6 घंटे पहलेलेखक: कमला बडोनी

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इनको बातें करना और बातें बनाना खूब आता है। बातों से लोगों का दिल जीत लेती हैं और बातों ही बातों में इसे अपना प्रोफेशन भी बनाकर आज लाखों रुपए कमा रही हैं।

सोशल, कॉर्पोरेट इवेंट्स के साथ ही अब फैमिली फंक्शन भी इतने मनोरंजन से भरे होते जा रहे हैं। लेकिन ऐसे मौकों पर माहौल को एंटरटेनमेंट से भरा बनाने और उसे अच्छी तरह से मैनेज करने के लिए एक अच्छे एंकर की भी जरूरत पड़ती है। टीवी शोज और ऑफिस के प्रोग्राम में एंकर बहुत देखने को मिलते हैं, लेकिन अब हर शादी में भी रस्मों के दौरान एंकर रौनक लगाते नजर आते हैं।

डॉक्टर भाग्यश्री मोहन शिंदे एक्ट्रेस, मॉडल, लाइफ कोच होने के साथ साथ सेलिब्रिटी एंकर भी हैं। वह ऑनलाइन कोर्स के जरिए पब्लिक स्पीकिंग की कला भी सिखाती हैं। ‘ये मैं हूं’ में मिलिए डॉ. भाग्यश्री मोहन शिंदे से और सुनिए उनकी कहानी।

हेलो दोस्तों

मैं पिछले 10 सालों से एंकरिंग कर रही हूं और अब तक 2300 इवेंट्स होस्ट कर चुकी हूं। इस बीच 8 देशों और भारत के अलग-अलग राज्यों में इवेंट होस्ट करने और घूमने का मौका मिला। मैंने 30 दिन के एक महीने में 46 शो भी होस्ट किए हैं।

कोरोना में इवेंट्स बंद हुए तो पिछले 3 सालों से मैं लाइफ और कम्युनिकेशन कोच के तौर पर भी काम कर रही हूं। लेकिन मैंने कभी इस प्रोफेशन के बारे में सोचा नहीं था।

डॉक्टर भाग्यश्री मोहन शिंदे एंकरिंग से लाखों कमाती हैं और लोगों को ये हुनर भी सिखाती हैं।

डॉक्टर भाग्यश्री मोहन शिंदे एंकरिंग से लाखों कमाती हैं और लोगों को ये हुनर भी सिखाती हैं।

छोटे शहर में मिला बड़ा अवसर

मैं सतारा की रहने वाली हूं। वहां इतने मौके नहीं मिलते। मेरे दिमाग में कभी एक्टिंग या एंकरिंग का ख्याल भी नहीं आया। मैं पढ़ाई में बचपन से अच्छी थी। इसकी वजह घर में हमेशा से पढ़ाई का माहौल रहा है। मेरे पापा अकाउंट्स के प्रोफेसर और मां बिजनेस वुमन हैं। छोटे भाई ने आर्मी जॉइन की और मैं डॉक्टर बनने की तैयारी में जुट गई। मैं एमडी आयुर्वेद हूं, लेकिन अब मेरी पहचान बदल गई है। लोग मुझे डॉक्टर के रूप में कम और एक्टर-एंकर के तौर पर ज्यादा जानते हैं। मेरे छोटे से शहर ने मुझे बहुत बड़ी पहचान दी है।

ऐसे हुई एक्टिंग की शुरुआत

पढ़ाई के साथ साथ मैं स्कूल-कॉलेज की एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में भी हिस्सा लेती थी। इसकी वजह से मुझे स्टेज पर परफॉर्म करने की आदत थी। लेकिन मैं हमेशा से डॉक्टर बनना चाहती थी। जब मैं सेकेंड ईयर में पढ़ रही थी तब मुझे एक मराठी फिल्म में एक छोटा सा रोल करने का मौका मिला।

