2 घंटे पहले

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“रागीश, पहले कुछ खा लो, फिर खेलना बाद में।” अलका की आवाज सुनकर ईशान के हाथ वहीं रुक गए। उसने रागिनी की तरफ देखकर सिर हिलाया। रागिनी भी अपने हाथ साफ करते हुए उठ खड़ी हुई।

“क्या कर रहे थे दोनों?” रागिनी की मम्मी ने पूछा तो उन्होंने साथ में जवाब दिया, “अपना घर बना रहे थे।”

सबने समंदर किनारे बन रहे उस रेत के घर को देखा और मुस्कुरा दिए। जल्दी-जल्दी सैंडविच खत्म करके बच्चे वापस भाग गए। थोड़ी ही देर में रागिनी रोते हुए वापस आ गई। ईशान उसकी पीठ पर हौले से थपकियां दे रहा था।

“मम्मा, हमारा घर टूट गया।” रागिनी का चेहरा आंसुओं से भीगा था।

“कोई बात नहीं बेटा, रेत के किले ढहने के लिए ही होते हैं। तुम्हारा घर कोई नहीं तोड़ सकता। है न ईशान…?” इस बार ईशान के पापा उसे प्यार से देखते हुए बोले। ईशान ने भी ‘हां’ में सिर हिलाया।

“चलो, हम आइसक्रीम खाकर आते हैं।”

“हुर्रे…” बच्चे खुश हो गए थे।

अनिल, अजय और रघु तीनों पड़ोसी और बेस्ट फ्रेंड्स थे। इसीलिए उनके बच्चे रागिनी, ईशान और अलका भी बेस्ट फ्रेंड्स थे। कोई भी किसी के भी घर कभी भी आ जाता था, उनके माता-पिता को चिंता भी नहीं रहती थी। लेकिन ईशान और रागिनी के बीच एक स्पेशल बॉन्ड था। दोनों हमेशा ही साथ रहते थे। इसीलिए उनका नाम ही ‘रागीश’ पड़ गया।

आज सब पिकनिक के लिए बीच पर गए थे। वापसी में बच्चे थककर सो रहे थे।

“अनिल, क्यों न हम इस दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दें।” अजय ने एकदम कहा।

“हाहा, एकदम फिल्मी। मुझे पता है तू क्या सोच रहा है। लेकिन यार ये अभी छोटे बच्चे हैं। बड़े होकर क्या पता…”

“तब की तब से देखी जाएगी। लेकिन मेरी बहू रागिनी ही बने, मेरी यही इच्छा है।”

“ईशान भी मेरे बेटे जैसा ही है।”

समय पंख लगाकर उड़ रहा था। दोनों जवान हो रहे थे। रागिनी ने बचपन से ही अपना नाम ईशान के साथ जुड़ा ही देखा था।

“यार अलका, ईशान अब भी मुझे बच्चों जैसा ही ट्रीट करता है। मेरी कितनी इच्छा होती है, मेरा बॉयफ्रेंड मेरे प्यार में पागल हो, अपनी फीलिंग्स बताए। लेकिन यह तो बस धौल-धप्पा ही करता रहता है।”

“हाहा। पागल लड़की, क्योंकि एक तो वह बॉयफ्रेंड नहीं, हज़बैंड मटीरियल है। दूसरी बात, वह छिछोरा नहीं, डीसेंट बंदा है। तीसरी बात, बचपन से ही तुम लोग इतने क्लोज और फ्रैंक रहे हो। अब एकदम से कुछ नहीं बदलने का। लेकिन देखना, शादी के बाद तुम्हारी लाइफ दूसरों के लिए मिसाल होगी। इतना अंडरस्टैंडिंग और लविंग, केयरिंग लाइफ पार्टनर मिलना सच में बहुत खुशनसीबी की बात है।” अलका ने उसके कमर तक लहराते बालों की पोनी बनाते हुए कहा।

और अलका की बात सही साबित हुई। रागिनी के अंदेशों को भी विराम लगा, जब एक सादा से फंक्शन में ईशान के नाम की डायमंड रिंग उसकी उंगली में झिलमिलाई।

“पर बेटा एमबीए तो यहां से भी हो सकता है। यूएस ही क्यों जाना है।”

“पापा, यूएस की यूनिवर्सिटीज एक्सीलेंट हैं। आप सोचिए, कितनी वैल्यू बढ़ जाएगी मेरी। एक्सपोजर और एक्सपीरियंस भी मिलेगा। और तीन साल की ही तो बात है।”

इकलौते बेटे की इच्छा अजय को पूरी करना ही थी। रागिनी का दिल बैठा जा रहा था, लेकिन ईशान की बातें भी सही थीं।

“तुम भी पोस्ट ग्रेजुएशन कर लो। इस दुनिया में स्किल्स जितने हों और जितने अपडेटेड हों, उतना अच्छा।” ईशान ने प्यार से उसे समझाया।

