51 मिनट पहले

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जरूरत से ज्यादा उम्मीदें किसी भी रिश्ते के सही नहीं हैं। खासकर शादीशुदा बेटी से मां की जरूरत से ज्यादा उम्मीदें उनके रिश्ते के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।

चैट रूम में आज चर्चा एक ऐसी मां-बेटी की जहां मां को शिकायत है कि शादी के बाद बेटी बदल गई है। अब वह मां के बदले का प्यार भी अपनी सास पर लुटाने लगी है। रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. माधवी सेठ ने मां-बेटी की समस्या को समझा और उसका समाधान बताया।

बेटी के साथ मेरा रिश्ता बेस्ट फ्रेंड की तरह रहा है। हम दोनों अपनी सारी बातें एक दूसरे से शेयर करते रहे हैं। लेकिन शादी के बाद बेटी बदल गई है। वह अपनी सास के साथ इतना घुलमिल गई है कि अब उसके पास मेरे लिए टाइम नहीं रहता। मैं काफी अकेलापन महसूस करती हूं।

मुझे बेटी की सास से जलन होने लगी है। ऐसा लगता है जैसे सास ने मेरी बेटी को मुझसे छीन लिया है। मैं जानती हूं कि बेटी की सास से मेरा ईर्ष्या करना सही नहीं है, लेकिन मेरा अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नहीं है। मैं इस ईर्ष्या की भावना से बाहर जैसे निकलूं?

आपकी ईर्ष्या कुछ हद तक सही है। ये मानव स्वभाव है कि वह अपनी सबसे प्यारी चीज को खुद से दूर नहीं कर पाता। आपके साथ भी यही हो रहा है। जो बेटी कल तक आपकी बेस्ट फ्रेंड थी, आज वह अपनी गृहस्थी में इतनी व्यस्त हो गई है कि उसके पास आपके लिए टाइम नहीं है।

मां-बेटी का रिश्ता

मां-बेटी का रिश्ता सहेलियों जैसा होता है। बेटी जैसे जैसे बड़ी होती जाती है, मां के साथ उसका रिश्ता और गहरा होता जाता है। वह मां के कपड़े, गहने, सैंडल तक पहनने लग जाती है। बेटी के बड़े होने पर मां को भी जैसे बेस्ट फ्रेंड मिल जाती है। मां-बेटी की आपस में बहुत अच्छी बॉन्डिंग हो जाती है, दोनों एक दूसरे अपनी भावनाएं साझा करती हैं।

मां का अकेलापन

शादी के बाद जब बेटी अपने ससुराल में बिजी हो जाती है, वह मां को पहले की तरह समय नहीं दे पाती, तो मां अकेली पड़ जाती है। वह बेटी से दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाती। बेटी की शादी के बाद मां को भी इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है। ऐसे में बेटी जिसके भी ज्यादा करीब है उसके प्रति ईर्ष्या होना स्वाभाविक है। लेकिन ये ईर्ष्या पॉजिटिव होनी चाहिए, नेगेटिव नहीं।

अपनी सोच बदलें

बेटी की शादी के बाद मां का अकेलापन महसूस करना स्वाभाविक है। लेकिन उदास रहने या बेटी की सास से जलने के बजाय इस समय का सही उपयोग कीजिए। अपनी हॉबीज के लिए समय निकालें।

आप इस उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां आपके पास घर की ज्यादा जिम्मेदारियां नहीं हैं। इस समय का उपयोग अपने लिए करें। आप अपनी जिन इच्छाओं को घर-गृहस्थी और बच्चों की परवरिश के दौरान नहीं पूरा कर सकीं, उन्हें अब पूरा करें। अपना शौक पूरा करें, अपनी फिटनेस पर ध्यान दें।

जिंदगी ना मिलेगी दोबारा

अब तक आप घर-परिवार और बच्चों के पीछे दौड़ती रहीं। अब खुद के लिए जीना सीखें। बच्चे जब अपनी जिंदगी में बिजी हो जाते हैं तो मां के पास बहुत खाली समय बच जाता है। अब ये मां पर है कि वह उस समय को दुखी होकर काटती है या अपने लिए जीना शुरू करती है।

आपके पास भी ये एक मौका है जब आप अपने शौक के लिए समय निकाल सकती हैं, अपनी फिटनेस का ध्यान रख सकती हैं।

यकीन मानिए, आपका ये बदला हुआ अंदाज आपके परिवार और बेटी को भी पसंद आएगा।

बेटी को डिस्टर्ब न करें

आपको खुश होना चाहिए कि आपकी बेटी ससुराल में घुलमिल गई है और अपनी गृहस्थी में खुश है। हर मां-बाप की यही ख्वाहिश होती है कि उनकी बेटी को अच्छा घर-वर मिले। आप खुशनसीब हैं कि आपकी बेटी अपने ससुराल में खुश है। बेटी को अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने दें और आप खुद को बिजी रखने के रास्ते तलाशें।

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