16 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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कला कभी मंच की मोहताज नहीं होती। कैसे भी हालात हों कला अपने लिए मंच की तलाश कर ही लेती है। ये बात हर कलाकार सदियों से साबित करते चले आ रहे हैं। आज एक ऐसी ही कलाकार की कहानी…जिसने लाख परेशानियों, रूकावटों के बावजूद अपनी कला को जिंदा रखा। संघर्षों, लाख बंदिशों और परेशानियों के बावजूद इस सिंगर ने अपने लिए मंच की तलाश कर ही लिया। अब वो असम की जानी मानी सिंगर हैं। बड़े-बड़े शो में परफॉर्म कर रही हैं। वो असम की लोकल भाषा के साथ हिंदी गानों पर भी परफार्म कर के महफिल जामाती हैं। उनकी मधुर आवाज के देश के कोने-कोने में लोग दीवाने हैं।

दैनिक भास्कर की ‘ये मैं हूं’ सीरीज में जानिए असम की सिंगर बोनो श्री सैकिया की कहानी उन्हीं के शब्दों में।

नमस्कार दोस्तों…

मैं बोनो श्री सैकिया पेश से एक सिंगर हूं। मैं अपना एक ‘एस के बी बोनोश्री’ नाम से बैंड चलाती हूं। जिसमें हिंदी इंग्लिश और असम की भाषा में गाने गाती हूं। बचपन से ही मुझे म्यूजिक में बहुत दिलचस्पी थी। मैं हमेशा स्कूल में म्यूजिक कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया करती थी।

परिवार से नहीं मिला सपोर्ट

मेरे गाने के शौक को पापा ने कभी समझा नहीं। वो नहीं चाहते थे कि मैं स्टेज पर परफॉर्मेंस करूं। उन्होंने मेरे प्रोफेशन को कभी भी सपोर्ट नहीं किया। उसकी वजह मेरे कजन थे। मेरे घर में हर इंसान एकेडमिक की तरफ ही गया। कोई डॉक्टर है तो कोई इंजीनियर है। पापा चाहते थे कि मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके उनके मुताबिक प्रोफेशन चुनूं या एक अच्छी सी जॉब करूं। लेकिन मेरा मन में तो हर दम सूर, ताल, लय, तरंगे गोते खा रही थीं। मेरा पढ़ाई में मन ही नहीं लगता था जिसकी वजह से पापा मुझसे नाराज रहते।

मां ने हमेशा मेरा साथ दिया

मां हमेशा मेरा साथ देती थीं। क्योंकि वो खुद भी गाने की शौकीन थीं। वो अक्सर गुनगुनाती रहतीं। घर में जब भी कोई प्रोग्राम होता तो वो थोड़ा बहुत गाना गातीं। बचपन से मां को ही देखकर मेरे अंदर भी गाने गाने का शौक पैदा हुआ। संगीत का ये शौक कब जुनून बन गया मुझे पता ही नहीं चला। लेकिन संगीत सिखाने वाली पहली टीचर मेरी मां ही हैं। मैंने उन्हीं से प्रेरणा लेकर अपने शौक को प्रोफेशनल बनाने का फैसला किया।

कुदरती संगीत के बहुत करीब हूं

बचपन से ही सुरों के सागर में डुबकी लगाती रही हूं। मेरे रग रग में संगीत रचा बसा है। मन में सिर्फ संगीत ही संगीत गूंजता रहता। भगवान की बनाई इस खूबसूरत दुनिया को मैं हमेशा संगीत की नजर से देखती हूं। मुझे नदियों की बहती धारा, हवाओं की सरसराहट, बारिश की झमाझम, सन्नाटी रात में झींगुर की आवाज कुदरती संगीत का एहसास दिलाती है जो मुझे बहुत ही सुकून देती है।

दिल दिमाग पर संगीत हावी रहा

दिल दिमाग पर संगीत इतना हावी रहा कि मैं कभी अच्छी स्टूडेंट नहीं रही। 10वीं में भी मैंने म्यूजिक सब्जेक्ट लेकर पढ़ाई की जिसमें मुझे सबसे ज्यादा अधिक नंबर मिले। स्कूल के अलावा मैंने अलग से भी संगीत में डिग्री हासिल की है। मुझे मॉडलिंग करने का भी मौका मिला।