“मेरी दुनिया तो तुम्हीं हो। मुझे और कोई स्किल नहीं चाहिए।”

“रागिनी, मुझे स्ट्रॉन्ग, इंडिपेंडेंट वुमन पसंद हैं, जिनकी अपनी लाइफ हो, सपने हों, एम्बिशन हो। न कि पति के आगे-पीछे ही घूमती रहे।” ईशान गंभीर हो गया।

“आगे-पीछे नहीं घूमूँगी। सिर पर सवार रहूंगी।” वह खिलखिलाई तो ईशान भी मुस्कुरा दिया। उसे पता था, थोड़ी देर में वह रोने लगेगी, इसलिए चुपचाप उठकर चला गया। शाम की फ्लाइट थी।

शुरुआत में उनकी रोज बातें और मैसेज होते, जो धीरे-धीरे कम होते जा रहे थे। रागिनी शिकायत करती तो वह अक्सर चिढ़ जाया करता। आए दिन उनके झगड़े होने लगे, लेकिन ईशान कभी आगे से बात करने की पहल नहीं करता था।

रागिनी ने समझौता कर लिया था। वह उसे नाराज करने से डरने लगी थी। इसलिए बहुत सोच-समझकर बहुत कम बात करती थी। उसके बाद भी लड़ाई हो जाए तो खुद को दोष देती रहती थी। लेकिन इस बार तीन महीने से उसकी बात नहीं हुई थी। उसके मन में तरह-तरह के वहम आ रहे थे, लेकिन कुछ कर नहीं सकती थी क्योंकि वह इंडिया आने ही वाला था।

पर ईशान जब लौटा तो उसके अंदेशों और वहम से भी बुरा झटका लगा था। वह अकेला नहीं था। उसके साथ एला भी थी, उसकी बैचमेट और यूएस बेस्ड इंडियन बिजनेसमैन की इकलौती बेटी। बहुत सुंदर, स्मार्ट, महत्त्वकांक्षी, जो इंडिया में अपनी कंपनी खोलना चाहती थी। उन दोनों ने यूएस में ही शादी कर ली थी और तीन महीने से साथ रह रहे थे।

अजय बहुत शर्मिंदा थे। वे अनिल और रागिनी से नजरें नहीं मिला पा रहे थे।

रागिनी पर यह खबर बिजली सी टूटी थी। वह बेसुध हो गई थी। अलका न होती तो शायद वह जिंदा ही न बच पाती।

ईशान और एला हनीमून पर जा चुके थे और अनिल ने जबरदस्ती उसे अलका के साथ अपनी नानी के घर भेज दिया। वे भी उस कॉलोनी से मकान बेचकर कहीं और शिफ्ट होने की तैयारी में थे।

छह महीने के इलाज और थेरेपी और अलका की अथक कोशिशों के बाद रागिनी धीरे-धीरे डिप्रेशन से बाहर आ रही थी। लेकिन उसे एक चुप लग गई थी। कई बार अपनी उंगली में जगमगाती उस सगाई की अंगूठी को देखती रहती, जिसे सबके कहने के बावजूद उसने नहीं उतारा था। वह शाम, सिल्वर ग्रे गाउन में सजी वह और ब्लैक थ्री पीस में शानदार लगता ईशान जब साथ खड़े थे और सब तारीफी नजरों से उन्हें देख रहे थे। स्टेज पर बड़ा-बड़ा लिखा ‘रागीश’।

आंसू बे-आवाज बहते रहते। आखिर क्यों, मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ, इसका जवाब किससे मांगती। मेरा घरौंदा फिर बनने से पहले ही टूट गया… यह भी रेत का निकला।

आखिर उसने आगे पढ़ने का फैसला कर ही लिया। कॉलेज जाते दो महीने हो गए थे। जिंदगी पटरी पर आ रही थी। तभी अरसे बाद उसके व्हाट्सएप की नोटिफिकेशन बेल बजी। उसने 4 बार नंबर चेक किया। ईशान का ही था।

“कैसी हो। पढ़ाई ठीक चल रही न?”

इतना नॉर्मल, इतना कॉमन, जैसे कुछ हुआ ही न हो। वह रास्ते में ही फूट-फूटकर रो दी। उसे लगा था, उसे बहुत गुस्सा आएगा, बहुत बातें सुनाएगी, लेकिन हुआ उल्टा ही। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा और उसे बहुत खुशी सी हुई। वजह वह खुद भी नहीं जानती थी।

“ठीक हूं। तुम कैसे हो।” उसकी उंगलियां जैसे अपने आप टाइप कर रही थीं।

“क्या मैं कभी-कभी तुमसे बात कर सकता हूं? बहुत याद आती है। पर मैसेज करने की हिम्मत नहीं थी। बहुत सी बातें करना थीं। तुम कब फ्री होती हो।”

“जब भी तुमको टाइम हो कर लिया करो।”

