इम्फाल1 मिनट पहले

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मणिपुर में अब तक 200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। (फाइल) - Dainik Bhaskar

मणिपुर में अब तक 200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। (फाइल)

मणिपुर के बिष्णुपुर ​​​​​​के ​नारानसेना इलाके में गुरुवार देर रात फिर से हिंसा भड़की है। रात 12 बजे से सुबह 2:15 बजे के बीच कुकी उग्रवादियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों पर हमला किया। इसमें दो जवान शहीद हो गए हैं। ये जवान CRPF की 128वीं बटालियन के थे।

बिष्णुपुर इनर मणिपुर क्षेत्र में आता है। यहां 19 अप्रैल को वोटिंग हुई थी। वोटिंग के दौरान भी यहां हिंसा हुई थी।

राज्य में पिछले साल से जारी हिंसा में 200 से ज्यादा मौतें
मणिपुर में पिछले साल 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। आउटर मणिपुर सीट के हिंसा प्रभावित इलाकों के कुछ बूथ पर 26 अप्रैल को दूसरे फेज में भी मतदान होगा।

राज्य में कुकी संगठनों ने कुछ दिन पहले लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया था। उन्होंने न्याय नहीं तो वोट भी नहीं का नारा लगाया था। राज्य में अब तक हुई हिंसा की घटनाओं में 200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

हिंसा के बाद 65 हजार से ज्यादा लोगों ने घर छोड़ा
मणिपुर में अब तक 65 हजार से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं। पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में कुल 129 चौकियां स्थापित की गईं हैं।

इम्फाल वैली में मैतेई बहुल है, ऐसे में यहां रहने वाले कुकी लोग आसपास के पहाड़ी इलाकों में बने कैंप में रह रहे हैं, जहां उनके समुदाय के लोग बहुसंख्यक हैं। जबकि, पहाड़ी इलाकों के मैतेई लोग अपना घर छोड़कर इम्फाल वैली में बनाए गए कैंपों में रह रहे हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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