3 घंटे पहले

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बदलती लाइफस्टाइल और बढ़ते कॉम्पटीशन में तनाव से बचना तो मुश्किल है, लेकिन हेल्दी आदतें अपनाकर स्ट्रेस को कम जरूर किया जा सकता है। तनाव से तन-मन पर क्या असर होता है और इससे कैसे बचा जाए इसके बारे में बता रही हैं मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मंजूषा अग्रवाल।

तनाव से होने वाली बीमारियां

तनाव शरीर के हर अंग पर प्रभाव डालता है। तनाव के लक्षणों को पहचानकर इससे बचने के उपाय शुरू किए जा सकते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जितनी सुविधाएं हैं तनाव भी उतने ही ज्यादा हैं। तनाव का असर शरीर और मन पर न पड़े इसके लिए सबसे पहले रहन सहन पर ध्यान देना जरूरी है। शरीर या व्यवहार में हो रहे किसी भी बदलाव या असामान्यता को नजरअंदाज न करें। इसके लिए तनाव के संकेतों को पहचानना जरूरी है।

लगातार सिरदर्द रहना

यदि आपको लगातार सिरदर्द रहने लगा है तो पहले यह चेक करें कि आप किसी चीज का तनाव तो नहीं ले रहे। तनाव के कारण सिरदर्द हो तो पहले तनाव कम करने की कोशिश करें, सिरदर्द अपने आप दूर हो जाएगा।

तनाव से होता माइग्रेन

माइग्रेन होने का एक बड़ा कारण तनाव भी है। अगर आप लंबे समय से तनाव में हैं तो आपको माइग्रेन की तकलीफ हो सकती है। ऐसे में फिजिकल एक्सरसाइज, योग, मेडिटेशन, हेल्दी डाइट और पर्याप्त नींद आपके बहुत काम आ सकती है। लाइफस्टाइल बदलकर आप माइग्रेन से छुटकारा पा सकते हैं।

ब्लड प्रेशर बढ़ जाए

ब्लड प्रेशर बढ़ने का कारण लाइफस्टाइल और तनाव है। इन दोनों को कंट्रोल करके आप स्ट्रेस से बच सकते हैं। जब भी आप तनाव में हों तो अपना ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल लेवल जरूर चेक करें। यदि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो तो समझ जाइए कि ये तनाव का असर है। ऐसे में सबसे पहले तनाव कम करने की कोशिश करें।

हाई शुगर लेवल

तनाव का असर शुगर लेवल पर पड़ने लगता है। स्ट्रेस ज्यादा हो और व्यक्ति लगातार तनाव में रहे तो वह डायबिटीज का शिकार हो सकता है। ऐसे में तनाव कम करके शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है।

मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाए

तनाव का असर पाचन शक्ति पर भी पड़ता है। अगर आप कब्ज, गैस, एसिडिटी से परेशान हैं तो अपना स्ट्रेस लेवल भी चेक कर लें। मेटाबॉलिज्म स्लो होने की वजह भी तनाव हो सकता है।

तनाव से होने वाली मनोवैज्ञानिक समस्याएं

तनाव का शरीर पर ही नहीं मन पर भी असर होता है। मन पर होने वाला असर व्यवहार में दिखाई देने लगता है।

एंग्जाइटी

हमेशा सोचते रहना, ब्रेन फॉग, डर चिड़चिड़ापन, नींद न आना आदि एंग्जाइटी के लक्षण हैं। ये एक ऐसी गंभीर स्थिति है, जिसका असर शरीर और मन दोनों पर होता है।

डिप्रेशन

ये एक ऐसी मानसिक स्थिति है जो व्यक्ति को बिल्कुल अकेला कर देती है। डिप्रेशन का पता अक्सर देर से चलता है और समस्या बढ़ने पर इससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। यदि आपको किसी चीज से खुशी न मिले, बार बार रोने का मन करे, आप अकेले रहने लगें, तो ये डिप्रेशन के संकेत हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत इलाज कराएं ताकि आप इस स्थिति से बाहर निकल सकें।

अनिद्रा

नींद न आना तनाव का सबसे बड़ा संकेत है। नींद की कमी से कई हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं। अगर आपकी नींद डिस्टर्ब रहने लगी है तो पहले ये चेक करें कि आप तनाव में तो नहीं हैं। तनाव कर के आप अनिद्रा की समस्या से बच सकते हैं।

योग, मेडिटेशन और लाइफस्टाइल बदलकर तनाव से बचा जा सकता है

योग, मेडिटेशन और लाइफस्टाइल बदलकर तनाव से बचा जा सकता है

फोकस में कमी

अगर आपका किसी चीज में मन नहीं लग रहा। ध्यान केंद्रित करने में तकलीफ हो रही है तो ये तनाव के संकेत हो सकते हैं। ऐसे में योग और मेडिटेशन आपके बहुत काम आ सकता है। लाइफस्टाइल बदलकर फोकस बढ़ाया जा सकता है।

मूड स्विंग

पल में हंसना, पल में रोना, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, ये सब मूड स्विंग के संकेत हैं। ऐसा तब होता है जब व्यक्ति तनाव में होता है। अगर आपका व्यवहार लगातार बदलता रहता है तो सबसे पहले अपने स्ट्रेस लेवल पर ध्यान दें। तनाव पर कंट्रोल करके मूड स्विंग की समस्या से बचा जा सकता है।

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