बड़े सिंगर के साथ काम करने का मौका मिला

जब मैं कॉलेज में थी तो उस वक्त मुझे एक बड़े सिंगर के साथ काम करने का मौका मिला। जिसके लिए मुझे गुवाहाटी शिफ्ट होना पड़ा। गुवाहाटी मेरे लिए अंजान शहर था, यहां न मैं रास्ते जानती थी और न ही लोगों को। लेकिन मेरे सपने मेरी चाहत मुझे इस अंजान शहर ले आए। मेरी जिंदगी में गुवाहाटी की खूबसूरत यादें हैं। इस शहर ने मुझे शोहरत दौलत और बतौर सिंगर पहचान दी, मेरी कला को जिंदा रखने में गुवाहाटी का अहम रोल है। इसलिए तब से अब तक मैं गुवाहाटी में ही रहती हूं। मैंने इस शहर को और इस शहर ने मुझे अपना लिया।

मैंने अपनी शादी का सारा खर्च खुद उठाया

जब घर छोड़कर नए शहर आई तो सफर थोड़ मुश्किल था। लेकिन धीरे धीरे रास्ते बनते चले गए और सब ठीक हो गया। अब मैं म्यूजिक के शोज करती हूं, अच्छा पैसा भी कमा लेती हूं। मैंने गुवाहाटी में घर और गाड़ी सब कुछ जरूरत का सामन भी ले लिया है। पापा मम्मी को भी फायनेंशियल सपोर्ट करती हूं। मैंने अपनी शादी का सारा खर्च खुद उठाया था। अब धीरे धीरे सब मेरे सपोर्ट में आ रहे हैं।

शादी से मिले दर्द

मैंने बहुत ही कम उम्र में शादी कर ली थी। हम दोनों एक दूसरे को पहले से ही जानते थे। शादी से पहले तो सब कुछ अच्छा था। वो जानते भी थे कि मैं एक ऐसे प्रोफेशन में हूं जहां बड़ा खुला माहौल होता है। मैं एक सिंगर हूं, शो के लिए मुझे देर रात तक बाहर जाना पड़ता है। ये सब मेरे एक्स हसबैंड को पहले से ही पता था और वो मुझे सपोर्ट करते थे। लेकिन अचानक न जाने क्या हुआ कि वो मेरे लिए बेरूखी दिखाने लागे। देर रात तक पार्टी, लोगों से मिलना जुलना उन्हें पसंद नहीं आता। मेरे प्रोफेशन को लेकर घर में रोज लड़ाई झगड़े होते रहते। उसे मेरा दूर दूर जाकर परफार्म करना पसंद नहीं था।

मैंने तलाक ले लिया

एक दिन बात इतनी ज्यादा बढ़ गई कि मैं पति से लड़ झगड़कर पापा के घर आ गई। पापा को अपनी जिंदगी में चल रहे तूफान के बारे में सब कुछ बता दिया। पापा ने मेरी बात सुनकर मुझे समझाया और कहा अभी भी देर नहीं हुई है, अगर तुम दोनों एक दूसरे के साथ खुश नहीं हो तो इस रिश्ते को यहीं खत्म कर दो। अभी ज्यादा देर नहीं हुई है। पापा के कहने पर मुझे भी लगा कि कल को बात ज्यादा बढ़े मुझे फैसला कर लेना चाहिए और मैंने उससे तलाक ले लिया।

जिंदगी ने बहुत दिया

अपने मुश्किल दौर से बाहर निकलने के बाद मुझे एहसास हुआ कि जिंदगी बहुत रंगीन और सुरों के संगम से भरी है। कुदरत ने हमें ऐसे नायाब तोहफे दिए हैं जिसके जरिए हम जिंदगी को संवार सकते हैं। अब मैं अपने काम पर पूरा फोकस कर रही हूं।

मुझे लोगों का भरपूर प्यार और सपोर्ट मिल रहा है। मैं हमेशा भगवान की शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे मीठी और खूबसूरत अवाज का तोहफा दिया है। मेरा सपना और कोशिश दोनों है कि मैं अपने असम और अपने देश का नाम दुनिया में रौशन करूं। जिंदगी ने मुझे मेरी सोच से ज्यादा दिया है। लव यू जिंदगी।

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