नई दिल्ली2 घंटे पहलेलेखक: संजय सिन्हा

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मैं संजू सिंह बिहार के पटना की रहने वाली हूं। पटना हाई कोर्ट की वकील हूं। पिछले 20 वर्षों से पीड़ित महिलाओं और बच्चों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रही हूं। चुनौतियां कुछ भी हो, अपनी राह से हटती नहीं हूं इसलिए लोग ‘बिहार की आयरन लेडी’ कहते हैं।

पापा कहते तुम जज बनना, मैं वकील बनी, भाई आईएएस बना

पापा पुलिस अफसर थे। मैं मूल रूप से भागलपुर की रहने वाली हूं लेकिन मेरा ज्यादातर समय रांची में बीता। ग्रेजुएशन तक पढ़ाई रांची में हुई। हम 6 भाई बहन हैं।

हमारे घर में लड़का-लड़की में कोई फर्क नहीं था। पापा कहते कि तुम बड़ा होकर जज बनना। भाई को कहते कि यह डीएम बनेगा।

मैं घर में सबसे छोटी थी। 90 का दशक था जब प्रशासनिक सेवाओं में जाना हर किसी का सपना होता। मैंने भी यूपीएससी की तैयारी की लेकिन सफल नहीं हो पाई।

तब किस्मत मुझे वकालत की तरफ ले आई। भाई आईएएस बन गया, आज वो भोपाल में पोस्टेड है।

पुलिस अफसरों को ट्रेनिंग देती संजू सिंह।

पुलिस अफसरों को ट्रेनिंग देती संजू सिंह।

सीनियर की हत्या के बाद आंदोलन में भाग लिया

रांची में पढ़ाई के दौरान मेरी एक सीनियर की दहेज के लिए हत्या कर दी गई। उनकी आंख, चेहरे, जीभ पर एसिड डाल दिया गया था। तब मैं रांची के वुमंस कॉलेज में पढ़ती थी।

इस घटना के बाद हम लड़कियों ने सड़क पर उतर कर आंदोलन किया।

कोर्ट गए कि आरोपितों को बेल न मिले। अपने आसपास भी जब मैं देखती कि किसी के साथ अन्याय हो रहा है तो मैं पीड़ितों के साथ खड़ी होती।

तब मुझे लगता कि हमें किन-किन चीजों की जानकारी होनी चाहिए। वकालत बढ़िया प्लेटफॉर्म हो सकता था। शादी के बाद मैंने वकालत करना शुरू कर दिया।

अधिकारों को लेकर ट्रेनिंग देने लगी

वकालत के दौरान कई तरह के केस आते। डोमेस्टिक वॉयलेंस, दहेज हत्या, दहेज, 498 का केस, बच्चों के इव टीजिंग के केस।

महिलाओें और बच्चों के खिलाफ इस तरह के केस में पीड़ितों को लीगल एड देती।

यूनिसेफ के प्रोजेक्ट के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। फिर धीरे-धीरे पुलिस, ज्यूडिशियरी, लेबर डिपार्टमेंट, सोशल वेलफेयर में ट्रेनिंग देती। ज्यूडिशियल एकेडमी में विजिटिंग फैकल्टी हूं। बिहार स्टेट लीगल सर्विसेज में भी रिसोर्स पर्सन हूं।

बाद में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में भी आई। वहां बच्चियों की समस्याओं को समझने का मौका मिला। शेल्टर होम्स विजिट करती।

फिर एंटी ह्मूमन ट्रैफिकिंग पर काम करने वाली संस्था ‘न्याय नेटवर्क’ से जुड़ी। इसमें बच्चियों को रेस्क्यू कराने, उनका पुनर्वास कराने और स्किल्ड बनाने का काम किया।

तहखानों से लड़कियों को बाहर निकाला

मैंने बिहार के अलग-अलग इलाकों में वेश्यालयों से लड़कियों को रेस्क्यू कराया है।

पहली बार एक ब्रोथल से 7 नाबालिग लड़कियों को बाहर निकाला। ये लड़कियां तहखानों में बंद थीं। ये काम काफी चुनौती वाला था। हमारी टीम ने पूरे ब्रोथल का कोना-कोना छान मारा पर कुछ नहीं मिला।