मेरे घर में दूर दूर तक कोई एक्टिंग के फील्ड में नहीं है, फिर भी परिवार ने मुझे प्रोत्साहित किया। मेडिकल की पढ़ाई में बहुत समय देना होता है इसलिए मैंने फिर एक्टिंग के बारे में सोचा नहीं।

उस फिल्म से लोग मुझे पहचानने लगे। इस तरह मुझे सात फिल्मों में काम करने का मौका मिला। मैंने डांस रियलिटी शो ‘डांस इंडिया डांस- सुपर मॉम’ में भी हिस्सा लिया है।

डॉक्टर भाग्यश्री मोहन शिंदे आर्मी ऑफिसर पति और बेटी के साथ

डॉक्टर भाग्यश्री मोहन शिंदे आर्मी ऑफिसर पति और बेटी के साथ

गरबा की एंकरिंग से हुई शुरुआत

10 साल पहले मैं अपने क्लीनिक में मेडिकल की प्रैक्टिस कर रही थी। उस समय तक मेरी शादी आर्मी ऑफिसर से हो चुकी थी और मेरी बेटी एक साल की थी। एक इवेंट मैनेजर मेरे पास आए और उन्होंने कहा कि उनके गरबा इवेंट की होस्ट ने ऐन मौके पर आने से मना कर दिया है। उन्हें ऐसे व्यक्ति की तलाश है जो प्रोग्राम होस्ट कर सके।

वो चाहते थे कि मैं गरबा इवेंट होस्ट करूं। मुझे गरबा इवेंट होस्ट करने का कोई अनुभव नहीं था। डॉक्टर होकर गरबा इवेंट होस्ट करना मुझे अजीब लग रहा था। मैंने अपने पापा से पूछा तो उन्होंने कहा कि ट्राई करने में क्या जाता है। कुछ नहीं हुआ तो तुम अपनी अच्छी फोटो खिंचवा लेना।

मैंने उनसे कहा कि मैं पहले एक दिन इवेंट होस्ट करके देखूंगी। अगर मैं आराम से काम कर सकी तो मैं पूरे 9 दिन करूंगी। वरना अगले दिन से ही नहीं आऊंगी। लेकिन पहले ही दिन लोगों को मेरी एंकरिंग पसंद आई। लोगों का जोश देखकर मुझे भी महसूस हुआ कि शायद मैं इसी काम के लिए बनी हूं। स्टेज मुझे घर जैसा सुकून देता है। वहां पर मैं खुद को खुलकर एक्सप्रेस कर पाती हूं। अपनी एकंरिंग से लोगों के चेहरे पर खुशी और जोश देखकर संतुष्टि मिलती है कि आपका काम पसंद किया जा रहा है और लोगों को मजा भी आ रहा है।

9 दिनों तक शाम में सिर्फ दो घंटे एंकरिंग करने के लिए मुझे ४५००० रूपए मिले। इतने पैसे तो मैं महीनेभर दिनभर में 9-10 घंटे मेहनत करके मेडिकल की प्रैक्टिस से भी नहीं कमा रही थी। इन 9 दिनों में मुझे अपना प्रोफाइल बनाने के लिए खूब सारी फोटो और वीडियो भी मिल गए। फिर तो पीछे मुड़कर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी।

एंकरिंग फुल टाइम प्रोफेशन बन गया

बोल कर इतने पैसे मिलते हैं ये मैंने कभी सोचा नहीं था। गरबा इवेंट होस्ट करने के बाद मुझे एक के बाद एक इवेंट मिलते गए और मैं इस काम में बिजी होती गई। अब मैं एंकरिंग से लाखों कमा रही हूं और अपने काम से बहुत संतुष्ट हूं।

