नई दिल्ली7 घंटे पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा
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दीपिका पादुकोण, सोनम कपूर, आलिया भट्ट सभी बॉलीवुड सेलिब्रिटी इंटरनेशनल लग्जरी ब्रांड के दीवाने हैं। कोई गुच्ची की एक्सेसरीज तो कोई पराडा या बैलेंसिआगा के आउटफिट में नजर आता है। शिनेल का परफ्यूम तो हर सेलेब का फेवरेट है और अक्सर एयरपोर्ट पर उनके हाथ में लुई वॉटान का हैंडबैग झूलता नजर आता है।
सेलिब्रिटीज की तरह आम लोग भी लग्जरी ब्रैंड्स का इस्तेमाल करना चाहते हैं लेकिन इनकी कीमतें उनकी पॉकेट से बाहर होती हैं क्योंकि लग्जरी ब्रांड का एक आइटम ही लाखों रुपए से शुरू होता है।
ऐसे में आम लोगों की इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए बाजार में शुरू हुआ ओरिजिनल ब्रैंड की मास्टर कॉपी, फर्स्ट कॉपी और सेकंड कॉपी का ट्रेंड। ये प्रोडक्ट हुबहू लग्जरी ब्रांड की तरह दिखते हैं और बाजार में बहुत सस्ते दामों में बिकते हैं। कई लोग तो इन प्रोडक्ट्स को देख चकरा जाते हैं कि कौन-सा असली प्रोडक्ट है और कौन-सा नकली।
मास्टर कॉपी, फर्स्ट कॉपी और सेकंड कॉपी के फर्क को समझें
मास्टर कॉपी ओरिजिनल प्रोडक्ट की हुबहू कॉपी होती है। यह भले ही ‘फेक’ यानी नकली हो लेकिन इसमें अच्छा मटीरियल इस्तेमाल किया जाता है। ‘फर्स्ट कॉपी भी बड़े ब्रांड की ही नकल होती है। इनकी पैकिंग, स्टिंगर, सिलाई पर खास ख्याल दिया जाता है लेकिन इनकी क्वॉलिटी ज्यादा अच्छी नहीं होती।
मास्टर कॉपी और फर्स्ट कॉपी लंबे समय तक चल सकती है लेकिन सेकंड कॉपी के प्रोडक्ट टिकाऊ नहीं होते क्योंकि इनमें घटिया क्वालिटी का मटीरियल इस्तेमाल होता है। नामी ब्रैंड की मास्टर कॉपी अगर 5 हजार की बिकती है तो फर्स्ट कॉपी 1 हजार रुपए की, वहीं सेकंड कॉपी 500 रुपए तक में कस्टमर को मिल जाती है।
फर्स्ट कॉपी में बारकोड
कई बार दुकानदार ओरिजिनल ब्रांड के नाम पर कस्टमर को बेवकूफ बना देते हैं। डुप्लीकेट प्रोडक्ट तैयार करने में भी अलग-अलग क्वालिटी का मटीरियल इस्तेमाल होती है। फर्स्ट कॉपी टिकाऊ और अक्सर बारकोड के साथ मिलती है जिसे स्कैन करके प्रोडक्ट के बारे में पता लगाया जा सकता है लेकिन सेकंड कॉपी में बारकोड नहीं होता।
सेकंड कॉपी पर ज्यादातर ‘पेस्टिंग वर्क’ होता है जो कुछ दिन में निकलने लगता है।
कपड़ों के फैब्रिक में झोल
फैशन एक्सपर्ट अजगर अली ने बताया कि ब्रांडेड आउटफिट हमेशा अच्छे और महंगे फैब्रिक से बनते हैं। कपड़ों की मास्टर कॉपी, फर्स्ट कॉपी या सेकंड कॉपी में हमेशा झोल दिखेगा। इनके फैब्रिक, एम्ब्राइड्री, बटन, चेन सब सस्ती क्वालिटी के इस्तेमाल किए जाते हैं। इन कॉपी में सैटिन की जगह लॉन, शिफॉन की जगह जॉर्जेट जैसे लो क्वालिटी के फैब्रिक का इस्तेमाल होता है। इनकी सिलाई भी अच्छी नहीं होती। ब्रांडेड आउटफिट के हर बटन और जिप पर कंपनी का लोगो या नाम लिखा होता है, जबकि कॉपी प्रोडक्ट में ऐसा नहीं होता।