तब मेरी नजर पानी की एक टंकी पर गई। जब हमने टंकी का ढक्कन उठाया तो वहां से दो लड़कियां मिलीं।

महिला ने नाखून गड़ा दिए, मुझे सेप्सिस हो गया, पर दलाल को छोड़ा नहीं

वेश्यालयों से लड़कियों को छुड़ाना काफी मुश्किल काम है। एक ब्रोथल में इसी तरह तहखाने में लड़कियों को छुपा कर रखा गया था। उन लड़कियों को किसी तरह बाहर निकाला गया।

वहां लड़कियों से जिम्मफरोशी कराने वाली महिला ने अपने नाखून मेरे शरीर में धंसा दिए, मांस बाहर आ गया। मुझे सेप्सिस हो गया, बावजूद मैंने उसे नहीं छोड़ा।

बिहार में जितने ब्रोथल हो सकते हैं वहां-वहां हमने रेस्क्यू कराया है।

अपराधियों ने मेरे सिर पर इनाम रखा

रेस्क्यू कराने पर ब्रोथल को सील कर दिया जाता है। इससे दलालों का पूरा नेटवर्क खत्म हो जाता है। दलाल कई तरह की धमकी देते हैं।

एक बार इसी तरह एक रेस्क्यू कराने पर ब्रोथल वालों ने थाने का घेराव कर दिया। मेरी टीम के दो-तीन लोगों को बंधक बना लिया। मुझे पर केस दर्ज कराया।

वो इतने आक्रोशित थे कि मैं मौके पर मिल जाती तो मार ही डालते। मुझे कई लोगों ने बताया कि आपके सिर पर इन लोगों ने इनाम रखा है। पुलिस ने भी कहा कि इस इलाके में अभी न आइए।

बेतिया में वेश्यावृत्ति उन्मूलन करवाया

बेतिया में एक टोले में पिछले 100 वर्षों से जिम्सफरोशी का धंधा चल रहा था। हमने जिला प्रशासन के सहयोग से वहां के सभी घरों में लड़कियों को बाहर निकालने की कोशिश की।

लोगों को मोटिवेट किया कि वे ये काम नहीं होने दें। वहां पर कम्यूनिटी ग्रुप बना। लड़कियों के पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था की गई।

लोगों ने चंदा कर बड़ा गेट लगाया जिस पर लिखा गया कि यहां जिस्म का धंधा नहीं होता है। जो ऐसा सोच कर आएंगे वो सीधे जेल जाएंगे। इस तरह वहां से वेश्यावृत्ति उन्मूलन हो गया।

तस्कर को देखती हूं तो उन्हें पीटने से खुद को रोक नहीं पाती

अरवल में एक बार रेस्क्यू करने गई। सोन नदी के किनारे दूर तक बालू पर चलना था। मैं काफी आगे चल रही थी। पुलिस एक किमी पीछे ही रह गई थी।

जब रेस्क्यू करा लिया तो पुलिस के जवानों ने कहा कि मैडम आपको डर नहीं लगता है। तब उन्हें बताया कि मैं किसी से डरती नहीं हूं।

जब मैं भोली-भाली छोटी बच्चियों की तस्करी करने वाले तस्करों को देखती हूं तो उन्हें पीटने से खुद को रोक नहीं पाती।

तस्कर बोलते हैं कि गलती हो गई माफ कर दीजिए तब मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चला जाता है।

लोग कहते हैं कि ये तस्कर भयानक दिखते हैं, आपको इन्हें पीटते डर नहीं लगता। मुझे डर नहीं लगता। ऐसे तस्कर या बदमाश तो मेरी आवाज सुनकर ही डर जाते हैं।

परिवार ने हमेशा सपोर्ट किया

मेरे परिवार ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया। जब मैं घर में बताती हूं कि किस हाल में ये लड़कियां रहती हैं, उन पर क्या बीतती हैं तो मेरे बच्चे ही कहते हैं कि आपको इन्हें रेस्क्यू करना चाहिए।

पति, सास-ससुर सभी ने मेरे काम को हमेशा सपोर्ट किया।

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