नई दिल्ली2 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

  • कॉपी लिंक

नमस्ते दोस्तों…

मैं आस्था जैन एक ऐसे परिवार से हूं जिसमें पैदा होते ही मेरे साथ दुश्मनी शुरू हो गई। मेरे पैदा होने के बाद पिता मुझे और मेरी मां को अस्पताल में ही छोड़कर चले गए क्योंकि लड़की हुई थी। उन्हें तो लड़का चाहिए था, जो उनका वंश बढ़ा सके। मुझे पता नहीं था कि बेटी होना इतना बड़ा गुनाह है।

जब मैं थोड़ी समझदार हुई तब मुझे एहसास हुआ कि आखिर पापा मुझे क्यों छोड़कर गए।

मां को दादी ने करंट लगाए

मां और पापा ने 1999 में लव कम अरेंज मैरिज की। दादा-दादी दहेज के इतने लालची थे कि उन्होंने मारुति 800 की डिमांड की। मेरी मां बहुत अच्छे और सम्पन्न परिवार से थीं। दादी और पापा को डिमांड के मुताबिक दहेज में हर चीज दी गई।

लेकिन बावजूद इसके मां को वो लोग मारते पीटते। जब मैं पेट में थी तो मेरी मां को दादी ने करंट तक लगाए ताकि मैं पेट में ही खत्म हो जाऊं। एक महीने की थी तो दादी मेरा मुंह ठंडे पानी में डाल दिया ताकि मेरा दम घुट जाए।

मां बताती हैं कि एक बार दादी ने मुझे वॉश बेसिन में उल्टा तक लटका दिया था। मां को बड़ी बेहरहमी से मारकर घर से निकाला गया। मां ने अपनी ससुराल वालों पर केस किया। इसके बाद कोर्ट कचहरी का सिलसिला शुरू हो गया।

21 साल हो गए, इंसाफ नहीं मिला

जिस उम्र में बच्चा खिलौनों से खेलता है उस उम्र में मैं मां के साथ कोर्ट और पुलिस खेल रही थी। मुझे अच्छी तरह से याद है मां वुमन सेल में पापा के सामने रोती गिड़गिड़ाती कि मुझे न सही अपनी बेटी को तो अपना लो।

लेकिन पापा साफ मना कर देते। पापा मां से कहते कि ‘मैं नहीं जनता तुम कौन हो।’ वुमन सेल के बाद कोर्ट में केस ट्रांसफर हुआ। लेकिन 21 साल हो गए हैं और आज तक इंसाफ नहीं मिला।

दूसरे बच्चों के पेरेंट्स को लगता मैं गलत लड़की हूं

स्कूल गई तो टीचर पापा के बारे में पूछती। बच्चों के परेंटस अपने बच्चों को मुझसे दूर रहने के लिए कहते। उन्हें लगता कि इसकी मां कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाती है तो इसकी सोहबत का बच्चों पर गलत असर पड़ेगा।

मां मुझे बहुत मारती, गालियां देती

साल 2005 में हम नाना के घर शिफ्ट हो गए। नानी के घर में भी हम को लेकर बहुत क्लेश हुआ। जैसे तैसे नाना नानी को मनाया। हम 10-11 साल तक नानी के घर रहे।

उस घर में सिर्फ नानी थी जो मुझे प्यार करती थीं। मां कमा नहीं सकती थी क्योंकि मैं बहुत छोटी थी।

मुझे वो किसपर छोड़तीं। मां परेशान रहतीं, कोर्ट और पैसा कमाने का प्रेशर झेलती तो उनका सारा गुस्सा मुझ पर निकलता और मैं गालियां और मार खाती। चोट लगती, खून बहता। मां पलटकर भी नहीं देखती।

नाना कहते-ये गंदी नाली का कीड़ा है

नाना मां से कहते ये गंदा खून है, गंदी नाली का कीड़ा है। इसे इसके बाप के पास भेजो। मैं तुम्हारी दूसरी शादी करा दूंगा। ये लड़की तेरे लिए मनहूस है।

मेरा कभी किसी ने सपोर्ट नहीं किया। मां के पीछे पापा ने गुंडे तक भेजते।

मां ने कॉल गर्ल बोल बोल कर जिंदगी नर्क से बदतर बना दी

मां ने कॉल गर्ल बोल बोल कर जिंदगी नर्क से बदतर बना दी। 21 साल की उम्र तक लगातार 7 बार अपनी जिंदगी खत्म करने की कोशिश की। मुझे जिंदगी से बेहतर मौत लगने लगी थी।

पहली बार जब खुदकुशी की कोशिश की तब मैं 5वीं क्लास में थी। बहुत पीटने के बाद मैंने यह कदम उठाया। डरती भी थी कि अगर बच गई तो मां मेरा क्या हाल करेगी। सुसाइड की 6 कोशिश की जिसके बारे में मां को भी नहीं पता।