इवेंट्स के कारण एक्टिंग के प्रोजेक्ट कम ही ले पाती हूं। लंबे टीवी शोज या फिल्म के बजाय कैमियो कर लेती हूं। साथ ही ऐड फिल्म्स में भी काम करती हूं। मेडिकल अब मेरा पार्ट टाइम और एंकरिंग फुल टाइम प्रोफेशन बन गया है। अब मैं क्लीनिक में प्रैक्टिस नहीं करती, अब मैं आयुर्वेदिक दवाइयों के प्रोडक्शन पर काम कर रही हूं।

हर इवेंट के लिए अलग तैयारी

मैं जब किसी शादी में एंकरिंग करती हूं तो मेहमानों को लगता है कि मैं परिवार का ही एक हिस्सा हूं। उन्हें यह पता ही नहीं चलता कि मैं परिवार की सदस्य न होकर प्रोफेशनल एंकर हूं। मैं शादी के माहौल और परिवार के लोगों में इस कदर घुलमिल जाती हूं कि शादी का हर फंक्शन यादगार बन जाता है। लेकिन इसके लिए हमें शादी से पहले बहुत तैयारी करनी पड़ती है। हमारी टीम वर-वधू दोनों के परिवार के सदस्यों से मिलती है। हम ये पूछ लेते हैं कि शादी में परिवार के किस सदस्य की क्या भूमिका है।

शादी के फंक्शन की लिस्ट से लेकर थीम, लोकेशन, बैकग्राउंड, कॉस्टयूम, म्यूजिक, डांस… हर कार्यक्रम की डिटेल जानकारी हमारे पास होती है। शादी हर परिवार का खास इवेंट होता है। मेरी ये कोशिश होती है कि परिवार के हर सदस्य को स्पेशल महसूस कराऊं और शादी का हर पल रिश्तेदारों के लिए यादगार बन जाए।

कॉर्पोरेट इवेंट के लिए अलग तरह की तैयारी की जरूरत होती है। पब्लिक इवेंट में कई बार लास्ट मिनट में सोची हुई प्लानिंग बदलनी भी पड़ती है। मुझे मौका, थीम, पब्लिक के मूड को देखकर उसके अनुरूप काम करना पड़ता है।

एंकर शो का लीडर होता है

चाहे कॉर्पोरेट इवेंट हो या फैमिली फंक्शन उसे शानदार और यादगार बनाने का काम एंकर का होता है। एंकर के पास अच्छी भाषा, लीडरशिप क्वालिटी, लोगों का मूड समझने की कला होनी चाहिए। हर बार कुछ नया करने का हुनर होना चाहिए।

मैं शादी में सबसे पहले घर के सदस्यों से डांस करवाती हूं। इससे हमारी उनसे बॉन्डिंग स्ट्रॉन्ग हो जाती है, उनमें जोश आ जाता है और वो हर फंक्शन का मजा लेते हैं।

एंकरिंग सिखा रही हूं

मेरा ये मानना है कि हर बच्चे को बोलने की कला सिखानी चाहिए। आप क्या बोल रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा जरूरी है कि आप अपनी बात किस तरह कहते हैं। आप सिंपल बात को भी अगर सही तरीके से कहते हैं तो वह बात बड़ी बन जाती है।

मैं अच्छी कम्युनिकेशन स्किल की ताकत समझती हूं इसलिए अब ‘लाइफ क्राफ्ट एकेडमी’ के माध्यम से ऑनलाइन कोचिंग के जरिए एंकरिंग सिखा रही हूं। स्टूडेंट्स की जरूरत के हिसाब से मैं अलग अलग जगहों पर जाकर भी ऑफलाइन क्लासेस भी लेती हूं।

मुझे खुशी है कि जिस काम ने मुझे एक नई पहचान दी, उसे मैं लोगों तक पहुंचा रही हूं। मेरे सिखाने से खासकर महिलाओं को सबके सामने अपनी बात कहने का कॉन्फिडेंस मिलता है तो मुझे बहुत खुशी होती है। जो मैंने सीखा और पाया मैं उसे आगे सबसे शेयर कर रही हूं और उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने का हुनर दे रही हूं।

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