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नई दिल्ली1 घंटे पहले

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RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (फाइल फोटो)

भारत अपनी स्ट्रॉन्ग इकोनॉमिक ग्रोथ के बारे में ‘हाइप’ पर भरोसा करके एक बड़ी गलती कर रहा है। देश में सिग्निफिकेंट स्ट्रक्चरल प्रॉब्लम्स हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है। तभी भारत अपनी पूरी क्षमता से विकास कर सकता है। यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कही।

उन्होंने 2047 तक भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को खारिज कर दिया। रघुराम ने कहा कि इस लक्ष्य की बात करना ‘नॉनसेंस’ है। आपके बहुत से बच्चों के पास हाईस्कूल की शिक्षा नहीं है और स्कूल छोड़ने की दर बहुत ज्यादा है।

प्रचार पर भरोसा करना भारत की सबसे बड़ी गलती
रघुराम राजन ने कहा, ‘भारत की सबसे बड़ी गलती प्रचार पर भरोसा करना है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कई सालों की कड़ी मेहनत करनी है कि प्रचार वास्तविक हो।

राजनेता चाहते हैं कि आप प्रचार पर भरोसा करें, क्योंकि वे चाहते हैं कि आप विश्वास करें कि हम आ गए हैं, लेकिन उस विश्वास के आगे झुकना भारत के लिए एक गंभीर गलती होगी।’

रघुराम राजन साल 2013 से 2016 तक RBI के 23वें गवर्नर थे।

रघुराम राजन साल 2013 से 2016 तक RBI के 23वें गवर्नर थे।

चुनाव के बाद वर्कफोर्स एजुकेशन और स्किल्स में सुधार करना बड़ी चुनौती
रघुराम ने कहा कि चुनावों के बाद नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती वर्कफोर्स एजुकेशन और स्किल्स में सुधार करना है। इसे ठीक किए बिना भारत अपनी युवा आबादी का लाभ उठाने के लिए संघर्ष करेगा। ऐसे देश में जहां 1.4 अरब आबादी में से आधे से ज्यादा 30 साल से कम उम्र के हैं।

नौकरियों और वर्कफोर्स के बारे में बात करते हुए रघुराम ने कहा, ‘हमारे पास वर्कफोर्स बढ़ रहा है, लेकिन यह तभी फायदेमंद है जब वे अच्छी नौकरियों में लगे हों। मेरे विचार से हम जिसका सामना कर रहे हैं वह संभावित त्रासदी है।’

उन्होंने कहा कि भारत को सबसे पहले वर्कफोर्स को अधिक रोजगारपरक बनाने की जरूरत है। वहीं, दूसरे नंबर पर अपने पास मौजूद वर्कफोर्स के लिए नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।

भारत में साक्षरता दर अन्य एशियाई देशों से भी कम
रघुराम राजन ने रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के बाद भारतीय स्कूली बच्चों की सीखने की क्षमता में 2012 से पहले के स्तर तक गिरावट आई है। क्लास 3 के केवल 20.5% स्टूडेंट क्लास 2 की बुक पढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में साक्षरता दर वियतनाम जैसे अन्य एशियाई समकक्षों से भी कम है। यह उस तरह की संख्या है जिससे हमें वास्तव में चिंतित होना चाहिए।

8% की ग्रोथ हासिल करने के लिए भारत को बहुत काम करने की जरूरत
अर्थव्यवस्था की ग्रोथ पर बात करते हुए रघुराम राजन ने कहा कि भारत को परमानेंट बेसिस पर 8% की ग्रोथ हासिल करने के लिए बहुत अधिक काम करने की जरूरत है। सरकार का अनुमान है कि आने वाले वित्तीय वर्ष में यह 7% से अधिक तक पहुंच जाएगी, जिससे देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

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