से हो गई थी किताबों से दोस्ती

मेरे घर में बचपन से किताबें पढ़ने का माहौल रहा। हमारे घर में हिंदी, मराठी, इंग्लिश और गुजराती भाषा में कई किताबें मौजूद रहतीं।

हिंदी की ज्यादातर किताबें गीता प्रेस, गोरखपुर की थीं। इस तरह बचपन से ही किताबों से जुड़ाव हो गया था।

पता नहीं था कि लोग महाभारत पर घर नहीं रखते

अधिकतर घरों में महाभारत नहीं रखी जाती और ना उसकी तस्वीर लगाई जाती है। घर में महाभारत रखने से घर में महाभारत मच जाती है। इन सब बातों से मैं अनजान थी क्योंकि मेरे घर में महाभारत को लेकर ऐसी कोई मान्यता नहीं रही। जब मुझे यह बातें पता चलीं तो मैं हैरान हुई।

जिसे अच्छा शांतिमय जीवन जीना हो और साथ में विजय और समृद्धि चाहिए, उसे महाभारत जरूर पढ़नी चाहिए।

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