जैसे-अगर जींस खरीद रहे हैं तो ब्रांड की ऑरिजनल जींस की सिलाई एकदम सीधी होगी लेकिन अगर उसकी फर्स्ट कॉपी या सेकंड कॉपी है तो स्टिंचिंग में फिनिशिंग नहीं होगी और वह आड़ी-तिरछी होगी।
हैंडबैग, बेल्ट या जैकेट को लेदर से पहचानें
हर लग्जरी ब्रांड शूज, बेल्ट, वॉलेट, हैंडबैग और जैकेट में अच्छी क्वालिटी का लेदर इस्तेमाल करता है। ओरिजिनल प्रोडक्ट को वजन और स्मेल से पहचाना जा सकता है। लग्जरी ब्रांड वजनदार नहीं होते। अगर प्रोडक्ट की कॉपी होगी तो उसमें रैक्सीन मिक्स होगा और उसका वजन भी ज्यादा होगा।
लग्जरी ब्रांड ओरिजिनल लेदर का इस्तेमाल करते हैं जिसमें सुगंध नहीं होती। जबकि मास्टर कॉपी, फर्स्ट कॉपी के प्रोडक्ट्स में तेज महक आती है क्योंकि उसमें केमिकल मिले होते हैं। लग्जरी ब्रांड के पर्स में अच्छी क्वालिटी की चेन लगी होती है जिसमें कंपनी का लोगो बना होता है। साथ ही उसका कलर पर्स के रंग से मैच करता है।
मुंबई में सबसे सस्ती फर्स्ट कॉपी
एक दुकानदार ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि अधिकतर लग्जरी ब्रांड की कॉपी उसके लॉन्च होने के तुरंत बाद ही बन जाती है।
महानगरों की बात करें तो लग्जरी आइटम्स की मास्टर कॉपी, फर्स्ट कॉपी या सेकंड कॉपी मुंबई में सबसे सस्ती मिलती है क्योंकि वहां सभी नामी लग्जरी ब्रांड हैं और वहीं ऑरिजनल प्रोडक्ट सबसे पहले लॉन्च होते हैं।
बॉलीवुड होने की वजह से मुंबई लेटेस्ट फैशन का सेंटर है इसलिए सबसे पहले फैशन ट्रेंड इसी शहर से शुरू होता है।
सेलेब्रिटीज को देख बढ़ा ट्रेंड
फैशन एक्सपर्ट भावना जिंदल कहती हैं लग्जरी ब्रांड के ऑरिजिनल प्रोडक्ट्स की नकली कॉपी बाजार में इसलिए खूब बिकती हैं क्योंकि लोग सेलेब्रिटी की तरह दिखना चाहते हैं। उनकी ख्वाहिश होती है कि वह भी अपनी स्टाइलिंग में सेलेब्स की तरह महंगे ब्रांड को यूज करें।
वहीं आजकल सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर भी सेलेब्स को कॉपी कर रहे हैं और लोगों को सेलेब्स की तरह सस्ते और नकली प्रोडक्ट्स से स्टाइलिंग के टिप्स देते हैं जिससे आज के यंगस्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
कॉपी बेचना कानूनी अपराध
बाजार में भले ही नामी-गिरामी लग्जरी ब्रांड के प्रोडक्ट्स की कॉपी खुलेआम बिक रही हैं लेकिन प्रोडक्ट की डुप्लीकेसी कानूनी अपराध है। यह कॉपीराइट का उल्लंघन है। अगर कोई ऑरिजनल ब्रांड के नाम पर प्रोडक्ट बेचता है तो उस दुकानदार को जेल हो सकती है या जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
दरअसल, लग्जरी ब्रांड की कॉपी ब्रांड वैल्यू को नुकसान पहुंचाती है जिससे कंपनी को करोड़ों का नुकसान पहुंचता है। जब कस्टमर के पास ब्रांड के नाम पर कई बार घटिया क्वॉलिटी का प्रोडक्ट पहुंचता है तो इससे कंपनी की साख पर सवाल खड़ा होने लगता है। इससे कंपनी कस्टमर का विश्वास खोने लगती है।