फिर तो न जाने कितनी देर तक वे बातें करते रहे। आज रागिनी के चेहरे पर अलग ही चमक थी। बात-बात पर हंसी छूट रही थी। यह सब अलका की नजरों से बचा नहीं रह सका।

“क्या बात है रागिनी। सच बता, मेरी कसम।”

“ईशान का मैसेज आया था।” रागिनी ने नजरें चुराईं, लेकिन सच बता दिया।

अलका ने गहरी सांस भरी।

“मतलब सही कहते हैं लोग। आपकी साल भर की मूव ऑन की कोशिश पर, आपके दोस्तों और फैमिली के सारे एफर्ट्स पर आपके एक्स का एक मैसेज पानी फेर जाएगा।”

“ऐसी बात नहीं अलका…”

“चुप! मुझे मत सिखा। जो हम 8 महीने में नहीं कर पाए, वह उसके एक मैसेज ने कर दिया। मतलब अफवाहें सही हैं, ईशान और एला की बन नहीं रही है। दोनों के बीच रोज लड़ाइयां हो रही हैं। शायद अब वह पछता रहा है और तेरी तरफ लौटना चाहता है। पर याद रखना, वह अभी भी उसी की ब्याहता है। डिवोर्स नहीं हुआ है। अगर वह सीरियस है तो तलाक ले एला से फिर आगे की सोचे।”

अलका की बात से तो रागिनी के मन पर से बोझ ही उतर गया। उसने जान-बूझकर एला के बारे में ईशान से कोई बात नहीं की थी, न ही उसने कुछ कहा था लेकिन अब वजह जानकर वह बहुत ख़ुश और बेफिक्र हो गई थी। शायद प्यार अंधा होने के साथ-साथ समंदर की फितरत रखता है, प्रेमी को नदी की तरह खुद में समेटने हमेशा तैयार रहता है।

रागिनी की जिंदगी फिर से पृथ्वी की तरह ईशान रूपी सूरज की परिक्रमा करने लगी थी। दिन-रात बातें चलती रहती थीं। वह बेताबी, वह इजहार जो वह हमेशा से उम्मीद करती थी, तरसा करती थी, अब मिल रहा था। उसे यकीन हो गया था सच्चे प्यार की ताकत पर।

“बहुत काट लिया मैंने वनवास। अब अपने शहर में लौटने का समय आ गया है।” उसने मन में सोचा और अलका के साथ जाकर ईशान की पसंदीदा घड़ी खरीदी, जो काफी महंगी थी।

“कल उसका बर्थडे है और वह बहुत उदास है। उसे सरप्राइज देंगे।”

अलका अपनी दोस्त के लिए खुश भी थी और सशंकित भी।

लेकिन सरप्राइज़ रागिनी को मिला, जब उसने देखा कि ईशान कार का दरवाजा खोल रहा है और 8-9 महीने की गर्भवती एला उसका हाथ पकड़कर मुस्कुराते हुए फ्रंट सीट पर बैठ रही है।

अलका ने रागिनी का हाथ कसकर पकड़ा और उसे साइड ले गई, ताकि ईशान की नजर उन पर न पड़े।

“यह सब क्या चल रहा है रागिनी। मैं ईशान से बात करती हूँ।”

“नहीं, अलका। बहुत तमाशा बना लिया मैंने अपना, अपनी मासूम फीलिंग्स का, अब और नहीं। वह मर्द है। उसका ईगो सेटिस्फाई होता है यह देखकर कि एक हाइली क्वालिफाइड औरत उसकी गृहस्थी संभाल रही है, उसके बच्चे की मां बन रही है और दूसरी उसके प्यार में अब भी दीवानी है, पागल है।

जैसे ही उसे पता लगा, मैंने भी एमबीए में एडमिशन ले लिया है, तभी उसे मेरी याद आई। लेकिन मैं उसे जीतने नहीं दूंगी। अब और नहीं हार सकती। मैं भी करियर ओरिएंटेड, सक्सेसफुल बिजनेस वुमन बनूँगी, जिसके अपने सपने, अपने एम्बिशन और अपनी जिंदगी होगी, न कि किसी की पिछलग्गू, जैसी लाइफपार्टनर वह चाहता था, जब मेरा दोस्त था। फिर अपने काबिल जीवनसाथी का चुनाव खुद करूंगी। मैं रागीश नहीं रागिनी देसाई हूं। मेरी अपनी पहचान बनेगी अब।”

वह मजबूती से अलका का हाथ पकड़कर वहां से निकल गई। अलका रो रही थी, पर रागिनी की आंखों में एक आंसू नहीं था।

उसने फोन निकाला और ‘हैप्पी बर्थडे ईशान एंड गुड बाय फॉरएवर।’ टाइप करके उसका नंबर ब्लॉक करके डिलीट कर दिया। गिफ्ट बॉक्स करीबी डस्टबिन में पड़ा था।

– नाज़िया खान

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