5 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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नमस्ते दोस्तों…

मैं टेरेसा झारखंड की रहने वाली हूं। अभी मैं 22 साल की हूं। मेरी कहानी तब से शुरू होती है जब मैं महज साढ़े तीन साल की थी। साढ़े तीन साल की उम्र में मां चल बसी। मां के जाने के बाद मेरी जिंदगी किसी नर्क से कम नहीं थी, एक-एक चीज के लिए तरसना पड़ता था।

पापा ने दूसरी शादी कर ली

पापा ने दूसरी शादी कर ली। कहते हैं ना कि सौतेली मां सौतेली ही होती है। उनके आने के बाद मेरी जिंदगी में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जब मैं पापा से सौतेली मां की शिकायत करती तो पापा मेरी एक नहीं सुनते। मुझे पढ़ने लिखने नहीं दिया गया। मेरी दो सौतेली बहन भी थीं जिनको पापा ने पढ़ाया लिखाया उनकी सारी ख्वाहिशें पूरी कीं।

पापा ने तीसरी शादी कर ली

जब मैं 6-7 साल की हुई तो सौतेली मां का भी देहांत हो गया। उनके जाने के बाद पापा ने तीसरी शादी कर ली। मेरी तीसरी मां शादी के 6 महीने बाद ही पापा को छोड़कर चली गईं। वो चाहती थीं कि पापा अपने बच्चों को छोड़कर सिर्फ उनके साथ रहें।

पापा ने चौथी शादी कर ली

तीसरी बीवी के भागने के एक साल बाद पापा ने चौथी शादी की और फैसला लिया कि उन्हें अपने बच्चों के साथ नहीं रहना है। यहीं से हम भाई बहन बिखर गए। सौतेले भाई बहन अपने मामा के घर रहने लगे और मैं अपने मामा के घर चली गई। मामा के घर रहकर पढ़ाई-लिखाई करना मुश्किल हो रहा था। पढ़ाई का खर्च उठाने वाला कोई नहीं था। नानी की भी उम्र हो चली थी।

17 साल में मेरी शादी करा दी गई

पैसों की कमी की वजह से महज 17 साल की उम्र में मेरी शादी करा दी गई। मेरे पति के माता-पिता भी नहीं थे तो मुझे लगा ये लड़का मेरे लिए सही है। कुछ महीने तो सही से गुजरे लेकिन फिर मेरे पति का रवैया भी मेरे लिए अजीब सा हो गया। वो दूसरी लड़कियों से फोन पर बातें करता। मुझे वक्त नहीं देता। धीरे धीरे हमारे बीच लड़ाई झगड़े शुरू हो गए।

पति ने कहा-मुझे दूसरी शादी करनी है

जब मैं 4 महीने की प्रेग्नेंट थी तो मेरा पति अचानक मुझे अकेला छोड़कर गायब हो गया। मैंने बहुत फोन किए तो उसने मेरे नंबर ही ब्लॉक कर दिया। अकेले प्रेग्नेंसी में मैं बहुत परेशान हुई। 5वें महीने बाद मेरा पति अचानक घर वापस आ गया और मुझसे कहने लगा कि मेरे घर से बाहर निकल जाओ मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है। मुझे दूसरी शादी करनी है। मैंने कहा मेरी कोख में तुम्हारा बच्चा है। मैं ऐसी हालत में कहां जाऊंगी। उसने कहा जहां मर्जी जाओ लेकिन मेरा घर खाली करो। मैं ऐसी हालत में अपने मायके भी नहीं जा सकती थी क्योंकि भाई भी अलग रहने लगा था। घर में अनाज का एक दाना नहीं था और ना ही पैसे थे।

आज अगर मैं जिंदा हूं तो सिर्फ अपनी बेटी की वजह से।

आज अगर मैं जिंदा हूं तो सिर्फ अपनी बेटी की वजह से।

गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया

मेरी जिंदगी से एक और जिंदगी जुड़ी थी। मैं भूख की वजह से बीमार रहने लगी। डिप्रेशन में चली गई। लेकिन हिम्मत नहीं हारी। ज्यादा पढ़ी लिखी भी नहीं थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं कि मेरी रोजी रोटी चल सके। मैंने गांव के छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। इससे मुझे 3 से 4 हजार रूपए हर महीने मिल जाते। जब तक डिलीवरी नहीं हुई थी मैंने तब तक बच्चों को पढ़ाया। उसके बाद जब डिलीवरी का समय आया तब लेबर पेन के दौरान मैंने पति से पैसे मांगे। उसने कहा मेरे तुमसे कोई लेना देना नहीं है। मैं तुम्हें फुटी कौड़ी भी नहीं दूंगा। अगर लड़का हुआ तभी पैसे मिलेंगे। उसकी बातें सुनकर में टूट गई। मुझे लगा कि बेटी पैदा करना दुनिया का सबसे बड़ा गुनाह है।

