नई दिल्ली17 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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देसी इएनटी यानी ‘कनमैलिया’ गली-कुचे और कोर्ट-कचहरी हर जगह मिल जाते हैं। लेकिन जरा बचके ये कहीं आपके कान खराब न कर दें। कान बहुत नाजुक होता है इसका ख्याल रखना सबकी जिम्मेदारी है। ‘जान जहान’ में इएनटी सर्जन डॉ पंकज गुलाटी से जानते हैं कान का ख्याल कैसे रखें?

कान का मैल कब बनती समस्या

खाते या चबाते समय जबड़े को घुमाते हैं तो ईयर वैक्स और स्किन सेल धीरे-धीरे कान के पर्दे से छेद की ओर बढ़ता है। कान का मैल कोई समस्या नहीं है लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा नुकसान पहुंचा सकती है। इससे कान में दर्द और सुनने में दिक्कत होती है।

ईयर वैक्स ड्रॉप का इस्तेमाल करें

ईयर वैक्स को हटाना है तो, इसके लिए जरूरी है कि उसे पहले सॉफ्ट कर लें। कानों को साफ करने के लिए ईयर वैक्स ड्रॉप का इस्तेमाल करना चाहिए। यह कानों के लिए सेफ होता है। कम से कम 5-7 दिन तक ईयर वैक्स ड्रॉप को कान में जरूर डालें

रुई से कान की सफाई, लेकिन रखें सावधानी

रुई के फाहे का कान की सफाई के लिए इस्तेमाल करें। लेकिन ख्याल रहे कि इससे सिर्फ कान के बाहरी हिस्से को साफ कर सकते हैं। गर्म पानी लेकर और मलमल के कपड़े की मदद से कान के बाहरी हिस्से को साफ कर लें। रुई के फाहे को कभी भूलकर भी कान के अंदर न डालें। इससे गंदगी अंदर जा सकती है।

बेकिंग सोडा से कान साफ करें

कान से ईयर वैक्स साफ करने के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल भी किया जाता है। आधा टीस्पून बेकिंग सोडा को करीब आधे कप हल्के गर्म या गुनगुने पानी में मिलाकर ड्रॉपर बोतल में रख लें। इसके बाद इसे एक टाइम में 5 से 10 ड्रॉप कान में डालें। उसके एक घंटे बाद साफ पानी से कान को अच्छे से धोकर साफ करें। यह एक ईयर वैक्स ड्रॉप की तरह काम कारेगा।

पानी से सफाई

मेडिकल साइंस में इसे सिरींजिंग कहते हैं। कान का मैल साफ करने के लिए एक सिरिंज के जरिए कान की नलिकाओं पर पानी की फुहारें डाली जाती हैं। इससे ईयर वैक्स साफ तो होता है लेकिन कुछ केस में ये तकलीफदेह है और यहां तक कि कान के पर्दे भी नुकसान हो सकता है।

माइक्रोसक्शन

ईयर वैक्स से परेशान मरीजों के लिए मेडिकल क्लिनिक माइक्रोसक्शन का ऑप्शन भी है। इसमें डॉक्टर कान के अंदर देखने के लिए माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करता हैं। ये तरीका काफी सुरक्षित है और कान से नियमित रूप से होने वाले स्राव के मामलों में असरदार भी है।

ईयर कैंडल्स

ईयर कैंडल जैसा प्रोडक्ट भी बाजार में मौजूद है। पतली और जलती हुई मोमबत्ती को एक शंकु के आकार वाली चीज में रखा जाता है। शंकु में एक तरफ छेद होता है और इसकी दिशा कान के अंदर होती है। दावा है कि इसके इस्तेमाल से कान का मैल और साफ हो जाती हैं। इससे मोमबत्ती का वैक्स कान तक पहुंच सकता है और कान के पर्दे को नुकसान पहुंच सकता है।

कान में तेल डालना चाहिए या नहीं

कान में तेल डालने से मैल निकलता है, ये धारणा गलत है। कान में तेल डालने से कान में इंफेक्शन होता है। इतना ही नहीं, कान में तेल डालने से कान का पर्दा भी खराब हो सकता है।

कान में खुजली या दर्द

खुजली या दर्द होने पर कानों में तेल डालते हैं तो सावधान हो जाईए क्योंकि तेल डालने के काफी दिनों बाद तक कान में नमी रहती है। धूल से मैल जमने लगता ,इंफेक्शन का खतरा बढ़ता और कान का पर्दा खराब होता है। ख्याल रखेंगे कि कान में कभी भी तेल न डालें।

नजदीकी डॉक्टर के पास जाएं

अगर इन सब आसान टिप्स को अपनाने के बाद भी आप का कान नहीं साफ हो रहा है तो किसी ईएनटी डॉक्टर को दिखाएं। हो सकता है कोई और परेशानी हो। अक्सर कान में चोट लगने की वजह से भी कान भरा भरा लगता है।

कान में अधिक ईयर वैक्स होने के लक्षण

  • ज्यादा वैक्स होने पर कान दर्द होता है।
  • सुनाई कम देने लगता है।
  • कान में रिंगिंग जैसा होने लगता है।
  • कान में इरिटेशन होने लगती है।

कान के मैल से जुड़ी अहम बातें

  • कान का मैल शारीरिक पदार्थों में से एक है।
  • इसका इस्तेमाल लिप बाम के तौर पर किया जाता था।
  • यह शरीर में प्रदूषक पदार्थ इकट्ठा होने का संकेत देता है।
  • शरीर में बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है।

‘कान के मैल’ का काम

  • कान को साफ और स्वस्थ रखने में मदद करता है।
  • कान की सेल के ऊपर जमी परत सुरक्षित करता है।
  • कान को धूल कणों और पानी से बचाता है।
  • इंफेक्शन को रोकने में मदद मिलती है।
  • कान सेल खुद ही अपनी सफाई कर लेती हैं।

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