मुझे लोहे की जंजीर से बांधकर रखते

मुझे लोहे की जंजीर से बांधकर इसलिए रखते थे कि मैं नीचे खेलने ना जा सकूं। मेरे पैर छिल जाते। मां से मिन्नते करती मुझे खोल दो लेकिन वो नहीं खोलती। मैंने कभी कोई शादी अटेंड नहीं की।

बर्थडे पार्टी में नहीं गई। कोई बुलाता ही नहीं था। मां को सब कहते ये लड़की तुम्हारी जिंदगी की पनौती है। इसे छोड़ दो और शादी कर लो। लेकिन मां ने दूसरी शादी नहीं की मुझे पाला, मुझे पढ़ाया लिखाया।

पापा ने कहा बेटी को कोठे पर बैठा दो

मैंने जो देखा शायद कोई और देख नहीं सकता। जब होश संभाला कोर्ट में दलील सुनने लगी। मुझे आज भी एक बात याद है जब मां ने पापा से कहा कि तुम्हारी बेटी को पालने के लिए पैसे मांग रही हूं तो पापा की कही बात आज तक मुझे याद है। पापा ने मां से कहा कि ‘बेटी पैदा की तो इसे लेकर जाकर कोठे पर बैठा दो। कमाई खुद कर लेगी। तुझे भी पाल लेगी।’

मां कहती-तुम्हारी वजह से पति मुझसे बिछड़ गया

टीनएज में लोगों की निगाहे मेरे ऊपर ही रहती। क्योंकि सबको पता था कि बाप तो पहले ही छोड़ चुका है और मां इसकी सुनती नहीं इसपर विश्वास नहीं करेगी।

मां मुझसे ज्यादा बड़े मामा की बेटी से प्यार करती। मां उसके साथ खेलती, फिल्में देखती। मां भी मुझे कहती तेरी वजह से मेरा पति मुझसे बिछड़ गया। तुम सच में मेरे लिए पनौती हो। 10वीं क्लास में मैंने घर छोड़ दिया क्योंकि मैं उस दमघोंटू माहौल से बाहर निकलना चाहती थी।

नानी मुझे बचाती थीं

पढ़ाई में हमेशा से अच्छी रही हूं। क्लास में टॉप करती। लेकिन मां ने कभी मेरी तारीफ नहीं की। 92% नंबर आने भी ताने मिलते थे। सिर्फ नानी ही प्यार करती थीं अब वो इस दुनिया में नहीं हैं। मुझे उनकी बहुत कमी खलती है। नानी मुझे मां की मार और लोगों के तानों से बचाती थीं।

टीचर के नाखून के निशान मेरे चेहरे पर रहते

ये दुनिया इतनी खराब है कि नोच खाने के लिए हर वक्त तैयार रहती है। मैंने जब घर छोड़ा तो मिसिंग एफआईआर दर्ज कराई गई। मैं स्कूल बस से उतर कर पार्क में जाकर बैठ गई।

मुझे लगता शायद मेरे चले जाने से मां की जिंदगी आसान हो जाएगी। मां के एक जानने वाले ने मुझे घर पहुंचाया। जब स्कूल में ये बात खुली तो टीचर ने मुझे बॉयकॉट कर दिया।

टीचर भी मुझे टॉर्चर करने लगे। टीचर ने मुझे इतना मारा की उनके नाखून के निशान मेरे चेहरे पर बन गए। स्कूल में 12वी में इकॉनॉमिक्स टॉपर रही। आईपी यूनिर्सिटी में लॉ में एडमिशन लिया। फर्स्ट और सेकेंड ईयर बहुत अच्छा रहा। लेकिन थर्ड ईयर 2021 में आकर जिंदगी ने ऐसा मोड़ा लिया कि सब कुछ बदल गया।

पहली बार किसी ने बेटी कहकर पुकारा

मैंने दोबारा घर छोड़ दिया। मैंने ‘वन सखी स्टॉप सेंटर’ में 5 दिन गुजारे। सिर्फ अपनी किताबें लेकर चली गई। मां से सिर्फ इतना कहा कि शुरुआत आपने की थी, मैं खत्म कर रही हूं। उस वक्त मेरा लॉ पूरा हो गया था।

मैं कोई ऐसी जगह ढ़ूढ रही थी जहां मैं रह सकूं लेकिन मन में डर भी था कि कहीं कोई मेरा इस्तेमाल न कर लें। एक समाजसेवी संस्थान ने मेरी मदद की। रहने को छत, पढ़ाई की फीस और मेरे खाने पीने का इंतजाम हो गया। जिंदगी में पहली बार लगा कि बेटियां अभिशाप नहीं होती हैं।

खबरें और भी हैं…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here