अस्पताल में अकेली दर्द में तड़प रही थी

मैं अस्पताल में बिल्कुल अकेली दर्द में तड़प रही थी। मेरा कोई हाल पूछने वाला नहीं था। डिलीवरी के 40 दिन बाद एक महिला सही होती है। मैं दूसरे दिन से ही खाना बनाने से लेकर बच्चे की देखभाल मलिश, कपड़े धोने का काम करने लगी। पैसे रुपए की इस कदर तंगी थी कि कुछ खाने के नहीं मिलता और बच्चे को भी दूध नहीं पीला पाती। उस समय चावल के माड़ में कॉटन का कपड़ा भिगोकर बच्चे के मुंह में निचोड़ती थी। एक हफ्ते तक बच्चे को माड़ पिलाती रही। खुद को कोसती कि बच्चे को दूध भी नहीं पीला पा रही हूं। भगवान मुझे किस गुनाह की सजा दे रहा है। लोगों ने कहा ये चीजें खाओ तो दूध उतरेगा। एक हफ्ते बाद दूध आने लगा तो मैं बच्चे को दूध पिलाने लगी।

मुझे कोई उधार भी पैसे नहीं देता

मेरा सपना था कि जिंदगी में कुछ नहीं बन पाई तो एक अच्छी पत्नी बनूंगी। लेकिन बदकिस्मती से वो भी नहीं बन सकी। मेरी बच्ची मेरी जीवन का सहारा थी। सोचा था कि बेहतर मां बनकर अच्छी परवरिश करूंगी लेकिन वो सपना भी अधूरा रह गया। मुझे कोई पैसे उधार भी नहीं देता। सबको लगता कि मैं पैसे कैसे लौटाऊंगी।

8 महीने बाद पति साथ रहने आ गया

मैंने अपनी बच्ची को पूरे एक साल तक सस्ते कपड़े वाले साबुन से नहलाया है। क्या करती। 8 महीने बाद पति साथ रहने आ गया। मुझे लगा बच्चे को देखकर इसका दिल पिघल जाए और सब कुछ सही हो जाए लेकिन मैं यहां भी गलत थी। वो रोज बाहर खाना खा कर आता शराब पीकर मुझे पीटता वो चाहता था कि मैं कैसे भी करके उसके घर से निकल जाऊं। मुझे घर से निकालने के लिए उसने मारने की धमकी दी। मजबूरन मुझे उसकी दहलीज छोड़नी पड़ी। मैं रोई गिड़गिड़ाई। मेरे आगे पीछे कोई नहीं मैं कहां जाऊं। पति कहता-’किसी से शादी कर लो, मेरा पीछा छोड़ो।’

पति ने कहता- बेटी पैदा करके मेरी नाक कटा दी

पति ने कहा तुमने बेटी पैदा करके समाज के सामने मेरी नाक कटा दी। मैं इस बच्ची को नहीं रख सकता। एक दिन उसने नशे की हालत में घर बंद करके, मेरे सारे कपड़े उतारकर, उल्टा लटकाकर मारा और जानवरों सा सलूक किया। रात के 11 बजे उसने मुझे और मेरे बच्चे को घर से धक्के मार कर घर से बाहर निकाल दिया। रात मैंने नदी के किनारे चट्टान के सहारे गुजारी। सुबह होने पर रहने के लिए भाई के पास चली गई। वहां भी मेहनत करके कमाया। क्योंकि भाभी साथ नहीं रखना चाहती थीं। भाभी रोज रोज लड़ाई करती। पूरे गांव को पता चल गया कि मेरा पति मुझे रखना नहीं चाहता। इसलिए सभी मुझे बुरी नजरों से देखते।

पति की धमकी सच हुई

पति ने जो भी धमकी दी थी ठीक उसी तरह मेरे साथ होने लगा। रात को लड़कों को घर में भेजकर मेरे साथ गलत काम कराता। एक दिन शाम को जब अंधेरा होने लगा तो एक लड़का मेरे घर पर आया और मुझे छेड़ने लगा। मैं चिल्लाई कुछ लोग आए भी। दूसरे दिन मैंने पंचायत बुलाई जिसने मुझे डायन करार दे दिया। ढाई हजार का जुर्माना लगा दिया।

गांव मुझपर थू-थू करने लगा

पूरा गांव एक तरफ, मैं अकेली। कोई कहता इसे घर से निकालो तो कोई कहता इसे बिना कपड़ों में गांव की परेड कराओ। कोई कहता कि इसे कुएं और चापाकल से पानी न लेने दो। नानी का दिया गहना बेचकर जुर्माना देना पड़ा। इन सब हालात से परेशान होकर मैंने आत्महत्या करने की कोशिश की।

अंकल मुझसे जबरदस्ती करने लगा

मैं एक जगह काम करती थी। वहां एक बुजुर्ग अंकल और उनके दो बेटे थे। वहां मुझे बच्चे की वजह से बहुत डांट पड़ती। एक दिन अंकल मुझसे जबरदस्ती करने लगे। उसने कहा, ‘तुम अकेली हो और अकेले जिंदगी जीना मुश्किल होता है। मेरी बात मान लो मैं तुम्हारी और तुम्हारी बच्ची की जिंदगी संवार दूंगा।’ मैं मना किया तो उस आदमी ने मेरी तनख्वाह दिए बगैर मुझे काम से निकाल दिया।

बेटी को अनाथ आश्रम में रखने की सलाह मिली

लोगों ने कहां कि बेटी को पाल नहीं पाओगी। मुझे मायका स्वीट होम के बारे में पता चला। मायका स्वीट होम आकर बहुत अच्छा लगा। यहां मेरी काउंसलिंग की गई। मुझे यहां मोटिवेट किया गया जिसके बाद मुझे समझ आ गया कि कभी भी खुद को बदनसीब नहीं समझना चाहिए।

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