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  • Today Is The Navmi Tithi Of Magh Gupt Navratri, Gupt Navratri Significance In Hindi, Durga Puja Vidhi In Easy Steps

4 घंटे पहले

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आज (18 फरवरी) माघ मास की गुप्त नवरात्रि की अंतिम तिथि नवमी है। गुप्त नवरात्रि में देवी सती की दस महाविद्याओं के लिए साधना की जाती है, ये साधनाएं विशेष साधक ही करते हैं। सामान्य लोगों को नवरात्रि में देवी दुर्गा की सामान्य पूजा करनी चाहिए। गुप्त नवरात्रि की नवमी पर देवी पूजन के साथ ही किसी पौराणिक देवी मंदिर में दर्शन भी करना चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गुप्त नवरात्रि में पूजा-पाठ और दर्शन के साथ ही छोटी कन्याओं को पढ़ाई से जुड़ी चीजें, कपड़े, जूते-चप्पल या धन दान जरूर करें। जानिए देवी दुर्गा की सामान्य पूजा करने की सरल स्टेप्स…

नवमी पर सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।

गणेश जी को स्नान कराएं। दूर्वा, हार-फूल और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें, मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

गणेश पूजन के बाद देवी पूजा शुरू करें। घर के मंदिर में देवी दुर्गा के साथ ही शिवलिंग भी रखेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। शिव-पार्वती का आवाहन करें। भगवान को स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और फिर जल से कराएं।

दुर्गा जी को लाल चुनरी और शिवलिंग पर जनेऊ अर्पित करें। आभूषण, पुष्प हार चढ़ाएं। इत्र अर्पित करें। तिलक लगाएं। लाल फूल, बिल्व पत्र, धतूरा अर्पित करें।

चावल चढ़ाएं। नारियल अर्पित करें। भोग लगाएं। धूप और दीप जलाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें।

पूजा में दुं दुर्गायै नमः और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए भगवान से क्षमा याचना करें।

पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें। ध्यान रखें पूजा-पाठ के बाद छोटी कन्याओं को भोजन जरूर कराएं और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान भी करें।

एक साल में चार बार आती हैं नवरात्र

हिन्दी पंचांग में एक साल में चार बार नवरात्र आती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में। इनमें से माघ और आषाढ़ माह की नवरात्र गुप्त होती है। गुप्त साधनाओं की साधना के लिए गुप्त नवरात्र श्रेष्ठ होते हैं।

गुप्त नवरात्र में दस महाविद्या के लिए साधना की जाती है। इनके नाम हैं- मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी। इन गुप्त साधनाओं में होने वाली क्रियाएं सामान्य पूजा-पाठ से अलग होती हैं। जानकारी के बिना या योग्य गुरु की शिक्षा के बिना ये साधनाएं को नहीं करना चाहिए।

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