2 घंटे पहलेलेखक: कमला बडोनी

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अपनी घर-गृहस्थी और बच्चों की परवरिश में व्यस्त और मस्त इस महिला के साथ सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन फिर उनके जीवन में आ धमका मेनोपॉज। मेनोपॉज ने उन्हें पूरी तरह बदल कर रख दिया। वजन बढ़कर 89 किलो पहुंच गया। मूड स्विंग, हॉट फ्लैशेज ने उनके पूरे व्यक्तित्व को पूरी तरह बदल कर रख दिया।

वो ऐसे नहीं जीना चाहती थीं। उन्होंने खुद को बदलने का मन बनाया। सबसे पहले 19 किलो वजन घटाया। डांस क्लास जॉइन कर अपना शौक पूरा किया। योग की क्लास में फिजिकल और मेंटल फिटनेस पर फोकस किया। और सबसे बड़ी बात, मेनोपॉज के बाद अपना केटरिंग का बिजनेस शुरू किया।

‘ये मैं हूं’ में आज जानिए दीपिका भद्रेशा की कहानी, जो मेनोपॉज को भुलाकर फूड बिजनेस से अपनी नई पहचान बना चुकी हैं…

शादी के बाद की पढ़ाई

मेरा बचपन कानपुर में बीता और 10वीं तक की पढ़ाई भी वहीं हुई। फिर हमारा परिवार अहमदाबाद आ गया। बीए सेकेंड ईयर में ही 19 साल की उम्र में मेरी शादी हो गई। शादी के बाद मैं मुंबई आ गई। लेकिन पति 10वीं से ज्यादा नहीं पढ़ पाए। छोटी उम्र से ही उन्होंने कंप्यूटर एंब्रॉयडरी का बिजनेस शुरू कर दिया।

इसके बावजूद मेरे सास-ससुर ने शादी के बाद भी मुझे पढ़ाई जारी रखने को प्रोत्साहित किया। बीए फाइनल का एग्जाम देने के लिए मुझे तीन महीने के लिए मायके अहमदाबाद भेज दिया। मेरे दोनों भाई और मम्मी-पापा बहुत सपोर्टिव रहे।

दीपिका भद्रेशा ने पति को बिजनेस में हमेशा सपोर्ट किया। शादी के बाद से ही उनके साथ घंटों फैक्ट्री में काम किया। आज उनका कंप्यूटर एंब्रॉयडरी का बिजनेस काफी आगे बढ़ चुका है।

दीपिका भद्रेशा ने पति को बिजनेस में हमेशा सपोर्ट किया। शादी के बाद से ही उनके साथ घंटों फैक्ट्री में काम किया। आज उनका कंप्यूटर एंब्रॉयडरी का बिजनेस काफी आगे बढ़ चुका है।

पति को बिजनेस में सपोर्ट किया

जब हमारी शादी हुई तो पति पार्टनरशिप में बिजनेस कर रहे थे। तब प्रॉफिट बहुत कम था। मैं बेझिझक कह सकती हूं कि उन दिनों हमारी हालत बहुत अच्छी नहीं थी। मैं पति को सपोर्ट करने के लिए फैक्टरी जाती थी। फैक्टरी दिन-रात चलती इसलिए हम घंटों मेहनत करते। फैक्टरी में मैं खुद मशीन चलाती। इतनी मेहनत के बावजूद हमें अच्छा रिजल्ट नहीं मिलता।

शादी के तीन साल बाद हमने पार्टनरशिप छोड़कर अकेले अपना कंप्यूटर एंब्रॉयडरी का बिजनेस शुरू किया। 21 साल की उम्र में तब तक मेरी बेटी का जन्म हो चुका था। अपना बिजनेस शुरू करने पर शुरुआत में हमें काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन फिर हमारा बिजनेस चल पड़ा। आज हमारी दो फैक्टरी हैं और ईश्वर की कृपा से काम भी बहुत अच्छा चल रहा है।

बच्चों की परवरिश में बिजी हो गई

शादी के बाद मैं पति को सपोर्ट करती रही। साथ ही मुझ पर घर, सास-ससुर और दोनों बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी भी थी। मेरी सास घर पर बच्चों को संभालती थीं और मैं पति को सपोर्ट करने फैक्ट्री जाती। अपना बिजनेस खड़ा करने के लिए हमें बहुत मेहनत करनी पड़ी, लेकिन बिजनेस की तरक्की देखकर मेहनत करना अखर नहीं रहा था, बल्कि खुशी हो रही थी। मैंने घर पर अपना ब्यूटी पार्लर शुरू किया, लेकिन ससुर जी को कैंसर हो जाने के बाद मुझे पार्लर बंद करना पड़ा। मैंने हमेशा परिवार को प्राथमिकता दी। परिवार के बाद ही मेरे लिए बाकी सब चीजें हैं।

दीपिका भद्रेशा गणेश जी की बहुत बड़ी भक्त हैं। उनका मानना है कि उनके जीवन में जो भी खुशियां और तरक्की है वो सब गणपति बप्पा का आशीर्वाद है।

दीपिका भद्रेशा गणेश जी की बहुत बड़ी भक्त हैं। उनका मानना है कि उनके जीवन में जो भी खुशियां और तरक्की है वो सब गणपति बप्पा का आशीर्वाद है।

बेटी को डांस सिखाया

मुझे डांस का बहुत शौक है और मेरी बेटी भी बहुत अच्छी डांसर है। मुझे डांस के लिए कई ईनाम भी मिल चुके हैं। हम मां बेटी बहुत अच्छी डांसर हैं। बेटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उसे भारतनाट्यम भी अच्छा आता है।

