6 मिनट पहले

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हमारे बड़े बुजुर्ग दिनभर की थकान के बाद अक्सर पैर दबाने को कहते हैं। इसकी क्या वजह है? पैर या सिर दबाने से दर्द पर क्या साइकोलॉजिकल और साइंटिफिक असर होता है, इसके बारे में बता रहे हैं रांची स्थित ‘मेडिसिन 4 यू’ में इंटरनल मेडिसिन डॉ. रविकांत चतुर्वेदी।

जन्म से शुरू हो जाती है मालिश

हमारे देश में जन्म के बाद से ही बच्चे की मालिश की जाती है। नवजात शिशु की 3 से 4 बार तक मालिश की जाती है। इससे शिशु के हाथ-पैर सही शेप में आ जाते हैं। सिर चपटा है तो वह भी सही शेप में आ जाता है। बच्चे हाथ-पैर बहुत चलाते हैं जिससे लैक्टिक एसिड जमा हो जाता है। तेल मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा हो जाता है, जिससे लैक्टिक एसिड एक जगह पर जमा नहीं रह पाता। मालिश करने से पेन रिलिसिंग हार्मोन पर असर होता है और दर्द कम हो जाता है। ये टेम्प्रेरी हो सकता है।

दर्द का साइकोलॉजिकल असर

सिरदर्द या पैर में दर्द होने पर जब कोई अपना उसे दबाता है तो तुरंत आराम मिलने लगता है। इसका मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक कारण यह है कि किसी के करीबी द्वारा सिर या पैर दबाने से टच थेरेपी हीलिंग का काम करती है, केयर किए जाने का एहसास संतुष्टि देता है और अपनापन पाकर सुकून मिलता है।

दर्द का साइंटिफिक असर

सिरदर्द या पैर में दर्द होने पर दबाने या मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और आसपास जमा लैक्टिक एसिड वहां से शिफ्ट हो जाता है। इससे दर्द में तुरंत आराम मिलता है। दबाने या मालिश करने से शरीर का पेन रिलीविंग हार्मोन एंडोर्फिन रिलीज होता है, जिससे व्यक्ति को आराम महसूस होता है।

पैरों में दर्द की वजहें

जो लोग लंबे समय तक खड़े होकर काम करते हैं या कुर्सी में पैर लटकाकर बैठते हैं, उनका ब्लड सर्कुलेशन ठीक से नहीं हो पाता। इसके कारण उन्हें पैरों में दर्द होने लगता है। दबाने या मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा हो जाता है, ब्लड फ्लो बेहतर होने पर लैक्टिक एसिड वहां से शिफ्ट होने लगता है, जिससे उनका दर्द ठीक हो जाता है।

वेरीकोस वेंस

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को वेरीकोस वेंस की समस्या होती है, जिससे उनके पैरों की नसें नीली, उभरी, सूजी हुई नजर आती हैं। जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है, उनके पैरों में भी वेरीकोस वेंस की तकलीफ होने लगती है। इसमें ब्लड फ्लो नीचे से ऊपर की तरफ ठीक से नहीं हो पाता, जिससे नसें फूल जाती हैं। ब्लड सर्कुलेशन ठीक से न होने ने कारण ऐसा होता है। ऐसे लोगों को पैरों में दर्द, ऐंठन की तकलीफ होने लगती है।

ऐसी स्थिति में दबाने या मालिश करने से पैरों का तापमान बढ़ता है, ब्लड फ्लो बेहतर होता है, जमा हुआ लैक्टिक एसिड शिफ्ट होता है, जिससे आराम मिलता है। बाम या स्प्रे में मौजूद मेंथोल भी यही काम करता है। बाम या स्प्रे लगाने से गर्माहट का एहसास होता है और दर्द में आराम मिलता है।

ये लोग न करें पैरों की मालिश

जिन लोगों को हाई डायबिटीज की तकलीफ है उन्हें पैरों की मालिश नहीं करनी चाहिए। डायबिटीज में दर्द का एहसास कम होता है और मालिश के दौरान जोर लगने पर नर्व के डैमेज होने की आशंका रहती है। फ्रैक्चर होने पर भी मालिश नहीं करनी चाहिए। इससे सूजन और दर्द बढ़ सकता है। तेज बुखार होने पर भी मालिश करने से बचना चाहिए।

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