• Hindi Information
  • Jeevan mantra
  • Dharm
  • What Auspicious Issues Ought to Be Achieved On Holi?, Holi Traditions In Hindi, Shani, Mangal, Shukra In Aquarius, Holi Date, Holi 2024

8 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

आज (24 मार्च) की रात होलिका दहन होगा। इस साल होली पर्व पर शनि अपनी राशि कुंभ में है। इसके साथ शुक्र और मंगल की युति रहेगी। मंगल-शनि परस्पर शत्रु हैं। शुक्र, शनि का मित्र है, लेकिन मंगल का शत्रु है। तीनों अलग-अलग स्वभाव के ग्रह एक साथ कुंभ राशि में है और होली मनेगी। ऐसा योग 884 साल पहले बना था।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, 13, मार्च 1140 को होली मनाई गई थी और उस दिन शुक्र, मंगल और शनि कुंभ राशि में स्थित थे। हालांकि उस समय इन तीन ग्रहों के साथ बुध भी था। इस साल होली पर विश्व के कुछ हिस्सों में उपछाया चंद्र ग्रहण भी रहेगा। इसका भारत में कोई असर नहीं रहेगा, हमारे देश में इसका सूतक भी नहीं रहेगा।

जानिए होली पर कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं…

होलिका दहन यानी 24 मार्च को व्रत की पूर्णिमा रहेगी। स्नान-दान की पूर्णिमा 25 मार्च 2024 को रहेगी। 25 तारीख को ही होली खेली जाएगी। इसी दिन होलाष्टक खत्म हो जाएगा। इन दिनों में दान-पुण्य जरूर करें। जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, छाते का दान करें।

फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा की रात में फूलों से सजे हुए झूले पर बाल गोपाल को स्थापित करें और पूजा करें। इसे हिंडोला दर्शन कहते हैं।

शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, चंदन के साथ ही गुलाल भी चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें। दक्षिणावर्ती शंख से भगवान को दूध और जल चढ़ाएं। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें और सुनें।

होली से जुड़ी मान्यताएं

होली बंसत ऋतु के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने के लिए बसंत ऋतु प्रकट की और अपने बाण चलाए थे। इससे क्रोधित होकर शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। बाद में शिव जी ने कामदेव को श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था। ये घटना फाल्गुन पूर्णिमा की मानी जाती है। बसंत ऋतु की शुरुआत की खुशी में उत्सव मनाते हैं।

भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद और होलिका से जुड़ी मान्यता सबसे ज्यादा प्रचलित है। हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका ने प्रहलाद को मारने की योजना बनाई थी। होलिका को वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी। इसलिए होलिका ने तय किया कि वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाएगी। होलिका प्रहलाद को लेकर आग बैठ गईं, लेकिन विष्णु कृपा से प्रहलाद तो बच गया और होलिका जल गई। बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में ये त्योहार मनाया जाता है।

खबरें और भी हैं…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here