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नई दिल्ली22 घंटे पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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जायफल की जुड़वां बहन जावित्री के बहुत फायदे हैं। यह बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है। वहीं, बीमारी की अवस्था में उसके लक्षणों को कुछ हद तक कम करने में मददगार है। जायफल और जावित्री दोनों मायरिस्टिका फ्रैगरैंस नाम के पेड़ से मिलते हैं। जायफल इस पेड़ का बीज होता है और पेड़ के रेशेदार परत को जावित्री कहते है। इसे आम भाषा में जायपत्री के नाम से भी पहचाना जाता है और अन्य मसालों की तरह यह मसाला भी ज्यादातर घरों में पाया जाता है। यह मसाला हल्के पीले, नारंगी या सुनहरे रंग का होता है। जो खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ औषधीय रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

डाइजेशन सिस्टम सुधारे

बिजी लाइफस्टाईल की वजह से बाहर का खाना या समय पर न खाने से पाचन से जुड़ी परेशानी होती है। जावित्री पेट और पाचन के लिए कारगर हो सकती है। जावित्री पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

दांतों के लिए मुफीद है

दांतों और मुंह के स्वास्थ्य का सही तरीके से ख्याल न रखा जाए, तो इसका असर सेहत पर पड़ सकता है। जावित्री में मौजूद मैक्लिग्नन में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटंस नामक बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सकते हैं। यह बैक्टीरिया कई दंत रोगों का कारण माना जाता है । मैक्लिग्नन में एंटी-क्रायोजेनिक यानी दांतों को नुकसान से बचाने वाले गुण भी पाए जाते हैं, जो दांतों की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। यह दांतों को कैविटी की परेशानी से बचाते हैं। जावित्री में एंटी-कैंसर गुण भी होते हैं, जिससे मुंह के कैंसर से बचने में मदद मिल सकती है।

किडनी को सुरक्षा दे

जावित्री किडनी की परेशानी से राहत दिती है। इसमें मौजूद मैक्लिग्नन नाम के यौगिक किडनी के टिशू को नुकसान से बचाते हैं। सूजन और एपोप्टोसिस डेड सेल को रोकने में मैक्लिग्नन काम करता है और नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट रक्षा प्रणाली को बढ़ा सकता है। जावित्री में मौजूद मैक्लिग्नन के ये गुण किडनी को इस्केमिया-रे परफ्यूजन इंजरी से बचाते हैं।

सर्दी-जुकाम में जावित्री के फायदे

मौसम बदलने से सर्दी-जुकाम या बुखार की समस्या होती है। ऐसे में जावित्री एक अच्छा घरेलू इलाज है। इसके एंटी-एलर्जी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सर्दी-जुकाम जैसी एलर्जी परेशानी से बचाते हैं। इसलिए, कई बार सुना होगा कि छोटे बच्चों को जावित्री या जायफल चटाने की बात कही जाती है। शिशु को किस उम्र में और कितनी मात्रा में जावित्री या जायफल देना चाहिए, इस बारे में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी।

भूख बढ़ाने में मददगार

भूख कम होती जा रही है तो जावित्री का इस्तेमाल पाचन शक्ति में सुधार कर भूख को बढ़ा सकती है।

लिवर के लिए जावित्री के फायदे

पेट की हालत दिन-ब-दिन खराब होते चली जाती है। तेल-मसाले वाले खाने का सीधा असर लिवर पर पड़ने लगता है और नतीजा लिवर की समस्या शुरू हो जाती है। ऐसे में वक्त रहते खाने-पीने पर ध्यान देना जरूरी है। साथ ही अगर जावित्री का इस्तेमाल किया जाए तो फायदा होगा। इससे प्राप्त मैक्लिग्नन में हेपटोप्रोटेक्टीवे गुण पाए जाते हैं, जो लिवर को स्वस्थ रखते हैं।

अर्थराइटिस में जावित्री के फायदे

बढ़ती उम्र के साथ शरीर में जगह-जगह दर्द है। हड्डियां कमजोर हो गई है तो जावित्री का इस्तेमाल शुरू कर दें। जावित्री में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन की वजह से जोड़ों में होने वाली परेशानी, जैसे रुमेटाइड अर्थराइटिस से बचाती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस गठिया का ही एक प्रकार होता है।

मोटापा घटाए

बढ़ते वजन के साथ कई बीमारियां भी शरीर को घेर लेती हैं। ऐसे में वक्त रहते इस पर ध्यान देना जरूरी है। जावित्री में एंटी ओबेसिटी गुण पाए जाते हैं। इसके इथेनॉल अर्क में टेट्रा हाइड्रो फ्यूरेन, लिग्निन, सैपोनिन, टैनिन, फ्लेवोनोइड और पॉलीफेनोल जैसे नेचुरल तत्व पाए जाते हैं, जिनमें मोटापा कम किया जा सकता है।

चैन की नींद और राहत दे

अनिद्रा की समस्या आम होती जा रही है। वर्क प्रेशर और टेंशन और डिप्रेशन की वजह से नींद नहीं आती ऐसे में लोग नींद की दवा खाने लगते हैं और उन्हें खुद भी पता नहीं चलता कि कब वो इसके आदी हो गए हैं। ऐसे में घरेलू नुस्खे के तौर पर जावित्री का इस्तेमाल कर सकते है। इसका अर्क अनिद्रा की परेशानी को ठीक करता है।

दिल का रखे ख्याल

प्लेटलेट्स दिल से जुड़ी बीमारियों और स्ट्रोक के जोखिम पैदा करती हैं। इन रोगों के इलाज और रोकथाम के लिए प्लेटलेट फंक्शन का बाधित होना फायदेमंद साबित हो सकता है। जावित्री में एरिथ्रो एसीटॉक्सी टेट्रामेथोक्सी निओलिग्नान नाम का तत्व पाया जाता है, जिसमें एंटी प्लेटलेट गतिविधि पाई जाती है। इसके इस्तेमाल से ब्लड में प्लेटलेट्स को एक साथ जमा होने से रोक सकता है, जिससे धमनियों में खून का बहाव बिना बाधा के चलता रहे।

एंटी इंफ्लेमेटरी है जावित्री

एनसीबीआई में प्रकाशित शोध की मानें तो, सूजन के कारण शरीर कई बीमारियों के चपेट में आ जाता है। जोड़ों में दर्द भी सूजन के कारण ही होता है, ऐसे में जावित्री बेहतर विकल्प है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण किसी भी तरह के सूजन से काफी हद तक बचाव कर सकते हैं और शरीर को सेहतमंद रखने में मदद करते हैं।

त्वचा के लिए जावित्री के फायदे

खूबसूरत और दमकती स्किन की चाहत हर किसी को होती है। ऐसे में घरेलू उपाय अच्छा विकल्प है। जावित्री में मौजूद मैक्लिग्नन त्वचा को सूरज के हानिकारक किरणों से होने वाले नुकसान से बचा सकता है।

जावित्री के नुकसान

जावित्री में मिरिस्टिसिन नाम का केमिकल होता है, जिसका ज्यादा इस्तेमाल मानसिक परेशानी का कारण बन सकता है।लिवर को नुकसान दे सकता है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को जावित्री या इसके सप्लीमेंट्स को डॉक्टर के कहने पर ही लेना चाहिए, यह गर्भस्थ शिशु और बच्चे के लिवर को हानि पहुंचा सकता है।

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