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  • Worship Methodology Of Shailputri, The Goddess Of Good Fortune And Prosperity: She Was Named Shailputri As a result of She Was Born As The Daughter Of King Himalaya

5 घंटे पहले

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शक्ति आराधना के पहले दिन की देवी शैलपुत्री हैं। आज देवी के इसी रूप की पूजा की जाएगी। देवी पूजा के खास ग्रंथ मार्कण्डेय पुराण के मुताबिक देवी का ये नाम राजा हिमालय के यहां जन्म लेने पर पड़ा। शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य और समृद्धि की देवी भी माना जाता है।

जानते हैं इनकी पूजा विधि…

चौकी पर देवी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। गंगा जल या गौमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरें, उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। देवी की पूजा और नवरात्रि व्रत रखने का संकल्प लें। गणेश जी की पूजा कर के देवी पूजन शुरू करें। पूजा में सबसे पहले जल फिर दूध, मौली, चंदन, अक्षत, फूल, कुमकुम, हल्दी, चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं, नैवेद्य में खीर और फल चढ़ाकर आरती करें।

नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा होती है। हिमालय की पुत्री होने से इन्हें शैलपुत्री कहा गया है। जिस तरह हिमालय पर्वतों का राजा है। अडिग है, उसे कोई हिला नहीं सकता। उसी तरह देवी शैलपुत्री की पूजा करने से मन अडिग हो जाता है। जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है। इसी कारण हर मुश्किल काम करने की हिम्मत आ जाती है और उसमें सफलता भी मिलती है, इसलिए मार्कंडेय पुराण में देवी शैलपुत्री की पूजा करने का विधान बताया है।

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