मां से सीखा कुकिंग का हुनर

गुजराती खाने के बहुत शौकीन होते हैं। मेरी मां बहुत अच्छा खाना बनाती हैं। पहले मां कुकिंग क्लास चलाती थीं। मां से ही मैंने कुकिंग का हुनर सीखा। मुझे खाना बनाने का बहुत शौक है। मेरा बनाया खाना परिवार और रिश्तेदारों को बहुत पसंद आता है। लेकिन मैंने कभी इसे प्रोफेशन बनाने के बारे में नहीं सोचा। मैं बस शौक से सबके लिए खाना बनाती थी और उनके चेहरे पर खुशी देखकर मुझे बहुत संतुष्टि मिलती।

मेनोपॉज ने बदली जिंदगी

मेनोपॉज के बाद मेरा वजन 89 किलो हो गया था। उस दौरान मैं मूड स्विंग, हॉट फ्लैशेज के कारण बहुत परेशान रहती। मेरी पूरी पर्सनैलिटी बदल गई। परिवार का पूरा सपोर्ट होने के बावजूद मैं बिखर रही थी। मुझे खुद को मोटिवेट करने की जरूरत थी।

अब तक मैं सब कुछ परिवार के लिए करती रही थी, अब मैं अपने लिए कुछ करना चाहती थी। मैंने अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव लाना शुरू किया। योग, डांस, मॉर्निंग वॉक शुरू की और इस तरह मैंने 19 किलो वजन घटाया। हेल्दी फिटनेस के कारण मेरा कॉन्फिडेंस वापस लौटा। मैं पहले से ज्यादा खुश रहने लगी। मेरे हाथ वो खजाना लगा जिसने मेरी उम्र ही नहीं जिंदगी भी चमका दी।

सवाल था कि मैं खुद को बिजी कैसे रखूं, अपना मन कैसे बहलाऊं और मेनोपॉज से जुड़ी दिमागी उलझनों से कैसे बाहर निकलूं। महिलाएं मेनोपॉज से डरती हैं, लेकिन मैंने मेनोपॉज के साथ जंग करने की ठानी और उसे हराकर अपने लिए नए रास्ते तलाशे। मुझे सबसे ज्यादा खुशी खाना बनाने से मिलती है इसलिए सोचा केटरिंग का बिजनेस शुरू करूं। एक तरफ मैं खुद खाना कम कर रही थी और दूसरी तरफ मैं लोगों में स्वाद का चस्का लगाने की कोशिश कर रही थी।

दीपिका भद्रेशा का केटरिंग बिजनेस आज उनकी पहचान बन चुका है।

दीपिका भद्रेशा का केटरिंग बिजनेस आज उनकी पहचान बन चुका है।

ऐसे शुरू हुआ केटरिंग का बिजनेस

हमारी सोसायटी की किटी पार्टी में मेरी बनाई डिशेज सबको बहुत पसंद आती थीं। हमारे पास वाली बिल्डिंग में बुजुर्ग कपल रहते हैं। वो ग्लूटन फ्री डाइट लेते हैं। मैं जब भी कोई ग्लूटन फ्री डिश जैसे राइस के मफिन्स, ज्वार-बाजरी-मकई का पिज्जा, ग्लूटन फ्री पानी पूरी बनाती तो उन्हें जरूर खिलाती। उन्होंने मुझे केटरिंग का बिजनेस करने के लिए प्रोत्साहित किया।

उनका कहना था कि अगर तुम केटरिंग का बिजनेस करोगी तो हम बेधड़क कुछ भी ऑर्डर कर सकते हैं। इस तरह का सहयोग मुझे कई परिवारों से मिला। मैं योग क्लास में भी कुछ न कुछ बनाकर ले जाती। मेरा खाना वहां भी पॉपुलर होने लगा और मेरा केटरिंग का बिजनेस चल निकला।

शौक को बंधन में नहीं बांधना चाहती

मेरे केटरिंग के बिजनेस को पांच साल हो गए हैं। मेरे पास बहुत दूर-दूर से ऑर्डर आते हैं। बच्चों का बर्थडे, शादी की सालगिरह, पार्टी, त्योहार… हर तरह के ऑर्डर मुझे मिलने लगे हैं। कई होटल और फूड चेन ने भी मुझसे कॉन्टैक्ट किया कि मैं उनके लिए फूड सप्लाई करूं। लेकिन मैं अपने शौक को किसी बंधन में नहीं बांधना चाहती।

मैं टिफिन सर्विस से भी इसीलिए बचती हूं ताकि मैं किसी बंधन में न बंधूं। मैं जिस उम्र में हूं उसे देखते हुए स्ट्रेस लेने से बचती हूं। मैं पति के साथ सालभर में एक नेशनल और एक इंटरनेशनल ट्रिप जरूर करती हूं। अब तक मैं परिवार की जिम्मेदारियां निभाती रही। अब दोनों बच्चे भी सेटल हो गए हैं। अब मैं खुलकर जीना चाहती हूं।

दीपिका भद्रेशा घूमने की शौकीन हैं। वो परिवार के साथ सालभर में एक नेशनल और एक इंटरनेशनल ट्रिप करती हैं।

दीपिका भद्रेशा घूमने की शौकीन हैं। वो परिवार के साथ सालभर में एक नेशनल और एक इंटरनेशनल ट्रिप करती हैं।

कमाई के साथ रोजगार भी दे रही हूं

मैंने केटरिंग का बिजनेस पैसे के लिए नहीं शौक के लिए शुरू किया। लेकिन अब जब मैं आज अच्छा खासा कमा रही हूं तो संतुष्टि मिलती है कि मेरा भी अपना अलग वजूद है। मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना अच्छा लगता है। मेरे इस काम में चार महिलाएं मेरा हाथ बंटा रही हैं। मैं खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ उन्हें भी आत्मनिर्भर बना रही हूं।

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